Ajab GazabHealthIndiaTrendingViral

15 दिनों में अपने लीवर को एक बार जरूर साफ करना चाहिए, ये है साफ करने का सही तरीका

15 दिनों में अपने लीवर को एक बार जरूर साफ करना चाहिए, ये है साफ करने का सही तरीका
15 दिनों में अपने लीवर को एक बार जरूर साफ करना चाहिए, ये है साफ करने का सही तरीका

हमें स्वस्थ रहने के लिए कम से कम 30 दिनों में एक बार हमारे लीवर को जरूर साफ करना चाहिए। लिवर हमारे शरीर का एक बहुत ही अहम अंग है। दोस्तों हमें अपने लीवर की सेहत को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।क्योंकि दोस्तों जब तक हमारा लीवर ठीक से काम करेगा, तब तक हमें किसी बीमारी से सामना नहीं करना पड़ेगा।हमारे गलत खानपान के कारण हमारे लिवर को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

तो आओ जानते हैं लीवर को घरेलू आसान तरीकों से कैसे सही और साफ रखें।

लिवर की खराबी का अगर सही समय पर इलाज़ न हो तो आगे जाकर यह बिमारी विकराल रूप ले सकती है, यहाँ तक की जान भी जा सकती है। लीवर कमज़ोर होना या लीवर की खराबी, इस बिमारी के कई कारण हो सकते है। लीवर में दर्द होना, भूख कम लगना आदि इस बिमारी के सामान्य लक्षण है। लिवर में सूजन आ जाने से खाना आँतों मे सही तरीके से नहीं पहुँच पाता और ठीक तरह से हज़म भी नहीं हो पाता। ठीक तरह से हज़म न हो पानें से अन्य तरीके के रोग भी उत्पन्न हो सकते है। इसलिए लीवर की खराबी का पक्का, आसान और पूरी तरह से आयुर्वेदिक इलाज़ हम आपके लिए लेकर आये है जिससे लिवर की खराबी से निजात मिल जाएगी। कभी-कभी ऐसा होता है कि हमारे शरीर में बहुत सारे बदलाव आने लगते हैं जिन्हें हम विल्कुल नज़र अंदाज़ कर देते हैं। इनमे लिवर की बीमारी भी बहुत बढ़ गयी है।

लिवर की खराबी के बहुत से कारण हो सकते हैं जिनमे से एक मुख्य कारण है शराब का अत्यधिक सेवन करना, भोजन में मिर्च मसाले ज़्यादा खाना और भी बहुत से कारण हैं। जैसे यदि आपका पेट बहुत ज्यादा बढ़ रहा है तो आप यही सोचेंगे की यह मोटापे की वजह से हो रहा होगा। क्या आप जानते है लिवर के ख़राब होने से भी पेट पर बहुत सूजन आने लगती है, जिसकी वजह से पेट फूलने लगता है। इन्ही बातों को ध्यान रखते हुए यह लेख लिखा गया है। आइये जानते है लिवर की खराबी के लक्षणचेहरे पर धब्बे : कभी-कभी चेहरे की रंगत पीली पड़ने लग जाती है और चेहरे पर सफ़ेद धब्बे पड़ने लगते हैं। यदि आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो यह अच्छा संकेत नहीं है। ऐसी स्तिथि में डॉक्टर से संपर्क आवश्य करें ।

आँखों में पीलापन : यदि आँखों का सफ़ेद भाग, पीला पड़ने लग जाए तो यह भी परेशानी का सबब हो सकता है। आँखों के पीले पड़ने को नज़रअंदाज़ ना करे, यह कोई गंभीर रूप ले सकती है। लिवर की खराब होने पर आँखों सा सफ़ेद रंग पीला पड़ने लगता है और नाख़ून भी पीले पड़ने लगते हैं।

स्वाद ना आना : यदि आपको खाने में कोई स्वाद महसूस नहीं होता। आपसे खाना नहीं खाया जाता तो यह भी ध्यान देने वाली बात है। लिवर में एक एन्ज़ाइम होता है जिसे बाइल कहते है जो की बहुत कड़वा होता है। लिवर के ख़राब होने पर, बाइल मुँह तक पहुँचने लगता है जिसकी वजह से मुँह का स्वाद ख़राब हो जाता है।

मुँह से बदबू : मुँह में अमोनिया की मात्रा बढ़ जाने के कारण मुँह से बदबू आने लगती है। लिवर में खराबी के कारण ऐसा होने लगता है, मुँह की बदबू को नज़र अंदाज़ ना करें, यह एक गंभीर रूप ले सकती है।

थकान भरी आँखें और डार्क सर्कल : यदि आपकी हमेशा थका-थका सा महसूस होता है। आप रात में जितनी भी नींद क्यों ना लें आपको यही लगता है कि आपकी नींद पूरी नहीं हुई है। आँखों में डार्क सर्कल होने लगते हैं और आँखे सूजने लगी हो तो यह अच्छा संकेत नहीं है।

