
कैपिटल हिल में होगा डोनाल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण Image Credit source: Getty Images
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह पर बर्फीले तूफान का साया मंडरा रहा है. प्रतिकूल मौसम और बर्फीले तूफान की आशंका में 20 जनवरी को होने वाला शपथ ग्रहण समाराेह अब खुली जगह के स्थान पर कैपिटल हिल पर स्थित संसद भवन के भीतर होगा. पिछले 40 सालों में यह पहला मौका होगा जब अमेरिकी राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण संसद भवन के भीतर होगा. मौसम वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी की है कि शपथ ग्रहण के दौरान तापमान कम से कम माइनस 7 डिग्री सेल्सियस रह सकता है. आइए जान लेते हैं कि क्या होता है बर्फीला तूफान और यह कितना खतरनाक होता है?
सिल्वर तूफान के नाम से भी जाना जाता
बर्फीले तूफान को सिल्वर तूफान नाम से भी जाना जाता है. यह सर्दी में आना वाला तूफान है, जिसके कारण बर्फीली बारिश होती है. अमेरिका की नेशनल वेदर सर्विस के अनुसार बर्फीले तूफान के कारण खाली स्थान पर कम से कम 6.4 एमएम बर्फ गिरती है. सामान्य तौर पर ऐसे तूफान के दौरान बारिश फ्रीजिंग प्वाइंट से कम तापमान पर होती है, जो बर्फ के रूप में धरती पर गिरती है.
यात्रा करना हो सकता खतरनाक
नेशनल वेदर सर्विस के अनुसार, बर्फीले तूफान के दौरान हवा की रफ्तार 56 किमी प्रति घंटे से अधिक होती है और भारी मात्रा में बर्फबारी होती है. इस दौरान कम से कम तीन घंटे तक दृश्यता 0.4 किमी से कम होती है. ऐसे तूफान के दौरान यात्रा खतरनाक हो जाती है, क्यों चारों ओर बर्फ ही बर्फ दिखती है और कुछ नजर नहीं आता. धरती और आसमान भी बर्फ के कारण सफेद नजर आते हैं. सड़कें बर्फ के कारण बंद हो जाती हैं. कई बार बेहद कम तापमान के कारण लोग हाईपोथर्मिया के शिकार हो सकते हैं.
ऐसे बनते हैं बर्फीले तूफान के हालात
बर्फीले तूफान के लिए तीन चीजों की जरूरत होती है. फ्रीजिंग प्वाइंट से कम तापमान वाली हवा की जरूरत होती है, जिससे बर्फ बनती है. बर्फबारी के लिए बादलों का तापमान और धरती का तापमान दोनों ही कम होना चाहिए. अगर धरती का तापमान अधिक होता है तो बादलों में बनने वाली बर्फ धरती पर आते-आते पिघल कर बारिश का रूप ले लेती है. जिस तरह बारिश के लिए हवा में नमी की जरूरत होती है, वैसे ही बर्फबारी के लिए भी इसकी जरूरत पड़ती है. बेहद सर्दी हवाओं के ऊपर नमी वाली हवा की जरूरत पड़ती है, जो बादल और बर्फ बनाती हैं. अगर ये तीनों चीजों वायुमंडल में प्रचुरता से मौजूद होती हैं तो बर्फीले तूफान के हालात बनते हैं.
दरअसल, उत्तर में जब ठंडी ध्रुवीय हवा और दक्षिण में गर्म उपोष्णकटिबंधीय हवा के बीच एक वायु द्रव्यमान सीमा बनती है तो भारी ठंडी हवा सतह के करीब दक्षिण की ओर बढ़ने लगती है. इसी दौरान गर्म हवा उत्तर की ओर ऊंचाई पर आगे बढ़ती है. इसके कारण शांति के केंद्र में दबाव कम हो जाता है और ठंडी हवा तेजी से गर्म हवा को जकड़ लेती है और दोनों मिल जाती हैं. इसके कारण चक्रवात बनते हैं, जिनके कारण तूफान आता है.
मौसम विभाग ने जताई है आशंका
आमतौर पर अमेरिका में दिसंबर के अंत और जनवरी के शुरू में सर्दी अपने चरम पर होती है. ऐसे में बर्फीले तूफान की आशंका बनी ही रहती है. इस बार नेशनल ओसियन एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने मौसम को लेकर जो पूर्वानुमान जारी किया है, उसके अनुसार अमेरिका में बर्फीले तूफान के चलते बर्फबारी का पिछले एक दशक का सभी रिकॉर्ड टूट सकता है. कंसास से मध्य अटलांटिक तक के क्षेत्र में यह तूफान आ सकता है. आशंका जताई गई है कि इससे बिजली की भारी कटौती का सामना करना पड़ सकता है. दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा. इस दौरान ड्राइविंग करना बेहद खतरनाक होगा. हवाई सेवाएं बंद करनी पड़ेंगी.
किन देशों को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं बर्फीले तूफान?
सर्दियों के तूफान और बर्फीवे तूफान उत्तरी अमेरिका और यूरोप को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका, पूर्वी ओंटारियो, दक्षिण-पश्चिमी क्यूबेक, दक्षिणी न्यू ब्रंसविक, नोवा स्कोटिया और कनाडा समेत उन सभी देशों में बर्फीले तूफान की आशंका रहती है, जहां सर्दी में तापमान फ्रीजिंग प्वाइंट से काफी नीचे जाने की आशंका रहती है और इस दौरान तेज हवाएं चलती हैं. इसमें यूरोप के सभी देश शामिल हैं. यूके, जर्मनी, आस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड और चेक गणराज्य से लेकर अपनी सर्दी के लिए प्रसिद्ध रूस में भी बर्फीले तूफान आने की आशंका बनी रहती है.