अमित मालवीय ने कोलकाता हाईकोर्ट में सुनवाई का एक वीडियो साझा करते हुए यह आरोप लगाए। इसमें याचिकाकर्ता के वकील जो मामले की सीबीआई जाँच की माँग कर रहे थे, वह कमिश्नर विनीत गोयल की भूमिका पर सवाल उठाते हैं और अतीत में इसी तरह के एक मामले में उनकी संलिप्तता का हवाला देते हैं। वह कहते हैं कि जैसे 10 साल पहले कामदुनी मामले में आरोपित छूटे थे। वैसे इस मामले में भी छूटेंगे क्योंकि आज जो कोलकाता के पुलिस आयुक्त हैं वो उस समय सीआईडी के महानिरीक्षक थे।
वकीलों ने बताया कि आज कोलकाता मामले को सीबीआई को सौंपने के लिए पहले 7 दिन का समय माँगा गया। फिर कम से कम 24 घंटे माँगे गए। 10 साल पहले भी उनकी (विनीत गोयल) उनकी गड़बड़ी के कारण आरोपित बरी हो गए थे। वकीलों ने कहा कि इस मामले को भी छिपाने के लिए वही हथकंडा अपनाया गया है।
मालवीय ने इसी सुनवाई की क्लिप को साझा कर कहा, “कोलकाता पुलिस के कमिश्नर विनीत कुमार गोयल से मिलिए। सीआईडी के महानिरीक्षक के तौर पर वे बहुचर्चित बलात्कार और हत्या मामले में जाँच अधिकारी थे।”
बता दें कि आर जी कर मामले में विनीत गोयल पर उठ रहे वालों के बीच चर्चा में आया कामदुनी मामला कोई सामान्य केस नहीं था। 7 जून 2013 को कामदुनी गाँव में 20 साल की एक द्वितीय वर्ष की छात्रा अपने कॉलेज का एग्जाम देकर स्टेशन से अकेले घर लौट रही थी। वहीं सैफुल, अंसार अली समेत 9 की नजर उस पर पड़ी। उन्होंने उसे छेड़ना शुरू किया लेकिन लड़की उन्हें इग्नोर करके आगे बढ़ने लगी। लड़की का यूँ नजरअंदाज करना उन्हें पसंद नहीं आया और फिर वो उसे पकड़कर खेत में ले गए। खेत में उन्होंने लड़की के साथ क्या किया ये सुनकर शायद किसी की भी रूह काँप जाए।
मीडिया में मौजूद जानकारी बताती है कि आरोपितों ने उसके साथ न केवल गैंगरेप किया बल्कि उसे तड़पा-तड़पा कर मारा। उन्होंने लड़की के साथ हैवानियत इतनी दिखाई कि उसके प्राइवेट पार्ट को रेप के दौरान फाड़ दिया गया। इसके अलावा उसकी टांग खींचकर नाभि तक चीर दी गई और उसे फेंकने से पहले वो जिंदा न बचे इसके लिए उसके गले को रेता गया।
लड़की के भाई ने इस मामले में बताया था कि जब वो खुद कामदुनी से लौट रहा था तो उसने आरोपितों को रास्ते में देखा था। अंसार अली और सैफुल बात कर रहे थे- “आज मजा बड़ा आया, अब घर चलना चाहिए।” इनके बाद उसने बाकी 6 लोगों को भी देखा था। लेकिन तब उसे कुछ पता नहीं था।
खबरों के अनुसार, जब लड़की का शव अगले दिन बरामद हुआ तो लड़की अधनंगी थी। उसके साथ हुई वीभत्सता को देख इस मामले का खूब विरोध हुआ था। उसकी सहेलियाँ दिल्ली तक आईं। लोगों का रोष देख फिर ये मामला सीआईडी को सौंपा गया। जाँच में आरोपितों के अपराध का खुलासा हुआ।
लोगों ने उस केस की तुलना वीभत्सता के मामले में दिल्ली के निर्भया से की थी। वहीं अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश संचिता सरकार की अदालत ने इस मामले को देख इसे ‘Rarest Of the Rare (दुर्लभतम से भी दुर्लभतम)’ कहा था। पिछले साल 2023 तक उस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। अंत में मामले के 9 आरोपितों में से सिर्फ 2 को आजीवन कारावास की सजा मिली, जबकि बाकी छूट गए। इसे भी जरूर पढ़ें –