- ज्यादातर लोग तेज पत्ते को स्वाद के लिए खाने में इस्तेमाल करते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि यह कई प्रकार से आपकी सेहत को भी फायदा पहुँचाता है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट जैसे औषधीय गुण पाए जाते हैं। तेज पत्ता खाने वालों को पाचन से जुड़े किसी भी प्रकार के रोग नहीं होते यदि आपके घर में भी किसी को पाचन संबंधी समस्या है तो तेज पत्ता का सेवन करने से बहुत लाभ मिलेगा। तेज पत्ता आसपास के वातावरण में मौजूद दूषित कणों को भी दूर करता है।
- अगर आप बेहद परेशान हैं और अवसाद में हैं, तो आप जहाँ बैठे हैं वहां एक तेज पत्ता जलाएं, कुछ ही देर में इसकी सुगंध वातावरण को खुशबू से भर देगी और आप बहुत फ्रेश महसूस करेंगे। तेज पत्ते को जलाने से व्यक्ति की थकान दूर होती है, दिमाग शांत रहता है, दिमाग की नसों को आराम मिलता है, इसके अलावा भी इसका सेवन कई तरह से आपको फायदा पहुंचाता है। तेजपत्ता मधुमेह, अल्ज़ाइमर्स, बांझपन, खांसी जुकाम , जोड़ो का दर्द, रक्तपित्त, रक्तस्त्राव, दाँतो की सफाई, सर्दी जैसे अनेक रोगो में उपयोगी है। ये हमेशा हरा रहने वाले पेड़ तमाल वृक्ष के पत्ते हैं इसको तमालपत्र, तेज पात या तेजपत्ता कहते हैं। तेजपात मसाले के रूप में बहुतायत में काम लेते हैं। यह सिक्किम, हिमालय, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में पैदा होते हैं। तेजपात पेड़ से पत्ते तोड़कर धुप में सुखाकर पंसारी की दुकानो पर बेचे जाते हैं। तेजपत्ता में दर्दनाशक, एंटी ऑक्सीडेंट गुण हैं। तेजपत्ता मधुर, कुछ तीक्षण, उष्ण, चिकना, तैलीय होता हैं। वात, कफ नाशक और पाचक होता हैं। आयुर्वेद में अनेक गंभीर रोगो में इसके उपयोग किये जाते हैं। आइये जाने।
तेजपात या तेजपत्ते के फायदे :
- मधुमेह में तेजपत्ते के प्रयोग : तेजपात को पीसकर बहुत बारीक चूर्ण बना ले। इसकी एक चम्मच नित्य तीन बार पानी से फंकी लेने से मधुमेह के रोगी को शीघ्र लाभ होता हैं। रक्तशर्करा शीघ्र घट जाती हैं।
- कब्ज, एसिड से जुड़ी शिकायत : यदि आपको कब्ज, एसिड से जुड़ी शिकायत रहती है तो, तेज पत्ता आपके लिए बहुत फायदेमंद रहेगा।
- गठिया : तेज पत्ते का एंटी-इन्फ्लैमटोरी गुण गठिया के दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है। कैस्टर ऑयल और तेज पत्ते के तेल को एक साथ मिलाकर गठिया के दर्द वाली जगह पर लगाने से राहत मिलती है।
- दांतों का पीलापन : तेज पत्ते को पीसकर उसके पाउडर में संतरे के छिलके का पाउडर मिला लें, अब इस मिश्रण से हफ्ते में तीन बार अपने दांत रगड़े, इससे आपके दांतों का पीलापन कम होगा।
- किडनी : किडनी की समस्या होने पर तेज पत्ता बहुत लाभकारी है। किडनी से जुड़ी कोई भी समस्या होने पर तेज पत्ते को पानी में उबालें। उबले हुए पानी को ठंडा करने के बाद पी लें।
