Mamta Kulkarni: ममता के गुरुदेव कौन हैं, किन्नर अखाड़े में कोई महामंडलेश्वर कैसे बनता है?

Mamta Kulkarni: ममता के गुरुदेव कौन हैं, किन्नर अखाड़े में कोई महामंडलेश्वर कैसे बनता है?

Mamta Kulkarni With Swami Gagangiri Maharaj

Kinnar Akhara Mahamandaleshwar Process: 90 के दशक की जानी मानी अदाकारा ममता कुलकर्णी संन्यास के रास्ते पर चल चुकी हैं. महाकुंभ में ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े से संन्यास की दिक्षा प्राप्त की. संगम में अपना पिंडदान किया. इसके बाद उनका पट्टाभिषेक किया गया. किन्नर अखाड़े की आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की उपाधि दी.

अब यमाई ममता नंद गिरि है नाम

ममता कुलकर्णी अब यमाई ममता नंद गिरि बन गई हैं. ममता कुलकर्णी के संन्यास धारण करने के बाद एक नाम बहुत सुनाई दे रहा है. ममता कुलकर्णी इन्हें अपना गुरु मानती हैं. आइए जानते हैं वौ कौन है जिससे मिलने के बाद ममता कुलकर्णी अध्यात्म के रास्ते पर चल पड़ीं. साथ ही जानते हैं कि जिस किन्नर अखाड़े की ममता कुलकर्णी महामंडलेश्वर बनी हैं, वहां महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया क्या है.

स्वामी गगन गिरी महाराज

दरअसल, ममता कुलकर्णी स्वामी गगन गिरी महाराज को अपना गुरू मानती हैं. स्वामी गगन गिरी महाराज नाथ संप्रदाय के गुरु थे. स्वामी गगन गिरी महाराज से उनकी मुलाकात साल 1996 में हुई थी. साल 1996 में स्वामी गगन गिरी महाराज से महाराज से मुताकात के बाद ही ममता कुलकर्णी की अध्यात्म की रुचि बढ़ी. ममता कुलकर्णी ने अपनी पुस्तक, ऑटोबायोग्राफी ऑफ एन योगिनी: मैन फ्रॉम माउंटेन्स में स्वामी गुरु गगन गिरी महाराज के बारे में लिखा है.

किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया

किन्नर अखाड़े में संस्यास लेना और पदवी पाना अन्य अखाड़ों के मुताबले थोड़ा सरल है. किन्नर अखाड़ा भौतिक और आध्यात्मिक जीवन के बीच संतुलन बनाने वाले व्यक्तियों को स्वीकार करता है. यहां जिस व्यक्ति को महामंडलेश्वर बनाया जाना हो उनको पवित्र नदी में स्नान कराया जाता है. फिर उनका उन्हीं के हाथों पिंडदान कराया जाता है. फिर भगवा वस्त्र पहनाए जाते हैं. वैदिक मत्रोंच्चारण के बीच दूध से स्नान कराया जाता है. इसके बाद महामंडलेश्वर बनने वाले वाले का पट्टाभिषेक किया जाता है. इस दौरान किन्नर अखाड़े के लोग वहां मौजूद रहते हैं.

कब बना किन्नर अखाड़ा

बता दें कि किन्नर अखाड़े की स्थापना साल 2015 में की गई थी. ये भारत 13 प्रमुख अखाड़ों से अलग पहचान रखता है. यहां भौतिक और अध्यातमिक दोनों की जिंदगी जीने की अनुमति दी जाती है. किन्नर अखाड़े का मुख्य आश्रम मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित है.

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