कहते हैं सफलता और असफलता में ज्यादा अंतर नहीं होता है। कुछ लोग सफलता न मिले तो बीच में ही कोशिश करना छोड़ देते हैं। वहीं कुछ जब तक सफलता का स्वाद नहीं चखते तब तक प्रयास करते रहते हैं।
इसी तरह असफलता के भय से भी कामयाबी नहीं मिलती है। सफलता पाने के लिए मन में आत्मविश्व मजबूत होना चाहिए। यदि आप अपने लक्ष्य को पाने के लिए लगातार मेहनत करते रहें तो सफलता हाथ जरूर लगती है। इसे एक कहानी से समझते हैं।
साधु के नाचने से होती थी बारिश
एक गांव में एक साधु रहता था। वह जब भी नाचता था तो बारिश हो जाती थी। गांव में जब पानी की कमी होती थी तो लोग साधु के पास जाकर उसे नाचने को कहते थे। फिर वह नाचना शुरू करता था और बारिश से पानी ही पानी कर देता था।
घमंडी लड़कों ने दी साधु को चुनौती
एक दिन गांव में शहर से 4 लड़के आए। उन्हें जब साधु के बारे में पता चला तो वे उसे चुनौती देने पहुंच गए। लड़कों ने गांव वालों को एकत्रित कर कहा कि हम नाचेंगे तो भी बारिश होगी। यदि हमारे नाचने से बारिश नहीं हुई तो साधु के नाचने से भी बारिश नहीं होगी।
लड़कों के नाचने से नहीं हुई बारिश
लड़के बड़े घमंडी भी थे। वे गांववालों के सामने साधु को गलत साबित करना चाहते थे। उन्होंने ग्रामीणों और साधु के सामने नाचना शुरू किया। पहला लड़का आधे घंटे नाचा, लेकिन बारिश नहीं हुई। वह थक कर बैठ गया। फिर दूसरा एक घंटे नाचा लेकिन बारिश का नामोनिशान नहीं मिल। इसी तरह बाकी के दो लड़के भी नाचकर, थक हारकर बैठ गए लेकिन बारिश नहीं हुई।
साधु नाचा तो होने लगी बारिश
अब साधु के नाचने की बारी आई। वह दो घंटे नाचा, लेकिन बारिश नहीं हुई। हालांकि उसने नाचना जारी रखा। उसे नाचते हुए शाम हो गई। वह फिर भी नाचता रहा। अचानक बदल गरजने लगे। फिर बारिश होने लगी। यह देख लड़कों को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने साधु से क्षमा मांगी।
साधु ने बताया अपना राज
लड़कों ने साधु से पूछा “बाबा, हम नाचे तो बारिश नहीं हुई, लेकिन आपक नाचे तो हो गई। ऐसा क्यों?” इस पर साधु बोला “जब मैं नाचता हूँ तो दो बातों का ख्याल रखता हूँ। पहला मैं ये सोचता हूँ कि मेरे नाचने से बारिश जरूर होगी। दूसरा मैं तब तक नाचता हूँ, जब तक कि बारिश हो न जाए।”
कहानी की सीख
कहानी का सार यही है कि आप ने कोशिश करना छोड़ दी तो कभी सफलता का मुंह नहीं देखोगे। वहीं प्रयास करते रहे तो एक न एक दिन सफलता जरूर मिलेगी। इसे भी जरूर पढ़ें –