दुर्ग: Student Teacher Sex करीब नौ साल पहले लिखना शुरु हुआ था जुर्म का ये खूनी हलफनामा, जो पहले मोहब्बत से भीगा हुआ था। तब उन्नीस साल का बांका नौजवान एक स्टूडेंट के रुप में पढ़ाई करने अंबिकापुर से भिलाई पहुंचा था। उनचास साल की कोचिंग टीचर के घर वो पेइंग गेस्ट बनकर रहने लगा। वो लड़का पढ़ने तो बीकाम का कोर्स आया था, लेकिन मैडम ने उसे ‘बीए पास’ बना दिया।
Student Teacher Sex वो साल 2017 थी और अक्टूबर महीने की चौदह तारीख। उनचास साल की कुलदीप कौर भिलाई के सिविक सेंटर इलाके में एक कोचिंग इंस्टीट्यूट चलाती थी। उस दिन दोपहर करीब तीन बजे वो घर से ब्यूटी पार्लर जाने के लिए अपनी कार से निकली। फिर वापस नहीं लौटी। इंतजार की दोपहर से शाम घिर आई। आशंकाओं के गहरे अंधेरे पसर गए। लेकिन मैडम वापस घर नहीं लौटी।
15 अक्टूबर की सुबह भिलाई नगर थाना में रुआबांधा सेक्टर निवासी जसविंदर सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई। 49 साल की कुलदीप मुथरा के लापता होने की सूचना पर गुमशुदगी दर्ज कर पुलिस तलाश में जुट गई। शहर और जिले के दूसरे थानों को कुलदीप की डिटेल बताते हुए इत्तला दी गई कि इस हुलिया की कोई महिला कहीं मिले या दिखे तो बताया जाए।
पुलिस की तफ्तीश चल ही रही थी कि उतई के पास नहर किनारे लाश पड़ी होने की खबर आ गई। पुलिस के साथ परिजन पहुंचे तो शक सच में बदल गया। लाश कुलदीप की ही थी। लाश की हालत और घटनास्थल की परिस्थितियों से साफ था कि हत्या कहीं और की गई। फिर लाश यहां लाकर फेंकी गई। पोस्टमार्टम में हत्या की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने FIR दर्ज किया।
तफ्तीश का सिलसिला शुरू हुआ। तब दुर्ग रेंज के आईजी दीपांशु काबरा थे। उन्होंने अंधे कत्ल की गुत्थी सुलझाने के लिए तत्कालीन एडिशनल एसपी शशिमोहन सिंह के साथ स्पेशल टीम बनाई। पुलिस ने कत्ल का क्लू हासिल करने के लिए शहर और आसपास के इलाकों के करीब 400 CCTV कैमरे के फुटेज खंगाले। साथ ही 30-40 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। तफ्तीश के दौरान पुलिस को पता चला कि कुलदीप कौर का कोचिंग इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाले किसी मनीष यादव नाम के स्टूडेंट से नाजायज रिश्ता था।
पुलिस ने दोनों के मोबाइल की कॉल डिटेल और CDR निकालवाई। खुलासा हुआ कि साल 2015-16 के बीच अंबिकापुर के मनीष यादव और कुलदीप कौर के बीच काफी बातचीत होती थी। लेकिन इसके बाद दोनों में कांटैक्ट नहीं हुआ। लेकिन एक बात पुलिस को खटक गई कि हत्या वाले दिन मनीष और कुलदीप की बातचीत तो नहीं हुई थी। लेकिन दोनों के मोबाइल की लोकेशन एक ही थी।
मनीष की डिटेल खंगालने पर पता चला कि वो गांधीनगर अंबिकापुर में रहता है और साल 2014 में पढ़ाई के लिए भिलाई आया था। पुलिस ने हिरासत में लेकर मनीष से पूछताछ की तो उसने पूरी बात बता दी। कुलदीप कौर के घर पेइंग गेस्ट बनकर पढ़ते हुए उनचास साल की मैडम ने बीकॉम का कोर्स करने आए मनीष को.. ‘बीए पास’ बना दिया।
कोचिंग में पढ़ रहे गठीले बदन वाले स्टूडेंट पर नजर पड़ते ही मैडम के अरमानों को मानों परवाज लग गए। दिल काबू में न रहा। बिना देर किये उसने छात्र मनीष यादव से अपने जज्बातों का इजहार कर दिया। अंबिकापुर का रहने वाला मनीष था तो अच्छे परिवार से लेकिन बदन से फूट रही उसकी जवानी भी मैडम की प्यासी आंखों की अपील को ठुकरा न सकी। हवस के आगे उम्र का दायरा भी सिमटकर रह गया।
शुरूआत में कुछ दिन तक तो मनीष को ये सब नयी उम्र की मौज मस्ती का हिस्सा लगा। युवा मनीष की जिंदगी में कुलदीप से पहले कोई और नहीं था। लिहाजा पहले पहल तो उसे इस आग से खेलना अच्छा लगा। उसकी जिस्मानी जरुरत और मैडम के हवस ने सारी शर्मो-हया की दीवार तोड़ दी। लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया, जब मनीष का मन कुलदीप से उचटने लगा।
वक्त के साथ मनीष को समझ आ गया कि मैडम तो उसके बदन को जिस्मानी आग बुझाने की मशीन समझ रही है। धीरे-धीरे मनीष ने जब इस बेमेल रिश्ते से पीछा छुड़ाने की कोशिश की तो कुलदीप को ये बेहद नागवार गुजरा। उसने मनीष को साफ हिदायत दी की वो उसे यूं छोड़ नहीं जा सकता। वो जैसा कहेगी उसे करना होगा। ऐसा न करने पर कुलदीप मनीष को बेइज्जत भी करती थी।
