
डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी वादेImage Credit source: Scott Olson/Getty Images
डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल (2024) नवंबर में अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव जीता था और अब वह 20 जनवरी को पद की शपथ लेंगे. इसके साथ ही वह कई कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं. इनमें से कई आदेश ऐसे होंगे, जिनके लिए वह अमेरिका की जनता से पहले ही वादा कर चुके हैं. आइए जान लेते हैं कि ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए क्या-क्या वादे किए थे जो अब पूरे करने होंगे?
अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे लोगों पर कार्रवाई
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद पर अपनी दावेदारी के शुरू में आव्रजन के मुद्दे पर पूरा केंद्रित किया था. उन्होंने वादा किया था कि अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे लोगों को देश छोड़ना होगा. वाशिंगटन पोस्ट के एक विश्लेषण में कहा गया है कि साल 2024 के चुनाव के दौरान ट्रंप ने निर्वासन के मुद्दे पर विशेष वादे किए थे. यही नहीं, इन वादों को उन्होंने अपने कार्यकाल के पहले ही दिन लागू करने का वादा भी किया था. उन्होंने कहा था कि उनका प्रशासन पहले ही दिन अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ा निर्वासन अभियान शुरू कर देगा. वादा किया था कि पूर्ववर्ती जो बाइडेन के प्रशासन की खुली सीमा की हर नीति को खत्म कर देंगे.
इससे उम्मीद जताई जा रही है कि वह सबसे पहले इसी मुद्दे पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे और अवैध रूप से रह रहे लोगों के खिलाफ कोई आदेश पारित करेंगे. वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में भी बताया गया है कि अमेरिकी प्रशासन ने डोनाल्ड ट्रंप के पदभार ग्रहण करने के अगले दिन ही शिकागो में बड़े पैमाने पर छापे मारने की योजना बनाई है, जिससे अवैध रूप से रह रहे लोगों को चिह्नित कर कार्रवाई की जा सके.
जन्म से नागरिकता का प्रावधान खत्म होगा
बताया जाता है कि डोनाल्ड ट्रंप ने कसम खाई है कि अमेरिका के राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के साथ ही पहले दिन बच्चों को जन्म से मिलने वाली नागरिकता का प्रावधान खत्म कर देंगे. इसका अर्थ यह है कि अवैध तरीके से बाहर के लोगों को अमेरिका की नागरिकता नहीं मिलेगी. ट्रंप ने मई 2023 में वादा किया था कि नए कार्यकाल के अपने पहले ही दिन मैं संघीय एजेंसियों के लिए एक कार्यकारी आदेश जारी करूंगा कि कानून की सही व्याख्या के जरिए भविष्य में अवैध विदेशियों के भविष्य के बच्चों को खुद-ब-खुद अमेरिका की नागरिकता नहीं मिलेगी. दरअसल, अमेरिका में प्रावधान है कि अगर कोई बच्चा वहां जन्म लेता है तो उसे स्वयं नागरिकता मिल जाती है.
अबॉर्शन पर संघीय कानून नहीं
अमेरिका में अबॉर्शन भी एक अहम मुद्दा है. इसके संवैधानिक अधिकार खारिज सुप्रीम कोर्ट ने खारिद कर दिए हैं. इसे खारिज करने वालों में तीन जज वे थे, जिनको राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने नियुक्त किया था. इसके अलावा चुनाव प्रचार के दौरान भी ट्रंप यह लगातार कहते रहे हैं कि अबॉर्शन के लिए अपनी जरूरत के हिसाब से राज्यों को कानून बनाने चाहिए. डोनाल्ड ट्रंप कह चुके हैं कि वह अबॉर्शन के अधिकार के मुद्दे पर किसी भी तरह के कानून पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे. यानी माना जा रहा है कि अमेरिका में अबॉर्शन के मुद्दे पर कोई संघीय कानून ट्रंप नहीं बनाएंगे और न ही इसको लेकर कोई आदेश जारी करेंगे.
स्कूलों के फंड पर कस सकते हैं नकेल
अमेरिका की शिक्षा प्रणाली पर डोनाल्ड ट्रंप कोई महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं. बताया जाता है कि वह रेस, सेक्सुअल ओरिएंटेशन और जेंडर के बारे में पढ़ाने वाले स्कूलों के खिलाफ कोई आदेश जारी कर सकते हैं. और कुछ नहीं तो पदभार ग्रहण करने के बाद डोनाल्ड ट्रंप पहले ही दिन उन ऐसे स्कूलों के लिए संघीय राशि का प्रवाह रोक सकते हैं. इसके अलावा वह ऐसे शैक्षणिक संस्थानों के लिए भी सरकारी राशि में कटौती करना चाहते हैं जो वैक्सीन या मास्क को जरूरी बनाते हैं.
