
मोकामा के बाहुबली अनंत सिंह उर्फ छोटे सरकार
बिहार में ठाकुर-भूमिहार संघर्ष की उपज बहुबली नेता अनंत सिंह उर्फ छोटे सरकार इस समय दहशत में हैं. उनके काफिले पर बदमाशों ने बुधवार की शाम ताबड़तोड़ फायरिंग की. इस घटना में वह बाल बाल बचे हैं. आरोप है कि उनके ऊपर हमला सोनू-मोनू गैंग ने किया है. एक समय में अपराध और अपराधियों के लिए कुख्यात रहे मोकामा से तीन बार विधायक रहे अनंत सिंह पहली बार तब सुर्खियों में आए थे जब, उन्होंने पूर्व विधायक और बाहुबली नेता सूरजभान को शिकस्त दी थी.इसके बाद वह दोबारा तब चर्चा में आए जब, उनके घर पर पुलिस की दबिश हुई.
इसमें उनके सरकारी आवास से AK-47 रायफल के अलावा कई प्रतिबंधित हथियार पकड़े गए थे.पटना से सटे मोकामा के बाढ़ सीडी ब्लॉक के नदावन गांव में पैदा हुए अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह भी राजनीति में हैं. 2020 के चुनावी हलफनामे में अनंत सिंह ने बताया था कि उनके खिलाफ कुल 7 मर्डर, 11 मर्डर की कोशिश के अलावा अपहरण के 4 मुकदमों समेत 38 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं.हालांकि वह इन सभी मुकदमों बरी हो चुके हैं. अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह भी राजनीति में हैं.
बड़े भाई को सूरजभान ने दी थी शिकस्त
दिलीप सिंह 1990 और 1995 में जनता दल के टिकट पर चुनाव जीत कर विधायक और बिहार सरकार में मंत्री बने थे. हालांकि वह साल 2000 में गैंगस्टर से नेता बने सूरजभान के सामने चुनाव हार गए थे.दिलीप सिंह की हार के बाद से ही सूरजभान और अनंत सिंह के बीच ठन गई थी. अनंत सिंह ने साल 2005 में जेडीयू के टिकट पर मोकामा विधानसभा सीट जीतकर उस हार का बदला तो ले लिया, लेकिन आज भी सूरजभान और अनंत सिंह एक दूसरे को खटकते हैं. अनंत सिंह ने साल 2010 में भी मोकामा सीट पर विजय हासिल की. हालांकि साल 2015 में जेडीयू और आरजेडी के बीच गठजोड़ होने पर वह नीतीश कुमार से नाराज हो गए और पार्टी छोड़ दी.
सरकारी आवास में मिली थी AK-47 रायफल
उस समय वह चुनाव में निर्दलीय मैदान में उतरे और लगातार तीसरी बार भी विजय हासिल की. इससे पहले साल 2007 में एक खबर आई थी कि उनके सरकारी बंगले में दो पत्रकारों को बंधक बनाया गया है. इस सूचना पर पुलिस ने दबिश दी थी ओर उनके ठिकाने से AK-47 रायफल के अलावा कई अन्य प्रतिबंधित सामग्री बरामद हुई थी. इसी क्रम में 16 अगस्त 2019 को उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. इसके बाद वह जेल चले गए.
जेल में रहकर जीते चुनाव
2020 में आरजेडी के टिकट पर जेल में रहते हुए चुनाव जीते. हालांकि 2022 में उनके खिलाफ अवैध हथियार रखने के मामला कोर्ट में साबित हो गया और उन्हें सजा हो गई. इसकी वजह से उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया. ऐसे में उन्होंने अपनी पत्नी नीलम देवी को आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ाया और वह इस समय विधायक हैं. वह एक बार फिर से जेडीयू के साथ हैं. इसी क्रम में उन्हें पिछले साल 14 अगस्त 2024 को अवैध हथियार अधिनियम केस में पटना उच्च न्यायालय से बरी हो गए और अब एक बार फिर से सक्रिय राजनीति में उतर गए हैं.