बांदा की शहजादी को दुबई में तीन दिन बाद फांसी होने वाली है. फांसी का समय जैसे जैसे करीब आ रहा है, उसके परिवार की धड़कनें बढ़ गई हैं. शहजादी के पिता ने अब पीएम मोदी से मार्मिक गुहार की है. कहा कि वह दुनिया भर में लोगों को बचा रहे हैं. अब उनकी बेटी को भी बचाएं.
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बांदा से सिद्धार्थ गुप्ता के साथ शम्स ताहिर ख़ान की रिपोर्ट
ये अबुधाबी की अल-वाथबा जेल है. अरबी शब्द अल वाथबा का मतलब है — छलांग… इस वक़्त इस जेल के अंदर जिंदगी और मौत के बीच की एक छलांग को लेकर जंग जारी है. इस जंग में जिंदगी हारती है या मौत जीतती है, इसका फैसला आने में अब एक हफ्ते से भी कम का वक़्त बचा है. 20 सितंबर के बाद की कोई भी एक तारीख़ इस जेल में बंद हिंदुस्तान की शहज़ादी की जिंदगी की ये जंग खत्म कर सकती है. या फिर उसे सचमुच ज़िंदगी बख़्श सकती है. लेकिन जैसे-जैसे तारीख करीब आती जा रही है, शहज़ादी की जिंदगी और जान बख्शे जाने की उम्मीद दम तोड़ती जा रही है. लेकिन अगर शहजादी की जिंदगी और उम्मीद दोनों सचमुच दम तोड़ जाती है, तो ये शहजादी के साथ सबसे बड़ी नाइंसाफी होगी. मुहब्बत में धोखा खाई, धोखे से अबुधाबी ले जाई गई, अबुधाबी में इलाज के नाम पर धोखा खाया, धोखे के हाथों बेची गई, धोखे में घर की नौकरानी बनी और फिर उसी धोखे और फरेब ने उसे क़ातिल बना दिया. अब ऐसे में इतने सारे धोखों के बीच अगर बेकसूर और बेगुनाह शहजादी को गोली मार कर मौत की सजा दी जाती है, तो ये कैसा और कहां का इंसाफ होगा??
जी हां, ये यूपी के उसी बांदा जिले की शहजादी है, जो 19 दिसंबर 2021 को अबुधाबी भेजी गई थी. भेजी क्या, बेची गई थी… अपने ही प्रेमी उजैर के हाथों. तब शहजादी आठ साल की थी, जब किचन में खौलता हुआ पानी चूल्हे से उसके चेहरे पर गिर पड़ा था. चेहरा और शरीर का कुछ हिस्सा जल गया. लेकिन शहजादी ने हिम्मत नहीं हारी. इसके बाद भी अपनी पढ़ाई लिखाई पूरी की, कॉलेज पास किया, गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद के लिए रोटी बैंक नाम के एक एनजीओ से जुड़ गई. शहजादी का एक ही सपना था वो इतने पैसे कमा ले कि प्लास्टिक सर्जरी के जरिए . अपने चेहरे को ठीक करा ले. इसी कोशिश में लगी थी वो. तभी 2020 आया, कोरोना लाने वाला वही मनहूस साल. कोरोना ने सबको घरों में समेट कर रख दिया था. इसी सिमटी हुई दुनिया में मोबाइल के जरिए शहजादी की मुलाकात सोशल मीडिया पर आगरा के रहने वाले उजैर से हुई. उजैर ने शहजादी को उसके उस झुलसे हुए चेहरे के साथ अपनाने का वादा किया. फिर साल 2021 आया, उजैर ने शहजादी को उसके चेहरे का इलाज करने के नाम पर उसे अबुधाबी जाने के राजी कर लिया. करीब 90 हजार और कुछ ज़ेवर लेकर शहजादी अबुधाबी पहुंच गई. अबुधाबी में उजैर ने उसे फूफा और फूफी के घर भेज दिया. फूफी नाजिया अबुधाबी की अल नाहयान यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है. वहां जाने के बाद शहजादी को पहली बार उजैर और उसकी बेवफाई का अहसास हुआ.
UP की शहजादी का क्या था गुनाह?
