
भारत को लेकर पिछले 10 अमेरिकी राष्ट्रपति का रूख क्या रहा?
बस एक दिन बाद, 20 जनवरी को, डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं. उनकी वापसी से पहले ही वैश्विक राजनीति में चर्चाओं का दौर तेज है, खासकर उनकी विदेश नीति को लेकर. भारत के लिए यह खासतौर पर अहम है क्योंकि ट्रंप का दूसरा कार्यकाल भारत-अमेरिका संबंधों को किस दिशा में ले जाएगा, यह सवाल हर किसी की जुबान पर है.
डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अक्सर “अच्छा दोस्त” कहा है, लेकिन उनकी भारत नीति हमेशा दोस्ताना नहीं रही. दरअसल, सिर्फ ट्रंप नहीं बल्कि अमेरिका के हर राष्ट्रपति ने भारत के साथ अपने रिश्ते अलग-अलग तरीके से निभाए हैं. रिचर्ड निक्सन की पाकिस्तान-झुकाव वाली नीतियों से लेकर बराक ओबामा और जॉर्ज डब्ल्यू बुश की दोस्ताना नीतियों तक, हर राष्ट्रपति का भारत को लेकर नजरिया अलग रहा है. तो ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले, एक नजर डालते हैं कि बीते 10 अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने भारत के साथ कैसे रिश्ते निभाए?
1. रिचर्ड निक्सन (1969-1974) – रिपब्लिकन
आज भारत और अमेरिका करीबी दोस्त और व्यापारिक साझेदार हैं, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब अमेरिका का झुकाव पाकिस्तान की तरफ था. 37वें अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन पाकिस्तान के सबसे बड़े समर्थक थे. उनके कार्यकाल का सबसेबड़ा धब्बा था 1971 का पूर्वी पाकिस्तान नरसंहार.
1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान निक्सन ने भारत को धमकाने के लिए बंगाल की खाड़ी में अमेरिकी नौसेना भेज दी थी. 1974 में भारत के पहले परमाणु परीक्षण के बाद उन्होंने भारत पर कड़े प्रतिबंध लगाए. इसके अलावा, निक्सन का भारत को लेकर व्यक्तिगत रुख भी कड़वा था. उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर अभद्र टिप्पणियां कीं और भारतीय महिलाओं को लेकर भी आपत्तिजनक बयान दिए, जिससे अमेरिका की छवि को गहरी चोट पहुंची.
जब वॉटरगेट स्कैंडल की वजह से निक्सन की कुर्सी चली गई तो उनकी जगह जेराल्ड फोर्ड राष्ट्रपति बने. अमेरिका के 38वें राष्ट्रपति थे. उनके कार्यकाल में भी कुछ सुधार नहीं हुआ दोनों देशों के संबंधों में.
2. जिमी कार्टर (1977-1981) – डेमोक्रेट
जिमी कार्टर, अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति थे. उनके कार्यकाल में भारत-अमेरिका के रिश्तों की जमी बर्फ थोड़ी पिघली. 1971 के युद्ध और पोखरण परमाणु परीक्षण से बिगड़े रिश्तों को सुधारने के लिए उन्होंने भारत का दौरा किया.
उन्होंने भारत की आर्थिक विकास योजनाओं में सहयोग दिया और दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने पर जोर दिया. हालांकि, भारत और रूस की बढ़ती नजदीकियां उन्हें खटकती रहीं.
3. रोनाल्ड रीगन (1981-1989) – रिपब्लिकन
रीगन के समय भारत-अमेरिका संबंध थोड़े बेहतर हुए. इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल में दोनों देशों ने तकनीकी और सूचना के क्षेत्र में सहयोग किया. 1982 में इंदिरा गांधी ने अमेरिका का दौरा किया, जहां रीगन से उनकी बातचीत ने परमाणु ऊर्जा विवादों को कम करने में मदद की.
4. जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश (1989-1993) रिपब्लिकन
अमरीका के 41वें राष्ट्रपति थे जॉर्ज एच. वॉकर बुश. वे 1989 से 1993 तक देश के राष्ट्रपति रहे. बुश ने भारत सरकार के साथ सम्मानजनक रिश्ते बनाए रखने और भारत-पाकिस्तान के बीच स्थायी शांति की कामना की. उनके कार्यकाल के दौरान ही भारत और अमेरिका के बीच डबल टैक्सेशन अवॉयडेंस एग्रीमेंट (DTAA) पर हस्ताक्षर हुए.
