रवीश कुमार के हिसाब से देश में हो रही हर समस्या के लिए हिंदू इसलिए जिम्मेदार है क्योंकि वो खुद को हिंदू मानता है।
यूट्यूब पत्रकार रवीश कुमार का एक नया प्रोपगेंडा वीडियो सामने आया है।
इस बार उन्होंने अपने वीडियो में भर-भरकर मिडल क्लास ‘हिंदुओं’ को गाली दी है। उन्होंने देश में हो रही अवैध घुसपैठ से लेकर चोरी होते टैक्स और बाजार में कम होती खरीदारी सबके लिए मिडल क्लास ‘हिंदुओं’ को कोसा है और नफरत से सनी इस पूरी वीडियो को टाइटल दिया है- ‘मुरझा गया है मिडिल क्लास।’
रवीश का कहना है कि मिडिकल क्लास का हिंदू अब आकांक्षी और महत्वकांक्षी नहीं रहा बल्कि अब वो सांप्रदायिक हो गया है। उसकी जेब में कुछ है नहीं और दिमाग में जहर भर गया है। रवीश के मुताबिक देश के मिडिल क्लास के हिंदुओं की भाषा एकदम कबाड़ है और वो सिर्फ इस बात से खुश हो जाता है कि मुस्लिमों के घरों को बुलडोजर गिरा रहा है।
‘हिंदू’ शब्द से रवीश को कितनी घृणा है इसे रवीश की वीडियो में हर मिनट में महसूस किया जा सकता है, लेकिन इस घृणा के पीछे का कारण क्या है ये लोग पिछले कई सालों से महसूस कर रहे हैं।
दरअसल, रवीश की खुंदस वामपंथी हिंदुओं से नहीं है रवीश की खुंदस उन हिंदुओं से है जो भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करते हैं और उन्हें वोट देकर पिछले 11 साल से सत्ता उन्हें सौंपी हुई हैं। रवीश को परेशानी इस बात से है कि आखिर हिंदू अपने आपको हिंदू कैसे समझने लगा?
उनके हिसाब से तो हिंदू के ऊपर देश के सेकुलरिज्म को ढोने का सारा दारोमदार था…तो फिर वो क्यों तिलक लगाकर, भगवा ओढ़कर अपने धर्म को बचाने की बात कर रहा है? या 2047 तक देश को इस्लामी मुल्क बनाने वाले मंसूबों के बारे में जान रहा है।
रवीश चाहते हैं कि मिडिल क्लास ‘हिंदू’ ऐसी किसी जॉब में हो जहाँ इतना सेकुलर माहौल हो कि अगर कोई उसके भगवान को, उसके मंदिर को, उसके धर्म को गाली दे तो भी उसके पास इतना समय न हो कि वो अपनी पहचान के लिए आवाज उठा सके।
अजीब बात है कि रवीश की यह चिंता अब जाकर जगी है जब उन्हें लगता है कि हिंदू कुछ ज्यादा हिंदू बनने लगे हैं। काश, उनका सेकुलरिज्म उस समय भी उन्हें जग पाता जब समय-समय पर इस्लामी भीड़ ने सड़कों पर उतरकर दंगे किए, मस्जिदों से पत्थरबाजी की और अपने इलाकों में हिंदुओं से निकालने का काम किया।
उन्होंने तब एक भी बार ये नहीं कहा कि इस देश के मुस्लिम को थोड़ा कम मुस्लिम बनना चाहिए और देश का नागरिक ज्यादा बनना चाहिए या उन्हें भी कानून का सम्मान करना चाहिए या फिर देश में संविधान के हिसाब से चलना चाहिए…।
रवीश कुमार की यह सारी नफरत और सारा ज्ञान सिर्फ हिंदुओं से है। उन्होंने मिडिल क्लास के नाम पर उस तबके को निशाना बनाया है जो पिछले कुछ समय से धार्मिक पहचान की बात करने लगे हैं। वो समझने लगे हैं कि उन्हें किस कदर सेकुलरिज्म की पट्टी पहनाकर धर्म का पालन करने से दूर रखा गया। कभी तिलक लगाने, कभी शिखा रखने पर उनका मखौल उड़ाया गया और पूजा-पाठ करने पर उसे पिछड़ा बताया जाता रहा…।
आज हिंदू अगर अपनी सांस्कृति पहचान पर गौरवान्वित होता है और उसका प्रचार करता है तो समस्या होना तो जाहिर है।
रवीश वीडियो में एक हिंदू आईएएस ग्रुप की चर्चा करते हैं और बताते हैं कि पिता को लगता होगा कि बेटा नाम करेगा और बेटा हिंदू आईएएस बन रहा है। रवीश को ऐसे उदाहरण देते हुए साथ में समझा भी देना चाहिए कि उन्हें समस्या हिंदू के आईएएस बनने से है या फिर आईएएस बनने के बाद भी कोई हिंदू छवि को स्वीकारे रखने से है।
रवीश का राजनैतिक झुकाव किस तरफ है इसे भी वीडियो में इस्तेमाल की गई क्लिपों से समझा जा सकता है। देश में पड़े नकारात्मक प्रभावों को समझाने के लिए रवीश ‘मोदी सरकार’ के बयानों का इस्तेमाल करते हैं और मोदी सरकार को घेरने के लिए तथ्यों पर बात करने की जगह कॉन्ग्रेस नेता ‘पवन खेड़ा’ की क्लिप डालते हैं।
रवीश कहते हैं कि मिडल क्लास के दिमाग में कबाड़ भाषा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डाली है। इस दौरान उदाहरण वो पीएम के उस रोटी, बेटी और माटी वाले बयान का देते हैं तो उन्होंने झारखंड में प्रचार के दौरान दिया…। अब देखने वाली बात ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आखिर गलत बोला क्या?
