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Ravan Ki Sikh : रामायण हिन्दू धर्म का पवित्र धर्म हैं. उसमें भगवान राम और रावण का युद्ध प्रमुख हैं. रामायण में भगवान राम के हाथों से रावण का अंत हुआ था. रावण एक महान पंडित होने के साथ ही भगवान शिव का परम भक्त था. भगवान शिव ने उन्हें अनेक वरदान दिए थे. युद्ध के दौरान भगवान राम के हाथों से रावण ने भगवान राम के भाई लक्ष्मण जी को जीवन की कुछ सीख (Ravan Ki Sikh) बताई थीं. जब रावण रणक्षेत्र में राम भगवान के हाथों को मरणासन्न अवस्था में धारण कर रहा था. उस समय भगवान राम ने लक्ष्मण से कहा था कि रावण महाज्ञानी तुम उसके पास जाओ और कुछ शिक्षा लो.
रावण से जानने वाली तीन महत्वपूर्ण बातें
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तब लक्ष्मण मरणासन्न में पड़े रावण के पास गए और रावण के सिर के पास खड़े हो गए. तब रावण ने कुछ नहीं कहा. ये बात लक्ष्मणजी ने रामजी को बताई. तब भगवान ने कहा था कि यदि किसी से ज्ञान प्राप्त करना हो तो उसके चरण के पास होना चाहिए. यह बात दंग रह गई लक्ष्मण फिर से रावण की ओर रुख कर गए. उस समय रावण ने लक्ष्मण को सर्वनाश से भागने के लिए बताई तीन बातें जो आज भी महत्व रखती है.
पहली सीख
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मरणासन्न रावण ने लक्ष्मण जी को सबसे पहली सीख (Ravan Ki Sikh) दी ये दी कि शुभ कार्य को करने में एक क्षण की भी देरी नहीं करनी चाहिए. जितना जल्दी हो सके शुभ कार्य को पूरा कर लेना चाहिए. क्योंकि जीवन का किसी को पता नहीं कि कब ख़त्म हो जाए तो शुभ कार्य को बिना विलंबित आवर्ती कर लेना चाहिए और अशुभ कार्य को कम से कम थोड़ा टाला जा सकता है. यानी अशुभ कार्य नहीं करना चाहिए.
दूसरी सीख
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दूसरी सीख (Ravan Ki Sikh) लंकापति रावण ने अपने अंतिम समय में दी कि कभी भी रोग या शत्रु को छोटा नहीं समझना चाहिए. क्योंकि एक छोटा सा रोग भी मृत्यु का कारण बन सकता है, उसी प्रकार आपके मित्र शत्रु भी आपके विनाश का कारण बन सकते हैं. रावण ने भी भगवान राम और उनकी वानर सेना को अपना समरूप छोटा समझा था. उसकी यही सहजता उसके विनाश का कारण बनी थी.
तीसरी सीख
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तीसरी सीख तीसरी और आखिरी सीख (Ravan Ki Sikh) जो रावण ने लक्ष्मण जी को दी थी वह सबसे महत्वपूर्ण है. रावण ने लक्ष्मण जी को दी तीसरी सीख जिसमें बताया था कि जीवन का राज हमेशा गुप्त ही रखना चाहिए. वे कभी भी किसी दूसरे को नहीं बता सकते. भला ही कोई कितना भी प्रिय या निकट संबंधी हो भूलकर भी अपना राज किसी और को ना बताना चाहिए. ये है वो तीन बातें जो रावण ने लक्ष्मण को कही थी. ये वो बातें हैं जिनके कारण रावण हार गया और दुखी हो गया.
रावण था शिव भक्त और प्रकांड पंडित
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ऐसा कहा जाता है कि रावण प्रकांड पंडित हुआ था लेकिन ये तीन गलतियां करके वो मृत्युशय्या तक पहुंच गया था. आज भी ये बातें सीखने लायक ही हैं, इसलिए हमें इन तीन बातों (Ravan Ki Sikh) का ध्यान अपने जीवन में जरूर रखना चाहिए. रावण के अमर होने का राज उसकी नाभि में छिपा हुआ अमृत था इस गुप्त राज रावण के भाई विभीषण को पता था. रावण ने अपने भाई को अपना समझकर उसे ये बताया और बाद में विभीषण ने ही अपने भाई को मौत के घाट उतरवाया था.