पाचन तंत्र कमज़ोर : लिवर में खराबी का सबसे बड़ा लक्षण यह है कि आपका हाज़मा ठीक नहीं रहता। यदि आप ज़्यादा मिर्च मसाले खा लेते हैं तो सीने में जलन होने लगती है। हाज़मे की खराबी, लिवर में प्रॉब्लम को दर्शाती है। लीवर साफ करने का सही तरीका और घरेलु उपाय :सेब का सिरका : सेब का सिरका रोज खाना खाने के साथ खाना चाहिये। क्योंकि इससे हमारा लीवर साफ सुथरा हो जाता है। सेब का सिरका हमारे लीवर को साफ करने में एक बहुत ही बड़ा रोल अदा करता है।

किशमिश : सबसे पहले किशमिश को धो लें और एक पैन में 2 कप पानी उबाल कर इसमें 150 ग्राम किशमिश डाल कर रात भर भिगोएं। सुबह इसको छान कर हल्का गुनगुना करें और खाली पेट पी लें। इसका सेवन करने के 25-30 मिनट बाद नाश्ता कर लें। इससे लीवर और किडनी साफ दोनो साफ़ होते है। डायबिटीज के रोगी इसके इस्तेमाल से परहेज करें। इसका सेवन एक महीने में सिर्फ चार दिन ही करें और इस दौरान शक्कर का इस्तेमाल थोड़ा कम कर दें।

शहद और पानी : हमें सुबह लहसुन खाने के बाद शहद मिले गुनगुने पानी को पीना चाहिए। गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर और फिर उसे दो लहसुन खाने के बाद पीले। क्योंकि शहद में मिला गुनगुना पानी हमारे लीवर को साफ रखता है।

लहसुन : हमें रोज सुबह उठकर खाली पेट दो लहसुन खानी चाहिए। हमे लहसुन खाने के बाद हमें एक दो गिलास पानी पीना चाहिए। क्योंकि लहसुन हमारे लिवर को साफ रखता है। बीमारियों से बचाए रखता है।तो मित्रों हमें अपने लिवर की सफाई 30 दिन में एक बार अवश्य करनी चाहिए। क्योंकि हमारे शरीर का पूरा स्वास्थ्य लीवर से जुड़ा हुआ है। हमारा लीवर पाचन तंत्र से खून को फिल्टर करने का काम करता है। इस प्रकार हम अपने लीवर को साफ रखकर अनेक बीमारियों से बच सकते हैं।

नींबू : एक कागजी नींबू (अच्छा पका हुआ) लेकर उसके दो टुकड़े कर लें। फिर बीज निकालकर आधे नीबू के बिना काटे चार भाग करें पर टुकड़े अलग-अलग न हो। तत्पश्चात् एक भाग में काली मिर्च का चूर्ण, दूसरे में काला नमक (अथवा सैधा नमक), तीसरे में साँठ का चूर्ण और चौथे में मेिश्री का चूर्ण (या शक्कर चीनी) भर दें। रात को प्लेट में रखकर ढंक दें। प्रातः भोजन करने से एक घंटे पहले इस नींबू की फॉक (टुकड़ा) को मन्दी आंच या तवे पर गर्म करके चूस लें।

जामुन : जामुन के मौसम में 200-300 ग्राम दिया और पके हुए जामुन प्रतिदिन खाली पेट खाने से जिगर की खराबी दूर हो जाती है।

हरूड के छिलके और गुड : जिगर (यकृत) व तिल्ली (प्लीहा) दोनों के बढ़ने पर पुराना गुड़ डेढ़ ग्राम और बड़ी (पीली) हरूड के छिलके का चूर्ण बराबर वजन मिलाकर एक गोली बनायें और ऐसी गोली दिन में दो बार प्रातः सायं हल्के गर्म पानी के साथ एक महीने तक लें। इससे यकृत (Liver) और प्लीहा (Spleen) यदि दोनों ही बढ़े हुए हों, तो भी ठीक हो जाते हैं। विशेष-इसके तीन दिन के प्रयोग से अम्लपित्त का भी नाश होता है। कुछ विशेषआवश्यकतानुसार 15 दिन से 21 दिन लेने से लीवर सहीं होगा। इससे यकृत विकार ठीक होने के साथ पेट दर्द और मुँह का जायक ठीक होगा, भूख बढ़ेगी, सिरदर्द और पुरानी से पुरानी कब्ज दूर होगी।

ये यकृत के कठोर और छोटा होने के रोग (Cirhosis of the liver) में अचूक है। पुराना मलेरिया, ज्वर, कुनैन या पारा के दुव्यवहार, अधिक मद्यपान, अॅधिक मिठाई खाना, अमेधिक पेचिश के रोगाणु का यकृत में प्रवेश आदि कारणों से यकृत रोगों की उत्पति होती है। बुखार ठीक हो जाने के बाद भी यकृत की बीमारी बनी रहती है और यकृत कठोर एवं पहले से बड़ा हो जाता है। रोग के घातक रूप लेने पर युकृत का संकोचन (Cirrhosis of the॥ver) होता है। यकृत रोगों में ऑखें व बिगड़ा स्वाद, दाहिने कंधे के पीछे दर्द, शौच ऑवयुक्त कीचड़ जैसा होना, आदि लक्षण प्रतीत होते हैं।

Leave a Reply