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शेख हसीना से पहले भी ये 5 नेता ले चुके हैं भारत की शरण, बुरे वक्त में सबको याद आता है हिंदुस्तान

शेख हसीना से पहले भी ये 5 नेता ले चुके हैं भारत की शरण, बुरे वक्त में सबको याद आता है हिंदुस्तान

 

शेख हसीना से पहले भी ये 5 नेता ले चुके हैं भारत की शरण, बुरे वक्त में सबको याद आता है हिंदुस्तान

Refuge In India: बांग्लादेश इन दिनों प्रदर्शनकारियों की हिंसक आग में जल रहा है। उधर शेख हसीना भी पीएम की कुर्सी छोड़कर भारत की शरण में आ गई हैं। हालांकि उन्हें भारत से लंदन के लिए निकलना था लेकिन किसी कारणवश अब उन्हें कुछ दिनों तक भारत में ही रहना होगा। भारतीय अधिकारियों ने संकेत दिया है कि अंतरराष्ट्रीय विरोध के कारण भारत शेख हसीना को लंबे समय तक अपने देश में रखने की संभावना के लिए तैयारी कर रहा है।

वैसे देखा जाए तो ये पहली बार नहीं हुआ है, जब भारत ने किसी दूसरे देश के नेता को शरण (Refuge In India) दी हो। दरअसल, उत्पीड़न का सामना कर रहे व्यक्तियों को अपने देश में शरण (Refuge In India) देना भारत की पुरानी परंपरा रही है। समय समय पर भारत ने कई विदेशी नेताओं के लिए अपने द्वार खोले हैं। चलिए तो जानते हैं कौन थे वो नेता जो भागकर भारत की शरण में पहुंचे थे…..

Refuge In India
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तिब्बत के आध्यात्मिक नेता और चीन की आंखों में खटकने वाले दलाई लामा ने अपनी मुश्किल घड़ी में भारत से मदद की गुहार लगाई थी और भारत ने भी पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में 30 मार्च, 1959 को उन्हें शरण (Refuge In India) दी थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद दलाई लामा को वहां से भागना पड़ा।  भारत ने लामा को  हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में शरण दी थी, जहां वो आज भी रहते हैं और यहीं से अपने देश की सरकार चलाते हैं।

2. शेख हसीना (1981)

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खुद शेख हसीना दूसरी बार भारत की शरण में आई है। दरअसल 15 अगस्त, 1975 में शेख हसीना के पिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की बांग्लादेश में ही हत्या कर दी गई थी। उस वक्त रहमान देश के प्रधानमंत्री थे लेकिन उपद्रवियों ने रहमान और उनके परिवार के 18 सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया था। इस बड़ी घटना के बाद बांग्लादेश की राजनीति में उथल पुथल मच गई थी। कई सालों तक देश पर सेना ने ही राज किया। हालांकि 1981 में शेख हसीना को सुरक्षा की जरूरत पड़ी तो भारत ने उनके लिए अपने द्वारा खोले (Refuge In India) और उन्हें दिल्ली के पंडारा रोड़ पर में सालभर तक रहने दिया।

3. मोहम्मद नशीद और अहमद अदीब अब्दुल गफूर

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मालदीव की एक अदालत ने जब वहां के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया था तब मोहम्मद नशीद ने 2013 में माले में भारतीय उच्चायोग में शरण मांगी थी। इसके अलावा मालदीव के पूर्व उपराष्ट्रपति अहमद अदीब अब्दुल गफूर ने भी भारत में राजनीतिक शरण मांगी थी, लेकिन भारत ने जब उन्हें 2019 में उन्हें वापस भेजा तो मालदीव पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। बता दें कि गफूर तमिलनाडु में नौ चालक दल के सदस्यों के साथ एक जहाज में पहुंचे थे। विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों द्वारा उनसे जहाज पर ही काफी देर तक पूछताछ की गई थी।

4. अब्दुल्ला अब्दुल्ला (2022)

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अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुलह के लिए उच्च परिषद के पूर्व अध्यक्ष अब्दुल्ला अब्दुल्ला को भारत में शरण (Refuge In India) लेनी पड़ी थी।  फरवरी 2022 में, अब्दुल्ला को अफगानिस्तान में तालिबान ने अस्थायी रूप से नजरबंद कर दिया गया था। जिसके बाद 4 मई, 2022 को, उन्हें ईद-उल-फितर के दौरान अपने परिवार के साथ रहने के लिए भारत जाने की अनुमति दे दी गई थी और वो 6 हफ्तों तक भारत में रहे थे।

5. वर्धराज पेरुमल (1989)

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श्रीलंका के वर्धराज पेरुमल 1989 में भारत आए थे। वर्धराज ईलम पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट के नेता और श्रीलंका के उत्तर-पूर्वी प्रांत के सीएम थे। उन्होंने 1989 में अपने प्रांत की स्वायत्तता की घोषणा की थी, जिसे श्रीलंका की सरकार ने नहीं स्वीकारा। श्रीलंका की सरकार ने जब वर्धराज के खिलाफ कार्रवाई की तो वर्धराज पेरुमल और उनके सहयोगियों ने भारत से शरण (Refuge In India) मांगी। भारत ने उन्हें और उनके करीब 200 समर्थकों को शरण दी, जिससे उनकी जान बचाई जा सकी।

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