यह वो दौर था जब भारत राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा था उनके राष्ट्रपति काल (20 जनवरी 1989 से 20 जनवरी 1993) में भारत में चार प्रधानमंत्री बदले. इसके बावजूद बुश ने भारतीय लोकतंत्र पर पूरा भरोसा जताया. हालांकि पाकिस्तान पर नरम रुख के चलते वह आलोचना का भी शिकार हुए.
5. बिल क्लिंटन (1993-2001) – डेमोक्रेट
क्लिंटन ने भारत के साथ आर्थिक संबंधों को बढ़ावा दिया. लेकिन 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद भारत पर प्रतिबंध लगा दिए. हालांकि, 1999 के करगिल युद्ध के दौरान उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को साफ कहा कि जब तक पाकिस्तानी सेना पीछे नहीं हटती, अमेरिका कोई मदद नहीं करेगा.
क्लिंटन 2000 में भारत आए और यह दौरा भारत-अमेरिका रिश्तों में मील का पत्थर साबित हुआ. पांच दिनों के भारत दौरे के मुकाबले उन्होंने पाकिस्तान में महज कुछ घंटे बिताए, जो अमेरिका की बदली प्राथमिकताओं का संकेत था.
6. जॉर्ज डब्ल्यू बुश (2001-2009) – रिपब्लिकन
बुश के कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंधों का नया अध्याय शुरू हुआ. 1998 के प्रतिबंध हटाने के साथ उन्होंने रक्षा समझौतों को आगे बढ़ाया और संयुक्त नौसैनिक अभ्यासों का आयोजन किया.
उनके कार्यकाल में भारत-अमेरिका परमाणु समझौता हुआ, जिसने भारत को बिना एनपीटी (परमाणु अप्रसार संधि) पर हस्ताक्षर किए वाणिज्यिक परमाणु कार्यक्रम चलाने की इजाजत दी.
7. बराक ओबामा (2009-2017) – डेमोक्रेट
बराक ओबामा ने भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊंचाई दी. उनके कार्यकाल में इंडिया-अमेरिका स्ट्रैटेजिक डायलॉग की शुरुआत हुई. 2010 में भारत दौरे के दौरान उन्होंने संसद को संबोधित करते हुए भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का समर्थन किया. उन्होंने भारत को प्रमुख रक्षा साझेदार का दर्जा दिया और 14.9 बिलियन डॉलर की ट्रेड डील का ऐलान किया.
8. डोनाल्ड ट्रंप (2017-2021) – रिपब्लिकन
डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी 2017 को पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति का कार्यभार संभाला था. ठीक चार दिन बाद 24 जनवरी को उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से बातचीत की थी. उनके कार्यकाल में भारत के साथ संबंध पर मजबूत हुए लेकिन आर्थिक मुद्दों पर तनावपूर्ण रहे. उन्होंने एच1बी वीजा पर सख्ती की.
2018 में स्टील और एल्युमिनियम के आयात पर क्रमश: 25 और 10 फीसदी टैरिफ लगा दिया, भारत को भी इससे छूट नहीं दी गई. लेकिन भारत को क्वाड (QUAD) का हिस्सा बनाकर सामरिक साझेदारी को मजबूत किया. हाउडी मोदी और नमस्ते ट्रंप जैसे आयोजनों ने दोनों देशों के नेताओं के बीच व्यक्तिगत समीकरण को दिखाया.
9. जो बाइडेन (2021-2025) – डेमोक्रेट
जो बाइडेन के कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंध तकनीकी और रक्षा क्षेत्र में नई ऊंचाई पर पहुंचे. उन्होंने भारत में जेट इंजन निर्माण, चिप मैन्युफैक्चरिंग और अंतरिक्ष अनुसंधान में सहयोग के समझौते किए. डिजिटल प्रौद्योगिकी और खनिज आपूर्ति श्रृंखला में साझेदारी से भारत को वैश्विक तकनीकी केंद्र के रूप में उभरने में मदद मिली.
जो बाइडेन जाते जाते भारत के लिए एक अहम घोषणा भी की है. दरअसल बाइडेन ने भारत के तीन टॉप परमाणु संस्थानों पर से बैन हटा लिया है. अमेरिकी उद्योग एवं सुरक्षा ब्यूरो (BIS) ने तीन भारतीय संस्थाओं- भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR) और इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL) को अपनी ‘एंटिटी लिस्ट’ से हटा दिया है. इस फैसले के बाद अमेरिका और भारत के बीच परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा.