नई दिल्ली: वक्फ संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के निलंबित विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा अध्यक्ष को एक पत्र भेजकर कार्यवाही को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संचालित करने की मांग की है। ये सदस्य शुक्रवार (24 जनवरी 2025) को एक दिन के लिए निलंबित किए गए थे, जब उन्होंने सभापति जगदंबिका पाल के खिलाफ जारी कार्यवाही में तेजी लाने का विरोध किया था।
उच्चतम न्यायालय के निर्णयों से भी जुड़ी हुई हैं
निलंबित सांसदों ने पत्र में कहा कि जब वे अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगें उठाई, तब सभापति ने फोन पर बात करते हुए अचानक चिल्लाते हुए उन्हें निलंबित कर दिया। सांसदों का कहना था कि वक्फ संशोधन विधेयक में प्रस्तावित बदलाव केवल देशभर के वक्फ बोर्डों की संपत्तियों से संबंधित नहीं हैं, बल्कि ये उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय के निर्णयों से भी जुड़ी हुई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर कई राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए कानूनों और नियमों को चुनौती दी जा रही है, जिससे हितों का टकराव उत्पन्न हो रहा है। ऐसे में इन मुद्दों को पूरी तरह से समझने के लिए जेपीसी द्वारा अध्ययन की आवश्यकता है।
कौन-कौन सदस्य सांसद निलंबित हुए
विपक्षी सांसदों का कहना था कि बिना किसी गंभीर विचार-विमर्श के जेपीसी की कार्यवाही में जल्दबाजी दिखाना एक गलत संकेत है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सभापति की तरफ से यह कदम विरोधी विचारों को दबाने की एक कोशिश प्रतीत हो रहा है। निलंबित सांसदों में कल्याण बनर्जी, मोहम्मद जावेद, ए राजा, असदुद्दीन ओवैसी, नसीर हुसैन, मोहिबुल्लाह, मोहम्मद अब्दुल्ला, अरविंद सावंत, नदीम-उल हक और इमरान मसूद जैसे नेता शामिल हैं। यह वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा लोकसभा में पेश किया गया था और इसे 8 अगस्त 2024 को जेपीसी को भेजा गया था। इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और विनियमन में मौजूद समस्याओं और चुनौतियों का समाधान करना है।
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