Ancestral Property : अब पैतृक संपत्ति पर दावे के लिए मिलेगा इतना समय, इसके बाद हाथ से निकल जाएगी प्रोपर्टी

Ancestral Property : अब पैतृक संपत्ति पर दावे के लिए मिलेगा इतना समय, इसके बाद हाथ से निकल जाएगी प्रोपर्टी

Himachali Khabar, Digital Desk- (Ancestral Property Claim Time) संपत्ति से जुड़े नियम और कानूनों की कमी के कारण लोगों में जानकारी का अभाव होता है, जिससे वे विवाद में फंस जाते हैं। संपत्ति विवाद (property dispute) का एक सामान्य कारण पुश्तैनी संपत्ति है, जिसमें चार पीढ़ियां दावा कर सकती हैं।

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ऐसे मामलों में एक निश्चित समयसीमा होती है, जिसके भीतर दावे करना जरूरी है। यदि निर्धारित समय के बाद दावे नहीं किए जाते हैं, तो पैतृक संपत्ति पर दावे का अधिकार (Right of claim on ancestral property) समाप्त हो जाता है। इसलिए यह जरूरी है कि लोग संपत्ति कानूनों की सही जानकारी रखें ताकि विवादों से बचा जा सके।

कानून के अनुसार, पुश्तैनी संपत्ति पर दावा करने की न्यूनतम अवधि (Minimum period for claiming ancestral property) 12 वर्ष है। यदि किसी व्यक्ति को लगता है कि उसे उसकी पैतृक संपत्ति से गलत तरीके से वसीयत के माध्यम से बाहर किया गया है, तो उसके पास 12 वर्षों के भीतर कोर्ट में न्याय मांगने का अधिकार है। इस अवधि के बाद, यदि वह दावा नहीं करता है, तो उसका संपत्ति पर अधिकार (property rights) समाप्त हो जाएगा। यदि संपत्ति खोने के बाद भी उसके पास वाजिब कारण हैं, तो केवल तब ही कोर्ट उसकी सुनवाई कर सकता है। वरना, संपत्ति उसके हाथ से निकल जाएगी। इसीलिए समय का सही प्रबंधन बेहद महत्वपूर्ण है।

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क्या छिन सकता है पैतृक संपत्ति में अधिकार-
नहीं, ऐसा करना आसान नहीं है. माता-पिता अपनी संतान को केवल अपनी कमाई हुई संपत्ति से बेदखल (dispossessed of property earned) कर सकते हैं। हालांकि, कुछ मामले ऐसे देखे गए हैं जब कोर्ट ने बच्चे को पैतृक संपत्ति से भी बेदखल करने की अनुमति दी है। परंतु, यह अपवाद होते हैं और इसमें कोर्ट (court) कचहरी के काफी चक्कर लगते हैं। तब भी यह शत प्रतिशत तय नहीं होता कि कोर्ट का फैसला माता-पिता के पक्ष में चला ही जाएगा। (Can the rights in ancestral property be taken away)

क्या होती है पुश्तैनी संपत्ति-
पैतृक संपत्ति वह होती है जो पिता, दादा या परदादा से मिलती है। इसके लिए एक जरूरी शर्त है कि परिवार में चार पीढ़ियों तक कोई अलगाव न हो। यदि किसी एक पीढ़ी में संपत्ति का बंटवारा (division of property) होता है, तो वह पैतृक संपत्ति नहीं मानी जाएगी। इसका मतलब है कि माता-पिता अपनी संतान को विरासत में मिली संपत्ति से बाहर कर सकते हैं। ध्यान रहे, हर विरासत में मिली संपत्ति अपने आप में पैतृक या पुश्तैनी नहीं होती। (what is ancestral property)

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