उन्होंने उन स्थानीय मुद्दों को उठाया जिससे झारखंड प्रभावित है। वहाँ हो रही बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर तो अदालत तक चिंता जाहिर कर चुके हैं। फिर पीएम ने ‘माटी’ का मुद्दा उठाकर क्या गलत किया। क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर बोलना अभद्र भाषा का इस्तेमला कहलाएगा।
इसी तरह झारखंड से आए दिन लव जिहाद की घटनाएँ सामने आती हैं। किसी मामले में लड़कियों को मार दिया जाता है तो किसी में घर में सोते समय उसे जला दिया जाता है। ऐसे में अगर प्रधानमंत्री इन विषयों पर खुलकर स्थानीय लोगों से बात कर रहे हैं तो समस्या क्या है।
अपने आपको सबसे निष्पक्ष पत्रकार मानने वाले रवीश जी आगे मिडल क्लास की खराब होती अर्थव्यवस्था पर चिंता जाहिर करते हैं। वो ऑनलाइन शॉपिंग जैसी चीजों को नकारते हुए कहते हैं देश में दीवाली बीत गई लेकिन बाजा में भीड़ नहीं दिखी और क्या-क्या सामान कितना-कितना बिका इसकी जानकारी नहीं आई। मतलब साफ है कि मिडिल क्लास आर्थिक रूप से बेहाल है…।
रवीश जी का कहना है कि या तो मिडिल क्लास के जीवन में क्या चल रहा है, कैसे चल रहा है, उसने क्या खरीददारी की है इस सबका ब्यौरा वो अखबार में दे वरना वो यही मानेंगे किं हिंदुओं की हालत खराब है।
कुल मिलाकर रवीश की वीडियो देख साफ पता चलता है कि उनकी समस्या मिडल क्लास मुसलमानों से है। कारण- ‘अमीर’ होते हिंदुओं का उदाहरण देकर वो अपना प्रोपगेंडा चला नहीं पाएँगे और गरीब क्लास का अगर जिक्र करेंगे तो उन्हें उन योजना, परियोजनाओं के बारे में भी बताना पड़ेगा जो मोदी सरकार ने उनके लिए लाई है। दोनों काम रवीश से नहीं हो सकते…।
यही वजह है कि अपने टारगेट पर रवीश कुमार ने मिडल क्लास हिंदुओं को लिया और उन्हें ऐसे पेश किया जैसे घर में होने वाली सीलन, बाथरूम की लीकेज, किचन के सिंक में फँसे खाने, पड़ोसियों के घर हुई कलह, भाई-बहन में हुए संपत्ति के झगड़े सबके लिए सिर्फ मिडल क्लास हिंदू जिम्मेदार है और बेचारे वो लोग हैं जो हिंदुस्तान में अपने मजहब को इस कदर फैलाना चाहते हैं कि हिंदुओं की संख्या साफ हो जाए।
रवीश की थ्योरी से चलें तो देश तब तक खतरे में है जब तक हिंदू खुद को हिंदू कहता रहेगा और सेकुलर तब होगा जब मुस्लिम खुलकर हिंदुओं को ‘काफिर’ कह पाएँगे।