Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में कई गूढ़ और जीवनोपयोगी बातें कही हैं. उन्हीं में से एक है मानव की तीन अशांत चाहतें, जो कभी पूरी नहीं होती. आइए जानते हैं कि वे कौन सी चीजें हैं जिनसे मनुष्य सदैव असंतुष्ट रहता है.
धन की अशांत चाह
चाणक्य कहते हैं कि धन वह चीज है जिसे पाकर मनुष्य का मन कभी नहीं भरता. चाहे जितना भी धन हो, मनुष्य हमेशा और अधिक पाने की इच्छा रखता है. इसी कारण व्यक्ति कई बार अनुचित मार्गों का चयन कर बैठता है, जो उसे और अधिक असंतुष्ट बना देता है.
उम्र की अधूरी इच्छा
आचार्य चाणक्य के अनुसार उम्र भी एक ऐसी चीज है जिससे इंसान कभी संतुष्ट नहीं होता. जवानी में अधिक उम्र पाने की चाहत होती है, तो बुढ़ापे में युवा बने रहने की आकांक्षा. यह चाहत कभी खत्म नहीं होती और इंसान हमेशा अधिक उम्र की कामना करता रहता है.
भोजन की अजीब लालसा
चाणक्य कहते हैं कि भोजन भी वह प्रवृत्ति है जिसे बार-बार ग्रहण करने के बाद भी मनुष्य संतुष्ट नहीं होता. हर बार नए स्वाद की चाह और नई व्यंजनों की तलाश में इंसान हमेशा उत्सुक रहता है.
धन, उम्र और भोजन की अधूरी कहानी
ये तीनों चाहतें इंसान के जीवन में सदैव विद्यमान रहती हैं और इनकी पूर्ति न हो पाने के कारण व्यक्ति अनेक बार असंतुष्ट और अशांत रहता है. चाणक्य की ये नीतियाँ हमें बताती हैं कि जीवन में संतुलन और समाधान कितना जरूरी है.