राजा मानसिंह का वो रहस्यमयी खजाना जिस पर बिगड़ गई थी इंदिरा गांधी की नियत!पाक ने भी माँगा हिस्सा.!

हालांकि आज भी भारत में ऐसे कई भंडारे जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। इन्हीं में से एक राजा मानसिंह के सोने का भंडार था जिसे रातों-रात खुदवा दिया गया था। इतना ही नहीं बल्कि इस भंडार को खुदवाने के बाद पाकिस्तान ने भी अपने हिस्से की मांग कर ली थी। आइए जानते हैं राजा मानसिंह के सोने के खजाने के बारे में..

अकबर के नवरत्नों में से एक थे राजा मानसिंह

बता दें, राजा मान सिंह बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक थे। उन्हें प्यार से ‘राजा मिर्जा’ कहा जाता था। राजा मानसिंह ने अकबर को ऐतिहासिक युद्ध में जीत दिलाई थी। इसके अलावा उन्होंने अकबर और महाराणा प्रताप के बीच में हल्दीघाटी युद्ध में भी अहम भूमिका निभाई थी।

ना सिर्फ राजा मानसिंह ने बल्कि उनके पिता राजा भगवानदास ने भी अकबर के लिए कई युद्ध लड़े। ऐसे में राजा मानसिंह को अकबर ने भारत के बिहार बंगाल और उड़ीसा की सत्ता सौंपी। इस दौरान राजा मानसिंह ने कई रियासतों पर हमले किए जिसके बाद उनके पास अकूत संपत्ति जमा हुई हो गई थी।

राजा मानसिंह ने काबुल से लुटा था सोना

इसी बीच अकबर ने राजा मानसिंह को काबुल भेजा जहां पर उन्होंने लुटेरों से जमकर मुकाबला किया। लुटेरे से जंग लड़ने के दौरान बीरबल की मौत हो गई थी। इसी बीच राजा मानसिंह ने युसूफफजई कबीले के सरदार को मारकर बीरबल की मौत का बदला लिया। कहा जाता है कि राजा मानसिंह ने यहां के लुटेरे सरदारों से काफी खजाना लूटा था जिसमें कई हीरे जवाहरात, कई टन सोना और चांदी शामिल था। ऐसे में उन्होंने अकबर से छुपकर जयगढ़ के किले में यह खजाना छुपा दिया था।

अरबी भाषा में लिखी पुस्तक “हफ्त तिलिस्मत-ए-अंमेरी” के मुताबिक, “आमेर में छुपे सात खजाने, में अफगानिस्तान और भारत के अलग-अलग रियासतों से लूटे खजाने के बारे जिक्र किया गया है। इसमें राजा मानसिंह के जयगढ़ किले में छिपे खजाने के बारे में भी खुलासा करते हुए लिखा गया है कि राजा मानसिंह द्वारा जयपुर स्थित आमेर किले में इतना खजाना छिपाया गया है, जिससे कई रियासतें हजारों साल तक अपना पेट पाल सकती थीं।” इस किताब के मुताबिक, “जयगढ़ किले के नीचे पानी की सात विशालकाय टंकियां बनी हुई हैं जिसमें 6 मिलियन गैलन पानी संग्रहित करने की क्षमता है। राजा मानसिंह ने खजाना यहीं छिपाया था।”

इंदिरा गाँधी को लगी थी इस खजाने की भनक

जयगढ़ किले में छिपे खजाने के बारे में कम ही लोग जानते थे। लेकिन अचानक साल 1976 में इसकी चर्चा होने लगी और इंदिरा गांधी को इसके बारे में पता चला। बता दें, जब इंदिरा गांधी को इसके बारे में पता चला था तब जयपुर राजघराने की महारानी गायत्री देवी से उनकी किरकिरी थी। दरअसल, गायत्री देवी ने स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारों को तीन बार हराया था, ऐसे में गायत्री देवी और इंदिरा गांधी की बिल्कुल नहीं बनती थी।

इसी बीच इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल घोषित की घोषणा कर दी। इस दौरान कई लोगों ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी जिसमें महारानी गायत्री देवी का नाम भी शामिल था। ऐसे में गायत्री देवी को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया। इसके बाद इंदिरा गांधी ने सोने की खदान का पता लगाया और उसे सेना की मदद से खुदवाया।

लेकिन बाद में उन्होंने इस बात से इंकार कर दिया कि वहां पर किसी प्रकार का सोना नहीं मिला। लेकिन कहा जाता है कि इंदिरा गांधी ने सोने को दिल्ली सरकार के बजाय अपना बना लिया था।

पाकिस्तान ने माँगा था हिस्सा

इन दिनों हर जगह खजाने की चर्चा होने लगी तो पड़ोसी मुल्क यानी कि पाकिस्तान भी इसमें अपना हिस्सा मांगने के लिए आ टपका। अगस्त 1976 में पाकिस्तान के पूर्नेव प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को खत लिखकर कहा कि, “आपके यहां खजाने की खोज का काम आगे बढ़ रहा है। मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि आप उस दौरान मिली संपत्ति के वाजिब हिस्से पर पाकिस्तान के दावे का ख्याल रखेंगी।”

indira gandhi

इस खत के बाद भारत में हर जगह इस खजाने की चर्चा होने लगी। इतना ही नहीं बल्कि इंदिरा गाँधी भी कई सवालों के घेरे में घिर गई थी। ऐसे में उन्होंने तुरंत पाकिस्तान को खत लिखकर कहा कि, “हमने अपने कानूनी सलाहकारों से कहा था कि वह आपके द्वारा पाकिस्तान की तरफ से किए गए दावे का अध्ययन करें।

उनका साफ-साफ कहना है कि आपके द्वारा इस दावे का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। वैसे भी यहां कोई खजाना नहीं मिला है।” इसके बाद ये मामला ठंडा पड़ गया। वहीं भारत सरकार ने भी इस खजाने की छानबीन नहीं की। ऐसे में राजा मानसिंह का ये खजाना लोगों के लिए दोबारा से रहस्यमयी बन गया।