दरअसल नाजिया ने एक बच्चे के जन्म दिया था. उसे घर में एक काम वाली चाहिए थी. नाजिया ने आगरा में रहने वाला उजैर को ये बात बताई, उजैर ने शहजादी को झांसे में लिया और करीब डेढ़ लाख रुपये में शहजादी को अपनी फूफी के घर नौकरानी बना कर भेज दिया. शहजादी पढ़ी लिखी थी… कुछ दिनों में ही उसे सच्चाई का अहसास हो चुका था. अब वो खुद अपनी नौकरी करना चाहती थी. ताकि पैसे कमा कर चेहरा ठीक कर सके. वो बार-बार नाजिया से बाहर नौकरी करने के लिए इजाजत मांग रही थी. पर नाजिया इतनी सस्ती घरेलू नौकरानी को छोड़ना नहीं चाहती थी. और इसी बीच नाजिया के घर एक हादसा हो गया. 6 दिसंबर 2022 को नाजिया के चार महीने के बच्चे को टीका लगा था. पर टीका लगने के कुछ घंटे बाद ही उसकी मौत हो गई. नाजिया और उसके शौहर ने अस्पताल पर लापरवाही का इल्जाम लगाया. अस्पताल वालों ने पोस्टमार्टम करवा कर सच सामने रखने की बात कही. पर नाजिया और उसके शौहर पोस्टमार्टम के लिए तैयार नहीं हुए और बच्चे की लाश को यूं ही दफ़्ना दिया.
शहजादी पर है एक बच्चे की हत्या का आरोप
बच्चे की मौत के कुछ वक्त बाद अब शहजादी वापस भारत आने की जिद करने लगी. पर पासपोर्ट नाजिया और उसके शौहर के पास था. बच्चे की मौत के ठीक 54 दिन बाद दस फरवरी 2023 को नाजिया ने शहजादी को बुरी तरह पीटा, उसके कपड़े उतारे और बिना कपड़ों के मोबाइल पर उसे शूट किया… इसके बाद उसने धमकी दी कि वो ये कबूल करे कि उसी ने उसके चार महीने के बच्चे को गला घोंट कर मारा है. अगर वो ये जुर्म कबूल नहीं करेगी, तो उसका ये वीडियो यूपी में उसके जानने वालों को भेज कर उसे बदनाम कर देगी. बुरी तरह टॉर्चर के बाद शहजादी वीडियो में ये बात कहती है कि उसी ने उसके बच्चे को मारा है. इसके कुछ देर बाद नाजिया और उसके शौहर शहजादी को गाड़ी में बिठाते हैं और एयरपोर्ट ले जाने के बहाने रास्ते में एक पुलिस स्टेशन में गाड़ी रोक देते हैं. पुलिस वालों को वही वीडियो दिखाते हैं, जिसमें शहजादी बच्चे के क़त्ल की बात कह रही होती है. और इस तरह शहजादी पकड़ी जाती है. अबधाबी की निचली और फिर सबसे बड़ी अदालत में मुकदमा चलता है. दोनों ही अदालतें उसे कसूरवार मानती हैं. और मौत की सजा सुना देती है. शहजादी अब अबुधाबी की अल-वाथबा जेल में थी. एक रोज़ इसी जेल से वो बांदा अपने घर वालों को फोन कर सारी बात बताती है. और तब पहली बार पता चलता है कि 20 सितंबर के बाद शहजादी को कभी भी सजा ए मौत दी जा सकती है.
दुबई की जेल में कैद है यूपी की शहजादी
हालांकि इस केस में दोनों ही अदालतों ने कई अहम चीज़ों को नजर अंदाज किया. जैसे अगर नाजिया और उसके शौहर को ये शक था कि उसके बच्चे का कत्ल हुआ है, तो अस्पताल वालों के कहने पर भी उसका पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया? बच्चे की मौत के 54 दिन बाद नाजिया को कैसे पता चला कि उसके बच्चे की मौत कैसे हुई? बच्चे की मौत की असली वजह क्या थी, ये अदालत चाहती, तो असानी से पता किया जा सकता था. क्योंकि बच्चे की लाश अबुधाबी में ही दफ्नाई गई. लाश को कब्र से दोबारा निकाल कर पोस्टमार्टम के जरिए अब भी उसकी मौत की वजह का पता लगाया जा सकता है. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इतना ही नहीं गरीब शहजादी को वहां ढंग से कोई वकील भी पैरवी करने के लिए नहीं मिला.
अब सवाल ये है कि मुश्किल से हफ्ता भी नहीं बचा है. तो क्या अब भी शहजादी की सजा ए मौत माफ हो सकती है. या रुक सकती है. तो जवाब है, यकीनन ऐसा हो सकता है. शहजादी की जान अब भी बचाई जा सकती है. अब किस्मत का खेल देखिए कि हिंदुस्तान की शहजादी की जान अगर कोई बचा सकता है, तो हिंदुस्तान का ही एक परिवार है. यानी अबुधाबी में रहने वाला आगरा का नाजिया का परिवार. नाजिया चाहे तो शहजादी की जान बच सकती है. कैसे?? आईए आपको पूरा तरीका बताता हूं.
