
योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष अजय सिंह तोमर का कहना है कि ताजमहल महादेव का मंदिर है। सावन का पवित्र महीना है। ऐसे में तेजोमहालय में वे जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मंगलवार को उनके अभिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने न्यायाधीश के समक्ष अपना पक्ष रखा। इस पर सुनवाई के बाद लघुवाद न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव ने प्रतिवादी एएसआई अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल को सम्मन और नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं।
क्या है याचिकाकर्ता का तर्क
याचिकाकर्ता योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर का कहना है कि सावन का महीना करोड़ों हिंदुओं की आस्था से जुड़ा है। भगवान शिव की आराधना का पर्व है। तेजोमहालय (ताजमहल) भगवान शिव का मंदिर है। इसमें जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक होना चाहिए। तेजोमहालय को साल 1212 में राजा पर्मादिदेव द्वारा बनवाया गया था, उनके बाद राजा मानसिंह ने इसे अपना महल बनाया। तभी भी मंदिर को सुरक्षित रखा गया। बाद में मुगलों का शासन आया, उस दौरान शाहजहां ने राजा मानसिंह से ताजमहल तेजोमहालय को हड़प लिया।
ताजमहल में नहीं है मुमताज की कब्र
याचिकाकर्ता कुंवर अजय तोमर का तर्क है कि ताजमहल में शाहजहां और मुमताज की कोई कब्र नहीं है। ये सफेद झूठ है। मुमताज का निधन साल 1631 में हो गया था, जबकि ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ, तो किसी भी मृत शव को 1 साल बाद नहीं दफनाया जा सकता है। इनका कहना है कि मुमताज की असल कब्र मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में है। मुमताज को ताप्ती नदी के किनारे दफनाया गया था। इसके साक्ष्य आज भी मौजूद हैं। मुगलों ने भारत में आकर मंदिरों को तोड़ा और उनके ऊपर मकबरे बना दिए।
उर्स पर उठे सवाल
याचिकाकर्ता का कहना है कि ताजमहल पर धार्मिक आयोजन की रोक है। इसके बावजूद भी मुस्लिम समुदाय के आयोजन होते हैं। शाहजहां का उर्स मनाया जाता है। हर शुक्रवार को नमाज अदा होती है। उर्स में हजारों लोग ताजमहल में निशुल्क जाते हैं, लेकिन भारत में हिंदुओं के साथ न्याय नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा है कि न्यायालय से दुग्धाभिषेक और जलाभिषेक की मांग की है। अगर अनुमति मिलती है तो वे भगवान शिव की आराधना करेंगे।
पूर्व में दायर की थी याचिका
अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि पूर्व में भी शिवरात्रि को लेकर 4 मार्च 2024 को वाद दायर किया गया था। न्यायालय द्वारा धारा 80 सीपीसी की छूट न देते हुए खारिज कर दिया गया। बाद में 26 अप्रैल 2024 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल को धारा 80 सीपीसी का नोटिस भेजा गया था। इसका जवाब न आने पर पुन: जलाभिषेक की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है।