आप शायद ही थोड़ा भी अंदाजा होगा कि जब आप शोरूम में कोई नई गाड़ी खरीदने के लिए जाते हैं तो उस गाड़ी के ऊपर कितना टैक्स देना होता हैं तथा उस गाड़ी की असली कीमत कितनी होती हैं?
आमतौर पर आम आदमी को टैक्स के नाम पर बस एक ही चीज पता होती हैं कि अगर कोई नई गाड़ी खरीदने जाएंगे तो उन्हें रोड टैक्स देना होगा। आज हम अपने इस लेख में बात करेंगे कि भारत में चाहे कोई भी कार बनाने वाली कंपनी हो जब वो अपने प्लांट में गाड़ी बनाती है तो उस पर जो लागत आती हैं यानी कि उस गाड़ी की जो प्रोडक्शन कॉस्ट हैं वो कितनी होती हैं।
फिर जब वही गाड़ी शोरूम पर जाती है बिकने के लिए तब उसके दाम कितने बढ़ चुके होते हैं और फिर जब आप उसे खरीद कर अपने घर लाते हैं तब उस पर कितने टैक्स लग जाते हैं।
गाड़ी खरीदने पर शोरूम में जो आपको कीमत बताई जाती हैं उस पर पहले से ही दो तरह के टैक्स लग चुके होते हैं एक तो जी.एस.टी. और दूसरा कंपनसेशन सेस। इसके अलावा उसमें गाड़ी की प्रोडक्शन कॉस्ट, डीलर की मार्जिन, कंपनी का प्रॉफिट, ट्रांसपोर्टेशन चार्जेस, सब कुछ पहले से ही जोड़ दिया जाता हैं। इसके बाद आपको उस गाड़ी की कीमत बताई जाती हैं।
एक कार बिकने पर कितना कमाते हैं शोरूम मालिक
अब जानते हैं कि जब भी कोई गाड़ी बिकती हैं तो उससे डीलर को कितना फायदा होता है। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के द्वारा करवाये गए सर्वे के माध्यम से पता चला है कि दूसरे देशों के मुकाबले भारत मे डीलर का मार्जिन कम होता हैं।
एक डीलर को गाड़ी की एक्स-शोरूम की कीमत के ऊपर 2.5-5% तक का मार्जिन मिलता हैं। उदाहरण के तौर पर अगर कोई 15 लाख की गाड़ी बिकती है तो उस पर डीलर को केवल 75 हज़ार रुपए ही कमीशन मिलेंगे।
चाहे कोई भी गाड़ी हो उसकी प्रोडक्शन कॉस्ट तो कम ही होती हैं पर उसपर रॉड टैक्स, जी.एस.टी. और कंपनसेशन सेस लगाकर उसकी कीमत बढ़ जाती हैं। ये टैक्स निर्भर करता है कि कौन सी गाड़ी है और कितनी छोटी या बड़ी गाड़ी हैं। जैसे पेट्रोल की 1200 सीसी से कम वाली गाड़ी में 28% जी.एस.टी. और 15% तक सेस लगता हैं और साथ ही रॉड टैक्स भी अलग से लगता हैं।