प्यार के झांसे में फंस कर दुबई गई थी शहजादी
ये एसपी सिंह ओबरॉय हैं… पंजाब के रहने वाले ओबरॉय दुबई के एक बड़े बिजनेस मैन हैं. अपेक्स ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक. कंपनी के साथ-साथ ये एक जाने माने सोशल वर्कर भी हैं… सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम से एक ट्रस्ट चलाते हैं. 2010 में एसपी सिंह ओबरॉय की जिंदगी तब पूरी तरह पलट गई, जब इन्हें खबर मिली कि शारजाह में आपसी झगड़े में एक पाकिस्तानी नागरिक के क़त्ल के इल्ज़ाम में 17 हिंदुस्तानियों को मौत की सज़ा दी गई है. उन्होंने इस केस को लड़ा और अपनी जेब से 2.2 मिलियन डॉलर यानी आज के हिसाब से करीब 18 करोड़ रुपये ब्लड मनी की शक्ल में पाकिस्तानी नागरिक के घर वालों को देकर सभी हिंदुस्तानियों को मौत की सजा से बचा लिया.
एसपी सिहं के मुताबिक शहजादी को अब भी मौत की सज़ा से बचाया जा सकता है. यूएई के कानून के हिसाब से अगर बच्चे के मां बाप यानी नाजिया और उसका शौहर शहजादी को माफी दे दे… ये माफी दो तरह की हो सकती है. एक वो शहजादी को सीधे-सीधे माफ कर दे या दूसरा ये कि माफी के बदले ब्लड मनी ले ले. यानी एक ऐसी रकम जिसे लेने के बाद वो शहजादी को माफी देने के लिए राजी हो जाएं.
यूएई में एसपी सिंह का ट्रस्ट मौत की सजा पाए अब तक कुल 142 लोगों को ब्लड मनी दिलवा कर उनकी जान बचा चुका है. इन 142 लोगों में से 82 भारतीय हैं. इसके अलावा 28 पाकिस्तानी. भारत और पाकिस्तान के अलावा एसपी सिंह बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और फिलिपींस के कई लोगों को भी अपने ट्रस्ट के जरिए ब्लड मनी दिलवा कर उन्हें मौत के चंगुल से निकाल चुके हैं.
ये चरैवती कृष्णन बेक है. चरैवती अबुधाबी में ही एक ड्राइवर था. सितंबर 2012 में चरैवती की कार के नीचे आ कर सूडान के एक बच्चे की मौत हो गई थी. केरल के रहने वाले चरैवती को इसके लिए मौत की सज़ा दी गई थी. तब केरल में रहने वाले चरैवती के परिवार ने केरल के ही बड़े बिजनेसमैन और लूलू ग्रुप के चेयरमैन एमए यूसुफ अली से चरैवती की जान बचाने की गुजारिश की थी. बच्चे की मौत के बाद परिवार वापस सूडान चला गया था. युसूफ अली ने अपनी कोशिश से बच्चे के परिवार से संपर्क किया, उसे अबु धाबी लाए. उन्हें समझाया और आखिरकार ब्लड मनी के राजी कर लिया. युसूफ अली ने ब्लड मनी के तौर पर बच्चे के मां बाप को अपनी तरफ से पांच लाख दिरहम यानी करीब सवा करोड़ रुपये दिए. जिसके बाद जून 2021 में नौ साल जेल में गुजारने के बाद चरैवती को रिहा कर दिया गया. और वो वापस अपने घर केरल पहुंच गया.
पीएम मोदी से लगाई मार्मिक गुहार
दरअसल यूएई में शारजाह और अबु धाबी में शरिया लॉ है. दुबई में नहीं है. शरिया क़ानून के हिसाब से ब्लड मनी के तौर पर एक तय रकम मरने वाले के परिवार को देकर सजा ए मौत पाने वाले को मौत की सजा से बचाया जा सकता है. पर इसके लिए जरूरी है. कि जिस शख्स का कत्ल हुआ है, उसका परिवार ब्लड मनी लेकर या बिना ब्लड मनी लिए क़ातिल को माफी दे. माफी देने का हक सिर्फ उसी को है. जैसे शहजादी के केस में शहजादी को मौत से अगर कोई बचा सकता है, तो वो नाजिया और उसका शौहर ही है. क्योंकि इन दोनों ने शहजादी पर अपने बेटे के क़त्ल का इल्जाम लगाया… एसपी सिंह ओबरॉय के मुताबिक अगर शहजादी को बचाने के लिए बात ब्लड मनी तक आती है, तो उनकी संस्था इसमें भी मदद कर सकती है. इस बीच अरबियन टाइम्स ने भी यूएई की सरकार से शहजादी के लिए रहम दिखाने की अपील की है. अरबियन टाइम्स ने इस अपील में ये भी कहा है कि शहजादी धोखे और मानव तस्करी का शिकार हुई है.