supreme court : स्त्रीधन पर पति और ससुराल वालों का कितना हक, सुप्रीम कोर्ट ने कही अहम बात

supreme court : स्त्रीधन पर पति और ससुराल वालों का कितना हक, सुप्रीम कोर्ट ने कही अहम बात

Himachali Khabar (Supreme Court latest Decision) : सुप्रीम कोर्ट ने स्त्रीधन धन को लेकर बड़ी बात कही है। देश के लोकसभा चुनाव के दौरान स्त्रीधन शब्द बार-बार सुनने को मिला। आम तौर पर लोग स्त्री के गहनो, उनके मंगलसूत्र को स्त्रीधन (Women’s rights) मानते हैं।

 

वहीं, कुछ लोग शादी के दौरान मिली चीजों को स्त्रीधन समझते हैं। इसपर भी पूरी तरह से ससुराल वालों का हक दिखता है। लेकिन स्त्रीधन शब्द की व्याख्या काफी बड़ी है। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने एक मामले में ये भी स्पष्ट कर दिया है कि स्त्रीधन पर, पति, ससुर या किसका कितना अधिकार है। 

 

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आखिर स्त्रीधन क्या है 
 

सबसे पहले तो यह जानते हैं कि आखिर स्त्रीधन क्या है। कौनसी संपत्ति स्त्रीधन (women’s rights) के दायरे में आती हैं। स्त्रीधन कोई आम शब्द नहीं है, ये एक कानूनी टर्म है। इसका जिक्र हिंदू कानूनों में मिलता है। स्त्रीधन का मतलब होता है नारी के का धन। इसमें उसकी संपत्ति, संपत्ति के कागजात व बहुत सारी दूसरी चीजें आती हैं। 

 

बचपन से मिली हर चीज स्त्रीधन
 

आम तौर पर लोग सोचते हैं कि नारी (basic rights of women) को विवाह पश्चात मिली उपहारस्वरूप मिली चीजें ही स्त्रीधन है। लेकिन स्त्रीधन में किसी भी स्त्री को बचपन से लेकर शादी के बाद तक मिली हर चीज आती है।  इसमें रुपयों से लेकर जमीन, गहने हर गिफ्ट शामिल है। स्त्रीधन पर विवाहिता और अविवाहित दोनों का कानूनी अधिकार दिया गया है। 

 

supreme court ने बताया स्त्रीधन पर किसका अधिकार

देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट (supreme court decision) ने स्त्रीधन को लेकर बड़ा फैसला दिया है। इसमें बताया गया है कि स्त्रीधन महिला की पूर्ण संपत्ति है। कोई भी महिला अपने स्त्रीधन को अपनी मर्जी अनुसार खर्च कर सकती है। यह महिला का कानूनी अधिकार है। पति या ससुर का इसपर कोई कानूनी अधिकार नहीं है। केवल महिला अपनी मर्जी से उनको स्त्रीधन दे सकती हैं। पत्नी की रजामंदी से स्त्रीधन का प्रयोग किया जा सकता है।  

सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा ये मामला

स्त्रीधन को लेकर दायर एक वैवाहिक विवाद सुप्रीम कोर्ट (supreme court case) में पहुंचा। इसमें जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बैंच ने सुनवाई की। अदालत (court case) ने कहा कि स्त्रीधन पर महिला का ही पूरा अधिकार है। इसमें शादी से पहले और शादी में व शादी के बाद मिली सारी चीजें आती हैं। इसमें माता-पिता से या अन्य किसी से मिला कोई गिफ्ट, बर्तन सब शामिल है। 

 

इस कानून में आता है स्त्रीधन

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 (Hindu Succession Act 1956) की धारा 14 में स्त्रीधन के अधिकारों का जिक्र है। इसी प्रकार हिंदू विवाह अधिनियम 1955 (Hindu Marriage Act 1955) की धारा 27 में भी स्त्रीधन आता है। इसके अनुसार स्त्रीधन पर पूरा अधिकार महिला का है। वहीं, घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 12 के अनुसार घरेलू हिंसा का शिकार महिला कानून की मदद से स्त्रीधन पर अपना अधिकार प्राप्त कर सकती हैं।  

 

महिला को लौटानी होगी हर चीज
 

स्त्रीधन में महिला की हर संपत्ति (women’s property rights) आती है। कई बार मंगलसूत्र को छोड़ बाकी चीजें ससुरालवाले रख लेते हैं। उनको कानून के अनुसार केवल स्त्रीधन का ट्रस्टी माना जाता है। जब भी महिला को अपनी चीजों की जरूर होती तब उसको वह लौटानी पड़ेगी। कोई जबरदस्ती महिला के स्त्रीधन को नहीं रख सकता है।  

 

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दहेज और स्त्रीधन अलग अलग चीज
 

अकसर लोग दहेज को स्त्रीधन में काउंट करते हैं, लेकिन दहेज (women rights) एक बूरी प्रथा है, जिसको मांगने पर अगर शिकायत की जाए तो कानून कार्रवाई करता है। वह स्त्रीधन नहीं होता। जब तक दहेज की शिकायत नहीं होती तब तक उसे स्त्रीधन या गिफ्ट की श्रेणी में ही रखते हैं। स्त्रीधन और दहेज दो अलग-अलग चीजें हैं। दहेज मांगा जाता है, जबकि स्त्रीधन स्वइच्छा से दिया जाता है।

 

महिला को स्त्रीधन बेचने का अधिकार 

महिला अपनी संपत्ति पर पूरा अधिकार रखती है। वह जब चाहे अपने स्त्रीधन को जैसे चाहे प्रयोग कर सकती है। वह उसको दान कर सकती है, तोहफे में दे सकती है। बेच भी सकती है। उसपर पूरा कानूनी अधिकार महिला को है। 
 

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