- मधुमेह नियंत्रण में रहेगा : रात को एक चम्मच तेजपात का पाउडर एक कांच के गिलास में डालकर तीन चौथाई गिलास पानी से भर कर चम्मच से अच्छी तरह हिलाएं और ढक कर रख दे। सवेरे उस गिलास के पानी पर जैली जैसी परत जमी हुयी दिखेगी। इस परत को हटा कर फेंक दीजिये, और पानी को मलमल के कपडे से छानकर पियें। इसके बाद आधा घंटा कुछ भी ना खाए पियें। रात को पीसी हल्दी आधा चम्मच सोते समय एक कप पानी में घोलकर पियें। इसके बाद ठंडा पानी या दूध ना पियें। यह प्रयोग लम्बे समय तक करते रहे। मधुमेह नियंत्रण में रहेगा।
- स्मरण शक्तिवर्धक – ‘अल्ज़ाइमर्स’ में उपयोगी :तेजपात मस्तक पोषक हैं। तेजपत्ता एसिटिलकोलाइनैस्टेरै नामक खतरनाक को बनने से रोकता हैं जो मस्तिष्क के सन्देश वाहक हॉर्मोन osteocalcin को तोड़ने का काम करता हैं। तेजपत्ता को नित्य खाए जाने वाले भोजन में शामिल करे। इससे स्मरणशक्ति बढ़ेगी और ‘अल्ज़ाइमर्स’ बीमारी पर नियंत्रण होगा।
- माँ बनने का सुख : कभी कभी किसी स्त्री को ग-र्भधान ही नहीं होता और बांझपन की समस्या का सामना करना पड़ता हैं। किसी को गर्भ ठहरने के बाद ग-र्भस्त्राव हो जाता हैं। तेजपात दोनों ही समस्याओ को दूर करता हैं। तेजपात का पाउडर चौथाई चम्मच तीन बार पानी से नित्य फंकी ले। कुछ महीने तेजपात की फंकी लेने से ग-र्भाशय की शिथिलता दूर होकर ग-र्भधारण हो जाता हैं। जिन स्त्रियों को ग-र्भस्त्राव होता हो, वे गर्भवती होने के बाद इसी प्रकार तेजपात पाउडर की फंकी कुछ महीने ले। इस प्रकार तेजपात से गर्भ सम्बन्धी दोष दूर होकर ग-र्भधारण में सहायता मिलती हैं।
- जुकाम खांसी : तेजपात कफजन्य रोगों को ठीक करता है। चौथाई चम्मच तेजपात पाउडर की गर्म पानी से नित्य तीन बार फंकी लेने से सर्दी जुकाम और खांसी ठीक हो जाती हैं।
- तेजपात और छोटी पीपल समान मात्रा में पीसकर आधा चम्मच चूर्ण को एक चम्मच शहद में मिलाकर तीन बार चाटने से खांसी ठीक हो जाती हैं।
- जोड़ो का दर्द, मूत्रल, ज्वर या बुखार : तेजपात के चार पत्ते एक गिलास पानी में उबाले। उबलते हुए पानी आधा रहने पर छानकर नित्य तीन बार पियें। इससे पेशाब अधिक आता हैं, ज्वर या बुखार पसीना आकर उत्तर जाता हैं तथा पुन: ज्वर नहीं आता, बढ़ता। बदन का दर्द ठीक हो जाता हैं।
- सिरदर्द : सर्दी या गर्मी में किसी भी कारण से सिरदर्द हो, तो तेजपात डंठल सहित पीसकर हल्का गर्म करके ललाट पर लेप कर दें। दर्द मिट जायेगा।
- रक्तपित्त – रक्तस्त्राव : मुंह, नाक, मल, मूत्र किसी भी रास्ते से रक्त निकलने पर एक गिलास ठन्डे पानी में एक चम्मच पिसा हुआ तेजपात मिलाकर हर तीन घंटे बाद पिलाने से रक्तस्त्राव बंद हो जाता हैं।
- दाँतो की सफाई : सूखे तेज पत्तो को बारीक पीसकर हर तीसरे दिन एक बार मंजन करें। इससे दांत चमकने लगेंगे।
- सर्दी के रोग : सर्दी से शरीर में दर्द, नाक में सुरसुराहट, छींके आना, पानी गिरना, सिर में भारीपन, जलन, गला बैठना, तालु छिलना, आदि होने पर १० ग्राम तेजपात कूटकर तवे पर सेंककर रख लें। इसका १ भाग, २ कप पानी, स्वादानुसार दूध, चीनी मिलाकर चाय की तरह उबालकर, छानकर नित्य ३ बार पीने से सर्दी जनित रोग ठीक हो जाते हैं।
विशेष :जो लोग आहार विहार विहार के नियमो का पालन करते हैं, उनको दवाओ की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। वे घर में ही उपलब्ध दालचीनी, तेजपात आदि के प्रयोगो से स्वस्थ हो सकते हैं।