उनके साथ ही और भी कई सुपरस्टार इस रत्न को पहनते हैं. नीलम रत्न से जुड़ी हुई बहुत- सी बातें है, जो बहुत ही कम लोग जानते हैं, आज हम आपको उसी के बारे में बता रहे हैं.

इस तरह करें असली नीलम की पहचान?
-जब भी आप असली नीलम रत्न हाथ में लेंगे नीलम रत्न की पहचान गहरे नीले रंग, पारदर्शी, छुने में मुलायम और इसके अंदर देखने पर इसमें किरणें निकलती हुए प्रतीत होती है.
-इसके साथ ही अगर नीलम असली होता है तो इसे दूध की कटोरी में थोड़ी देर तक रखने पर दूध का रंग नीला दिखाई देने लगता है.
-इसके अलावा अगर नीलम रत्न को पानी के गिलास में डालने पर पानी से कुछ किरणें दिखाई दें तो यह असली नीलम की पहचान होती है.

इस समय पहनें नीलम?

आपको बता दें कि नीलम रत्न का संबंध शनि ग्रह से होता है. जब भी किसी जातक की कुंडली में शनि की महादशा विपरीत होती है तब नीलम रत्न पहना जा सकता है. वृश्चिक राशि, मेष , तुला और वृषभ राशि के लोगों पर नीलम रत्न का अच्छा और शुभ प्रभाव होता है. वहीं कुंडली में अगर शनि चौथे, पांचवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में रहता है तो नीलम रत्न धारण करने पर बहुत लाभ प्राप्त होता है.

इसके साथ ही जब शनि छठें और आठवें भाव के स्वामी के साथ बैठें हो तो नीलम रत्न धारण करना शुभ माना गया है. लेकिन इसके पहले किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह अवश्य लेनी चाहिए. ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि कुंभ और मकर राशि के जातकों को नीलम रत्न पहनना शुभ होता है.

नीलम रत्न को पहनने के यह है कुछ नियम: जब भी आप को नीलम धारण करना हो उससे पहले उसको अपने घर पर लाकर गंगाजल से भरे किसी बर्तन में रख दें. फिर शनिवार वाले दिन अपनी बीच वाली उंगली में उसे धारण करें.

वहीं शनिदेव न्याय और कर्म के देवता है. इस वजह से जो व्यक्ति भी नीलम धारण करें उस व्यक्ति को किसी भी तरह की हिंसा नहीं करनी चाहिए. गरीबों को बेवजह परेशान नहीं करना चाहिए. अगर आपने नीलम पहना है तो शनिवार को मांस और मदिरा का सेवन करने से बचना चाहिए. नीलम रत्न पहनने के बाद किसी भी तरह के गलत कार्यों से दूर ही रहना चाहिए. नीलम रत्न को धारण करने पर अगर इसका शुभ प्रभाव जातक पर पड़ने लगता है तो व्यक्ति फर्श से अर्श तक जल्द ही पहुंच जाता है. नीलम धारण करने के बाद अगर आपके साथ कुछ अशुभ घटना न हो तब यह समझना चाहिए कि आपके लिए यह रत्न शुभ है.