रूस-यूक्रेन और इजराइल हमास युद्ध रोकना
डोनाल्ड ट्रंप ने साल 2024 में वादा किया था कि अगर वह राष्ट्रपति बने तो 24 घंटे में ही रूस और यूक्रेन के युद्ध को सुलझा देंगे और यह युद्ध पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोमिडीर जेलेंस्की के बीच सबकुछ सुलझा देंगे. अब उनको अपने इस वादे पर भी खरा उतरना होगा.
साथ ही साथ ट्रंप ने हमास-इजराइल युद्ध के बारे में कहा था कि हमास ने अगर 20 जनवरी से पहले बंधक बनाए लोगों को नहीं छोड़ा तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. ट्रंप ने कहा था कि हमारे पास ऐसा युद्ध विराम समझौता है, जिससे बंधकों को तो मुक्त ही किया जाएगा, इजरायल-हमास का युद्ध भी खत्म हो जाएगा. इस मुद्दे पर भी डोनाल्ड ट्रंप को पूरी दुनिया के सामने खुद को साबित करना होगा.
मुस्लिमों देशों से आवागमन पर प्रतिबंध
अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल के पहले दिन उन्होंने एक कार्यकारी आदेश जारी कर कई मुस्लिम देशों से अमेरिका आने पर रोक लगा दी थी. इसे मुस्लिम बैन के रूप में जाना जाता है. इन देशों में लीबिया, सीरिया, यमन और सूडान आदि शामिल हैं. हालांकि जो बाइडेन ने अपने कार्यकाल में इस बैन को हटा लिया था. अपने नए कार्यकाल में ट्रंप ने इस बैन को फिर से लागू करने का वादा किया है. उन्होंने कहा है कि वह शरणार्थियों के प्रवेश पर रोक लगाएंगे. आतंकियों को अपने देश से दूर रखेंगे. सितंबर 2024 में उन्होंने वाशिंगटन डीसी में कहा था कि वह गाजा स्ट्रिप जैसे आतंकवाद प्रभावित इलाकों से शरणार्थियों के आने पर बैन लगाएंगे और अपनी सीमा सील कर यात्रा पर बैन लागू करेंगे.
विदेशी सामान पर अधिक टैरिफ की योजना
डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि वह अपने पहले ही दिन वह बाह्य राजस्व सेवा शुरू करेंगे, जो विदेशी स्रोतों से आने वाले टैरिफ, ड्यूटी और सभी तरह के राजस्व को इकट्ठा करेगी. उन्होंने कई देशों पर टैरिफ बढ़ाने की वकालत भी की थी. जैसे चीन से अमेरिका जाने वाले सामान पर टैरिफ बढ़ाकर 60 फीसदी करने की योजना है. इसके अलावा उन्होंने मेक्सिको और कनाडा को चेतावनी दी है कि अगर वे सीमा पार करने की घटनाओं और ड्रग्स की तस्करी पर रोक नहीं लगाते हैं तो उन पर 25 फीसदी टैरिफ लगा देंगे. ऐसे में देखना होगा कि टैरिफ के मुद्दे पर ट्रंप क्या रुख अपनाते हैं.
सामान महंगे करने वाले रेगुलेशन का खात्मा
ट्रंप इस बात के भी संकेत दे चुके हैं कि वह उद्योगों के लिए डीरेगुलेशन प्रोग्राम ला सकते हैं. वह आरोप लगाते रहे हैं कि बिजनेस के लिए रेगुलेशन प्रोग्राम के चलते अमेरिकी उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ता है. अपने चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप कहते रहे हैं कि एक दिन वह एक ऐसे कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करेंगे, जिससे ऐसे सभी रेगुलेशन खत्म हो जाएंगे, जिनके कारण सामान की कीमतें बढ़ती हैं. यह हमारे देश के इतिहास में रेगुलेशन घटाने वाला सबसे बड़ा फैसला होगा और यह बहुत जल्द होने वाला है.
अफगानिस्तान पर तय करेंगे जवाबदेही
डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी वादा किया है कि वह अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं को वापस बुलाने के फैसले का जिम्मा लेंगे. दरअसल, साल 2020 में ट्रंप ने तालिबान के साथ एक समझौता किया था कि वह अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी सेनाओं को वापस बुला लेंगे. हालांकि, जैसे ही अमेरिकी सेनाएं वापस हुईं, तालिबान ने अमेरिकी सहयोग से बनी अफगानिस्तान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. इसके कारण तमाम मौतें भी हुईं. ट्रंप ने इसके लिए अपने उत्तराधिकारी जो बाइडेन को जिम्मेदार ठहराया था. वैसे रिपोर्ट्स में बताया गया है कि अफगानिस्तान के हालात के लिए ट्रंप और बाइडन दोनों ही जिम्मेदार हैं. इन सबके बीच ट्रंप ने कहा था कि वह ऐसे सभी अधिकारियों के इस्तीफे अपने पहले दिन के कार्यकाल में ही ले लेंगे, जो इसके लिएजिम्मेदारहैं.