सोशल मीडिया पर देखी ‘दुल्हनों की मंडी’ तो रूपए लेकर पहुंच गया युवक, आगे हुआ ये..

सोशल मीडिया पर देखी ‘दुल्हनों की मंडी’ तो रूपए लेकर पहुंच गया युवक, आगे हुआ ये..

शिवपुरी. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के 400 किमी का सफर तय करके सोनेलाल मौर्य शिवपुरी पहुंचा. वह 35 साल का हो गया, लेकिन अभी तक शादी नहीं हुई. ट्रेन से शिवपुरी पहुंचने के बाद उसने लोगों से लड़कियों की मंडी का पता पूछा. लोग उसकी बात सुनकर हैरान रह गए. उसने बताया कि वह यहां मंडी की तलाश में आया है. उसने यूट्यूब पर धड़ीचा प्रथा के बारे में सुना है जिसमें शादी के लिए लड़कियों की मंडी लगती है और शादी कराई जाती है. 15 हजार से 4 लाख तक का रेट मंडी में रहता है. उसने यह सब जानकारी यूट्यूब और इंटरनेट से जुटाई थी. वीडियो पर दी गई जानकारी का भरोसा करके वह शादी की चाह में शिवपुरी आ गया. सोनेलाल के अरमान उस समय बिखर गए जब कोई पता नहीं बता सका. धड़ीचा प्रथा को लेकर सामाजिक संगठनों का कहना है कि हो सकता है पहले किसी जमाने में कुप्रथा रही हो लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है.

सोनेलाल के अरमा निकल गए
सोनेलाल मौर्य ने बताया कि वह जड़ी-बूटी का व्यापार करता है. उसकी कमाई भी अच्छी-खासी है. आईटीआई किए हुए है. हिंदी-अंग्रेजी टाइपिंग भी उसे आती है लेकिन उसकी शादी नहीं हो पा रही है. वह कई मैरिज ब्यूरो, वेबसाइट के जरिए शादी का प्रयास कर चुका है, लेकिन उसके सपनों की रानी उसे नहीं मिली. यही नहीं, कई बार ठगी का भी शिकार हो चुका है.

सोनेलाल मौर्य ने बताया कि उसके छोटे भाई की शादी लगभग पक्की हो चुकी है, ऐसे में वह अपनी शादी भी जल्द से जल्द करना चाहता है. उसने यूट्यूब पर शिवपुरी में लड़कियों की मंडी के बारे में देखा. कई वेबसाइट में आर्टिकल पढ़े हैं, जिनमें दावा किया गया कि शिवपुरी में लड़कियों की मंडी लगती है. मंडी में एग्रीमेंट के आधार पर कुंवारे लड़कों की शादी कराई जाती है.

शिवपुरी में धड़ीचा प्रथा से का कोई प्रमाण नहीं
शिवपुरी का नाम धड़ीचा प्रथा के तहत जोड़ा जरूर गया लेकिन वर्तमान में यहां ऐसा कोई प्रमाण नहीं है. दरअसल, देश के कई हिस्सों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बीच कुछ कुरीतियां पनपीं थी, जो अब समय के साथ खत्म हो गई हैं. ऐसा कोई ठोस दस्तावेज मौजूद नहीं है, जो यह बताए कि महिलाएं एक साल के लिए किराए पर दी जाती थीं.

क्या है धड़ीचा प्रथा
बताया जाता है कि धड़ीचा प्रथा में एक तय समय में महिलाओं की मंडी लगाई जाती थी. औरतों और लड़कियों को खरीदने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे. कुंआरी लड़कियों को किराए पर दिया जाता था. महिलाओं की चाल-ढाल देखकर रेट लगाए जाते थे. फिर स्टांप पर करार होता था. एग्रीमेंट में शर्तों का उल्लेख होता था. हालांकि सरकार ने इस प्रथा को गैर-कानूनी घोषित कर दिया. वर्तमान में शिवपुरी जिले में ऐसी कोई मंडी नहीं लगती.

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