2015 में कोचिंग कम्प्लीट होने के बाद मनीष वापस अंबिकापुर लौट गया। लेकिन कुलदीप की जिंदगी से ज्यादा दूर नहीं हो सका। जब जी चाहे कुलदीप उसे वॉट्सएप पर कॉल करती। मैसेज करती और फिर से मिलने के लिए बुलाती। जब भी मौका मिलता, मनीष भिलाई आता था। दोनों की मुलाकातें भी होती थीं। मनीष उससे बिलकुल भी नहीं मिलना चाहता था। लेकिन कुलदीप के दबाव के आगे वो हर बार खुद को सरेंडर कर देता था।
हत्या से एक दिन पहले 14 अक्टूबर 2017 को मनीष अपने दो दोस्तों अभय सिंह और योगिता तिग्गा के साथ भिलाई पहुंचा। तीनों मिलकर भिलाई में एक कैफे डालना चाहते थे। जब कुलदीप को मनीष के भिलाई आने का पता चला तो उसने उसे मैसेज करना शुरू कर दिया। बार-बार कुलदीप के कहने पर मनीष उससे मिलने के लिए राजी हो गया।
थोड़ी दूर चलने के बाद उसे पावर हाउस ओवरब्रिज के पास मनीष मिल गया। कुलदीप ने कार से उतरकर मनीष को ही ड्राइव करने को कहा। कार की ड्राइविंग सीट पर बैठते ही बाजू की सीट पर बैठी कुलदीप ने गाड़ी के अंदर ही उसके जिस्म से खेलना शुरू कर दिया। मनीष ने मना किया। लेकिन कुलदीप कहां मानने वाली
थी। वो मनीष को कभी ऐसा करने, कभी वैसा करने के लिए कहती रही।
मनीष ने ऐतराज जताया, लेकिन कुलदीप किसी भी तरह उसका इनकार सुनने के मूड में नहीं थी। फिर एक सूनी जगह देखकर मनीष ने टॉयलेट करने का बहाना बनाया और कार से उतर गया। थोड़ी देर बाद वो पूरी तैयारी के साथ लौटा। कार की पिछली सीट खोलकर उसने सामने बैठी कुलदीप के गले का दुपट्टा खींचकर कस दिया। कुलदीप छटपटाकर रह गई। कुछ ही देर में उसकी सांसें उखड़ गईं।
कुलदीप की लाश को कार की सीट के नीचे लिटाकर मनीष ने ऐसा रख दिया कि किसी को दिखाई न दे। फिर वो ड्राइविंग सीट पर बैठा और गाड़ी लेकर निकल पड़ा। काफी देर ड्राइव करने के बाद उतई में नहर के किनारे उसे एक सुनसान जगह दिखाई दी। जहां रुककर उसने लाश को फेंक दिया। मनीष मैडम की कार लेकर वापस लौट गया।
15 अक्टूबर को कुलदीप की लाश उतई में नहर किनारे फेंकने के बाद मनीष यादव उसकी नई कार लेकर अंबिकापुर की ओर रवाना हो गया। उससे बस यहीं चूक हो गई। कार की तस्वीर बेमेतरा के रास्ते में एक CCTV कैमरे में कैद हो गई। पुलिस को ये फुटेज मिले और वो आगे बढ़ते-बढ़ते अंबिकापुर पहुंच गई। इधर अंबिकापुर पहुंचकर मनीष ने कार की पहचान और अपना गुनाह छुपाने के लिए सफेद रंग की गाड़ी पर काला रंग चढ़ा लिया था।
गाड़ी पेंट करने वाला ऑटो गैरेज का मालिक उसका दोस्त था। मनीष पहले भी अपनी तीन और गाड़ियों का रंग बदल चुका था। लिहाजा पेंटर को उस पर कोई शक नहीं हुआ। लेकिन लहू का काला रंग कानून की नजरों से छुप नहीं सका। मनीष ने पूछताछ में पहले तो पुलिस को गुमराह किया। लेकिन पुलिस के पास पुख्ता कॉल डिटेल और CCTV फुटेज में वो अपने जुर्म पर ज्यादा देर तक परदा डालकर नहीं रख पाया। आखिरकार उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया।
छह साल तक चले मुकदमे, पेशी, गवाहों के बयान और सबूतों के मद्देनजर दुर्ग जिला अदालत ने आरोपी मनीष यादव को 2023 के सितंबर महीने में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यानी मनीष की सारी उमर सलाखों के पीछे गुजरेगी। इक्कीस साल के मनीष को उम्रदराज महिला से बेमेल रिश्ता बनाने की तो कुलदीप कौर को उसकी बेकाबू जिस्मानी जरूरतों की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। अगर कुलदीप ने अपनी उम्र के साथ टीचर और स्टूडेंट के रिश्ते की मर्यादा का ख्याल रखा होता तो जरायम में जुर्म की ये सनसनीखेज दास्तान दर्ज ही नहीं होती।
नाजायज रिश्तों के खून से सने इस हलफनामे में दो जिस्मों की उमर के बीच 30 साल का फासला था। लेकिन जब ढलते जिस्म पर जवां हसरतें लिए लहू दौड़ रहा हो, तो तन की प्यास कब मौत के मुकाम तक ले आती है पता ही नहीं चलता। एक जिंदगी तो खत्म हो गई और दूसरी खत्म होने के लिए काल कोठरी पहुंच गई है। लेकिन बीकॉम की बजाय बीए पास होने का अंजाम कुछ ऐसा ही होता है।