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शाहजहां के पास थी एक ऐसी प्लेट जो मिनटों में कर लेती थी जहरीले खाने की पहचान…जाने इसका राज…

शाहजहां के पास थी एक ऐसी प्लेट जो मिनटों में कर लेती थी जहरीले खाने की पहचान…जाने इसका राज…
शाहजहां के पास थी एक ऐसी प्लेट जो मिनटों में कर लेती थी जहरीले खाने की पहचान…जाने इसका राज…

Mughal Harem : मुगल बादशाह शाहजहां का नाम सुनते हैं। उनके बारे मेंं जो ठाठ बांट थे। उनके बारे में खयाल आता है। शाहजहां की जिदंगी से जुड़ी बातों के बारे में आपको बता रहे हैं। जिनके बारे में आप सुनकर हैरान हो जाएंगेे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मुगल बादशाह शाहजहां वर्ष 1628 में गद्दी पर बैठे थे। अपने  लंबे-चौड़ गठीले बदन के शाहजहां दूसरे मुगल बादशाहों से कई मायने में अलग थे।

मुगल बादशाह शाहजहां उनकी गीत-संगीत में गहरी दिलचस्पी थी, इतिहासकार निकोलाओ मनूची अपनी किताब में लिखते हैं, शाहजहां अक्सर शेरो-शायरी सुना करते थे। वह स्वयं भी बहुत अच्छा गाते थे और नृत्य भी कर लेते थे। वह जब भी कहीं बाहर जाते तो उनके साथ नाचने-गाने वाली महिलाओं का पूरा समूह चलता, जिसे कंचन कहा जाता था।

इस आयु में पी पहली बार शराब
आपको बता दें कि अब्राहम एराली अपनी किताब एंपरर्स ऑफ द पीकॉक थ्रोन, द सागा ऑफ़ द ग्रेट मुग़ल में लिखते हैं कि मुगल बादशाह की जो सबसे बड़ी खास बात थी वह उनका सेल्फ कंट्रोल था, दूसरे मुगल बादशाहों से इतर जब वे 24 वर्ष के हुए तभी उन्होंने प्रथम बार शराब पी।

वह भी तब जब उनके पिता ने उन्हें मजबूर किया। इसके बाद अगले 6 वर्ष तक यदा-कदा ही शराब पी। वर्ष 1620 में जब वह दक्षिण के अभियान पर निकले तो शराब से पूरी तरह तौबा कर ली, उनके खेमे के साथ जो शराब ले जाई गई थी, उसे नदी में फिंकवा दिया।

चांदी के वर्क वाला चावल खाते थे

आपको बता दें कि मुगल बादशाह शाहजहां खाने-पीने के भी शौकीन थे, उनका मेनू हकीमों द्वारा तैयार किया जाता था. एक-एक चीज का बारीकी से ध्यान रखा जाता था। शाही रसोई में सारे व्यंजन सेहत को ध्यान में दिए पकते थे.

सलमा हुसैन अपनी किताब ‘द मुगल फीस्ट: रेसिपीज फ्रॉम द किचन ऑफ एंपरर शाहजहांÓ में लिखती हैं कि शाही हकीम जो मेनू तैयार करते, उसी के अनुसार ही शाही किचन में खाना बनता था।

आपकी जानकारी के लिए ये भी बता दें कि मुगल बादशाह शाहजहां के लिए जो पुलाव बनता, उसके चावल पर चांदी के वर्क से लेप लगाया जाता था, हकीम का तर्क था कि चांदी के वर्क वाला चावल पाचन के लिए बढ़िया है।

इसी के साथ ही ये कामोत्तेजना भी बढ़ाता है, बता दें कि सलमा हुसैन लिखती हैं कि बादशाह शाहजहां अधिकतर समय अपनी रानियों या हरम की दूसरी महिलाओं के साथ भोजन किया करते थे.

जहरीला भोजन पहचानने वाली प्लेट

आपकी जानकारी के लिए ये भी बता दें कि गद्दी संभालने के बाद शाहजहां को हमेशा अपनी मौत का डर सताता रहता। उन्हें डर था कि कोई उन्हें जहर दे सकता है. इसी को लेकर सुरक्षा में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ता था। करीबियों के सुझाव पर खाना चखने वाला रखा हुआ था।

इसी के साथ मुगल बादशाह के लिए लाए गए किसी खाने को पहले चखने वाले को परोसा जाता, उसके बाद ही बादशाह खाते थे।  शाहजहां के करीबियों ने जहर से बचने के लिए खास प्लेटें भी बनवाई हुई थी। यह तुरंत जहर की पहचान कर लेती थी।

आपको ये भी बता दें कि कारीगरों ने शाहजहां के लिए खास चीनी मिट्टी से कुछ इस तरीके की तस्तरी डिजाइन की, जिसमें विषाक्तखाना डालते ही या तो इसका रंग बदल जाता या तुरंत चिटककर टूट जाती थी। ये भी बता दें कि मुगल शाहजहां की ये प्लेट आज भी आगरा के म्यूजियम में रखी है।

इस प्लेट के ठीक ऊपर परिचय के रूप में लिखा हैजहर परख रकाबी, यानी ऐसा बर्तन जो जहरीला खाना डालने से रंग बदल देता है या टूट जाता है। इसे भी जरूर पढ़ें –

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