
भारतीय नहीं थे सैफ अली खान के पूर्वजImage Credit source: Social media
पटौदी के नवाब अभिनेता सैफ अली खान पर मुंबई में उनके घर में घुसकर हमला किया गया है. इसमें गंभीर रूप से घायल 54 वर्षीय सैफ सर्जरी के बाद खतरे से बाहर हैं. इन सबके बीच सैफ अली के परिवार पर भी चर्चा होने लगी है. आइए जान लेते हैं कि सैफ के परिवार को किससे तोहफे में मिली थी पटौदी की रियासत और क्या है इनका पूरा इतिहास?
वैसे तो देश में नवाबों और राजा-महाराजाओं का अब दौर ही नहीं रहा, फिर भी सैफ अली खान पटौदी के नवाब कहे जाते हैं. दरअसल, उनका परिवार कभी पटौदी रियासत पर राज करता था और खुद उनके पिता औपचारिक रूप से पटौदी के आखिरी नवाब थे. असल में सैफ के खानदान में उनके पिता को लेकर कुल नौ नवाब हुए. 10वें नवाब के रूप में सैफ को भी साल 2011 में पगड़ी पहनाई गई थी. इसमें 52 गांवों के मुखिया शामिल हुए थे. इस सम्मान समारोह में सैफ की मां शर्मिला टैगोर, बहनें सोहा और सबा अली खान भी शामिल हुई थीं.
साल 1804 में हुई थी पटौदी रियासत की शुरुआत
पटौदी रियासत की बात करें तो इसकी शुरुआत साल 1804 में हुई थी. फैज तलब खान को पटौदी की रियासत अंग्रेजों ने तोहफे के रूप में दी थी. इससे पहले साल 1408 में फैज तलब खान के पूर्वज सलामत खान अफगानिस्तान से भारत आए थे. वे पश्तून जाति के थे. साल 1804 में पटौदी रियासत की नींव मराठा-अंग्रेजों के बीच दूसरे युद्ध के बाद हुई थी.
अंग्रेजों की मदद करने पर मिली थी रियासत
बताया जाता है कि जब ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठों के बीच दूसरा युद्ध हुआ तो फैज खान ने अंग्रेजों की मदद की थी. इससे अंग्रेज मराठों के खिलाफ युद्ध में विजयी हुए थे. उन्होंने पुरस्कार के रूप में पटौदी रियासत की स्थापना की और उसे फैज खान को सौंप दिया था. इसके बाद उनके वंशजों ने साल 1949 तक पटौदी पर शासन किया. देश आजाद होने के बाद रियासतों के विलय के दौरान पटौदी रियासत का भी पंजाब में विलय कर दिया गया. तब रियासत के मुखिया मोहम्मद इफ्तिखार अली खान थे. विलय के बाद इनको प्रिवी पर्स दिया गया था. इस तरह से देखा जाए तो इफ्तिखार अली खान पटौदी के अंतिम शासक थे.
ये रहे पटौदी के असली नवाब
फैज तलब खान साल 1804 से 1829 तक पटौदी के नवाब रहे. इसके बाद अकबर अली खान साल 1829 में नवाब बने और 1862 तक रहे. साल 1862 में मोहम्मद अली तकी खान नवाब बने और 1867 तक पटौदी पर शासन किया. उनके बाद मोहम्मद मुख्तार हुसैन खान 1878 तक पटौदी के शासक रहे. फिर मोहम्मद मुमताज हुसैन अली खान ने पटौदी की सत्ता संभाली और 1898 तक नवाब रहे. मोहम्मद मुजफ्फर अली खान 1913 तक, मोहम्मद इब्राहिम अली खान 1917 तक नवाब रहे.
सैफ के पिता थे आखिरी मान्यता प्राप्त नवाब
सैफ अली खान के दादा और पटौदी के अंति नवाब इफ्तिखार अली खान एक क्रिकेटर भी थे. उन्होंने अंग्रेजों के शासनकाल में इंग्लैंड के लिए खेला. देश की आजादी के बाद उन्होंने भारत के लिए भी क्रिकेट खेला. पटौदी रियासत के विलय के बाद वह केवल नाम के नवाब रह गए थे. हालांकि, तब तक नवाब के रूप में मान्यता थी. इफ्तिखार अली खान के बाद उनके बेटे और सैफ अली खान के पिता मंसूर अली खान पटौदी के नवाब बने. वह पटौदी रियासत के आखिरी मान्यता प्राप्त नवाब थे. भारत सरकार ने साल 1971 में संविधान में संशोधन किया, जिससे राजा-महाराजाओं और नवाबों के शाही अधिकार खत्म कर दिए गए. यानी इनके प्रिवी पर्स के अधिकार भी समाप्त कर दिए गए थे. इससे पटौदी की नवाबी भी पूरी तरह से खत्म हो गई.
सैफ अली खान के पिता नवाब मंशूर अली खान पटौदी भी अपने पिता की तरह एक क्रिकेटर थे. उन्होंने केवल 21 साल की आयु में भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी की थी. यही नहीं साल 2004 तक उनके नाम सबसे कम उम्र का कप्तान होने का रिकॉर्ड भी था.
किताब में भी मिलता है जिक्र
वीपी मेनन की एक किताब दै द स्टोरी ऑफ द इंटिग्रेशन ऑफ द इंडियन स्टेट्स. इस किताब में वीपी मेनन ने लिखा है पटौदी उन कई राज्यों में से एक था, जिसे लॉर्ड लेक ने पुरस्कार के रूप में शासक परिवारों के संस्थापकों को सौंपा था. इनके शासकों ने देश को आजादी मिलने के बाद भारत में विलय पर सहमति जताई थी और उसके कागजात पर दस्तखत किए थे. इस तरह से ये भारतीय संघ का हिस्सा बन गए और तब इनको प्रिवी पर्स दिया गया था. प्रिवी पर्स के तहत इन शासकों को हर महीने सरकार की तरफ से अच्छी-खासी धनराशिदीजातीथी.