India and Maldives: मालदीव और भारत के सबंध हमेशा से ही दोस्ताना रहे हैं। लेकिन इसी साल जनवरी महीनें में दोनों देशों के रिश्तों में काफी खटास आ गई थी। दरअसल पीएम मोदी ने एक ट्वीट कर लोगों से लक्षद्वीप में घूमने की अपील थी। पीएम का ये ट्वीट इनता वायरल हुआ की मालदीव को भी पीएम का ये ट्वीट बुरा लग गया और वहां के कई मंत्रियों ने भारत के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया।
‘इंडिया आउट’ ही वो अभियान भी था जिसकी वजह से राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू मालदीव की सत्ता में आए, कई लोगों का मानना था कि मुइज़्ज़ू चीन समर्थक हैं। हालांकि अब हवाओं का रुख भी और मालदीव के तेवर भी बदल गए हैं।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में मालदीव की अपनी यात्रा (India and Maldives) पूरी की और इस दौरान दोनों ही देशों ने कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। माले में अपने प्रवास के दौरान, विदेश मंत्री ने भारत और मालदीव के बीच 1,000 सिविल सर्वेंट्स की क्षमता निर्माण पर एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए, जो प्रशासनिक क्षमताओं को सशक्त करेगा। इसके अतिरिक्त, मालदीव में यूपीआई की शुरुआत के लिए भी एक समझौता किया गया, जिससे डिजिटल लेन-देन को सरल बनाया जाएगा।
भारतीय अनुदान सहायता से छह उच्च सामुदायिक विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया, जो मानसिक स्वास्थ्य, विशेष शिक्षा, स्पीच थैरेपी और स्ट्रीट लाइटिंग जैसे क्षेत्रों को कवर करती हैं। इन परियोजनाओं का उद्देश्य मालदीव के सामाजिक और बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करना और स्थानीय लोगों की जीवनशैली को बेहतर बनाना है।
भारत करेगा मालदीव के 28 दीपों में विकास कार्य

विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू ने मिलकर (India and Maldives) मालदीव के 28 द्वीपों में भारत की लाइन ऑफ क्रेडिट सहायता से स्थापित जल और सीवरेज नेटवर्क परियोजना का उद्घाटन किया। इस परियोजना के तहत, मुइज़्ज़ू ने भारत को इन द्वीपों पर विकास कार्य करने की अनुमति प्रदान की, जबकि उनकी सरकार ने पहले भारतीय सैन्य और तकनीकी कर्मचारियों को माले से बाहर निकालने का आदेश दिया था। मुइज़्ज़ू के राष्ट्रपति बनने के बाद, मालदीव में भारतीय सैनिकों को वापस भेज दिया गया था। इसके बावजूद, भारत अपनी ‘नेबरहुड फ़र्स्ट’ नीति के तहत मालदीव के विकास को प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध है।.
अब चीन के साथ नहीं है मालदीव?

मालदीव का भारत की ओर झुकाव (India and Maldives) चीन के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर रहा है, खासकर जब राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू को चीन का समर्थक माना जाता है। हालांकि, चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने हाल ही में कहा कि “चीनी विशेषज्ञों के अनुसार, चीन को मालदीव के साथ कोई विशेष संबंध या सहयोग की इच्छा नहीं है, जबकि भारत इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को बनाए रखने के लिए चीन को एक संभावित खतरे के रूप में प्रस्तुत करता है।” इसके अलावा, मीडिया हाउस सन के अनुसार, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यह पुष्टि की कि भारत अपनी ‘नेबरहुड फ़र्स्ट’ नीति के तहत मालदीव की विकास यात्रा को प्राथमिकता देगा। इसे भी जरूर पढ़ें –