Som Pradosh Vrat 2025 date: 26 या 27 जनवरी… सोम प्रदोष व्रत कब है? एक क्लिक में दूर करें कंफ्यूजन!

Som Pradosh Vrat 2025 date: 26 या 27 जनवरी... सोम प्रदोष व्रत कब है? एक क्लिक में दूर करें कंफ्यूजन!

माघ सोम प्रदोष व्रत 2025

Magh Som Pradosh Vrat 2025: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना जाता है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से हर भय-संकट दूर होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. पंचांग के अनुसार, माघ माह की शुरुआत मकर संक्रांति से हुई थी वहीं, इसका समापन 12 फरवरी को होगा.

हर माह की तरह माघ माह में भी दो प्रदोष व्रत रखे जाएंगे. माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर सोम प्रदोष व्रत रखा जाएगा. सोम प्रदोष व्रत की तिथि के चलते लोगों में कंफ्यूजन बनी हुई है कि आखिर सोम प्रदोष व्रत 26 जनवरी को रखा जाएगा या 27 जनवरी को. आइए आपकी यह कंफ्यूजन दूर करते हुए जानते हैं कि सोम प्रदोष व्रत कब है.

माघ माह का सोम प्रदोष व्रत कब है? (Magh Som Pradosh Vrat 2025)

माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 26 जनवरी को रात 8 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी. वहीं, इस त्रयोदशी तिथि का समापन 27 जनवरी को रात 8 बजकर 34 मिनट पर होगा.

ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 27 जनवरी 2025 दिन सोमवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा. सोमवार पड़ने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा. प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल यानी शाम के समय की जाती है.

  1. पूजा का शुभ मुहूर्त – 27 जनवरी को शाम 05:56 से रात 08:34 बजे तक.

प्रदोष व्रत की पूजा कैसे करें? (Pradosh vrat puja vidhi)

प्रदोष व्रत के दिन सुबह काल जल्दी उठकर स्नान आदि करें और शिवजी का ध्यान करें. फिर पूजा स्थल को गंगाजल से साफ कर उसे गंगाजल पवित्र करें. इसके बाद एक मंडप तैयार करें और रंगोली बनाकर दीपक जलाएं. फिर कुश के आसन पर पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पूजा के लिए बैठ जाएं.

इसके बाद भगवान शिव का रुद्राभिषेक या जलाभिषेक करें. प्रदोष व्रत के दौरान फलाहार करें. अगर संभव हो, तो मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और बेलपत्र अर्पित करें. शाम के समय दोबारा भगवान शिव की पूजा करें. पूजा के बाद प्रदोष व्रत की कथा सुनें और पूजा के आखिर में आरती करके भगवान को भोग अर्पित करें.

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