तुलसी, जिसे हिंदू धर्म में एक पवित्र पौधा माना जाता है, का विशेष महत्व है। इसकी पूजा से व्यक्ति को स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। लेकिन एक महत्वपूर्ण धार्मिक मान्यता के अनुसार, रविवार को तुलसी के पत्ते नहीं तोड़े जाते हैं। इस लेख में हम इस परंपरा के पीछे के कारणों और धार्मिक मान्यताओं पर चर्चा करेंगे।
रविवार को तुलसी के पत्ते न तोड़ने का कारण
पौराणिक कथा
रविवार को तुलसी के पत्ते न तोड़ने की एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है जो मां सीता और भगवान राम से जुड़ी हुई है। इस कथा के अनुसार, जब भगवान राम ने धनुष तोड़ा था, तब गुरु विश्वामित्र ने उन्हें कहा कि वे मां सीता की वाटिका से कुछ पुष्प और तुलसी के पत्ते लाएं। जब मां सीता ने तुलसी के पत्ते तोड़े, तो उनके पल्लू से कुछ पत्ते गिर गए। जब गुरु विश्वामित्र ने उन गिरे हुए पत्तों को भगवान शालिग्राम को चढ़ाने का प्रयास किया, तो वे चिपक गए। जब उन्होंने पूछा कि यह कैसे हुआ, तो तुलसी ने बताया कि वे मां सीता के पल्लू से गिरे हैं। इस घटना के कारण रविवार को तुलसी के पत्ते तोड़ने की मनाही हुई.
धार्मिक मान्यता
धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो रविवार को देवी तुलसी विश्राम करती हैं और भगवान विष्णु की ध्यान में लीन रहती हैं। इस दिन उनके ध्यान में विघ्न डालना अशुभ माना जाता है। इसलिए, इस दिन जल अर्पित करने और पत्ते तोड़ने से मना किया गया है. इसके अलावा, एकादशी के दिन भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़े जाते क्योंकि उस दिन तुलसी जी निर्जला व्रत करती हैं.
तुलसी की पूजा का महत्व
तुलसी केवल एक पौधा नहीं है; इसे देवी तुलसी का रूप माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जहां तुलसी का पौधा होता है, वहां लक्ष्मी और विष्णु जी की कृपा बनी रहती है। इसके नियमित पूजन से घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
तुलसी के औषधीय गुण
तुलसी में कई औषधीय गुण होते हैं जो इसे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बनाते हैं। यह इम्यूनिटी बढ़ाने, तनाव कम करने और कई बीमारियों से बचाने में मददगार होती है.
रविवार को तुलसी के पत्ते न तोड़ने की परंपरा न केवल धार्मिक मान्यता पर आधारित है, बल्कि यह हमें प्रकृति और उसके प्रति सम्मान सिखाती है। यह हमें बताती है कि हर चीज का एक समय होता है और हमें उस समय का सम्मान करना चाहिए। इसलिए, यदि आप अपने घर में तुलसी का पौधा रखते हैं, तो रविवार को इसके पत्ते न तोड़ें और इसकी पूजा विधिपूर्वक करें।