
नागा साधु का अंतिम संस्कार कैसे होता है , जानें यहाँ | GK Hindi General Knowledge : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 में अखाड़े और साधु आकर्षण का केंद्र बन गए हैं ! खास तौर पर नागा साधु जिन्हें महाकुंभ में अलग से पहचाना जा सकता है ! शरीर पर भस्म लगाए इन नागा साधुओं का समूह बिल्कुल अलग दिखता है ! इन साधुओं का पूरा जीवन कई रहस्यों से भरा होता है ! कोई नहीं जानता कि ये नागा साधु कहां रहते हैं ! नागा साधुओं का समूह महाकुंभ में आता है और कहीं गायब भी हो जाता है ! आज के खंड में हम जानेंगे कि नागा साधुओं का अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है ! नागा साधुओं का समूह क्यों बनाया गया
नागा साधु का अंतिम संस्कार कैसे होता है
अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है
हिंदू धर्म में नागा साधुओं का बड़ा स्थान है ! ये अपनी तरह के अद्भुत साधु हैं जो कठोर तपस्या, सादा जीवन और अनूठी परंपराओं के साथ जीवन जीते हैं ! नागा साधुओं का अंतिम संस्कार आम लोगों जैसा नहीं होता ! सामान्य दाह संस्कार की जगह नागा साधुओं का अंतिम संस्कार अलग तरीके से किया जाता है ! इनमें ‘जल समाधि’ या ‘भू समाधि’ होती है !
भू समाधि के बारे में
जब नागा साधु की मृत्यु होती है तो उसके पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ सजाया जाता है और फिर पवित्र गंगा जल या अन्य पवित्र नदी से स्नान कराया जाता है ! इसके बाद उसके पार्थिव शरीर को एक आसन में बैठा दिया जाता है, फिर इसी मुद्रा में शव को समाधि स्थल पर रखा जाता है ! दरअसल, समाधि स्थल पहले से तैयार किया जाता है, इसके लिए नागा साधु के पद के अनुसार समाधि स्थल पर एक गड्ढा खोदा जाता है ! साधु के पद के अनुसार गड्ढा बड़ा और गहरा होगा ! इसके बाद मंत्रोच्चार और प्रार्थना करते हुए साधु के पार्थिव शरीर को गड्ढे में बैठा दिया जाता है और गड्ढे को मिट्टी से भर दिया जाता है !
नागा साधु का अंतिम संस्कार कैसे होता है , कैसे की जाती है जल समाधि
अगर नागा साधु ने शरीर छोड़ने से पहले इच्छा जताई है कि उसके शरीर को किसी पवित्र नदी, खासकर गंगा नदी में जल समाधि दी जाए, तो ऐसी स्थिति में साधु को जल में समर्पित कर दिया जाता है ! हालांकि, किस साधु को कौन सी समाधि दी जाएगी, यह भी अखाड़े पर निर्भर करता है ! जल समाधि के लिए सबसे पहले मंत्रोच्चार और हवन किया जाता है और फिर नागा साधुओं के शिष्य और उनके अखाड़े के साधु मृत साधु को उसकी इच्छानुसार जल समाधि देते हैं !
अग्नि से संबंधित अंतिम संस्कार क्यों नहीं होते
दरअसल, नागा साधुओं का मानना है कि उनका शरीर पंचमहाभूत यानी पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश से बना है और जीवन समाप्त होने के बाद उनके शरीर को इन्हीं तत्वों में विसर्जित कर देना चाहिए ! इस तरह जब नागा साधुओं की मृत्यु होती है तो उन्हें भू समाधि या जल समाधि दी जाती है !
क्यों बना नागा साधुओं का समूह
नागा साधु कठोर तपस्या करते हुए अपना सबकुछ त्याग देते हैं ! इन साधुओं को मनुष्यों में सबसे पवित्र माना जाता है ! एक साधारण व्यक्ति से नागा साधु बनने में करीब 6 साल का समय लगता है ! इन 6 सालों में उन्हें कठोर साधना करनी होती है ! उन्हें कई सालों तक गुरुओं की सेवा में लीन रहना होता है ! कहा जाता है कि जब आदि शंकराचार्य ने 4 मठों की स्थापना की थी, तो इन मठों की रक्षा और दुष्टों का अंत करने के लिए एक टोली बनाई गई थी ! यह टोली हथियारबंद नागा साधुओं की थी ! तब से लेकर आज तक नागा साधुओं की टोली बिना किसी की नजर में आए देश और धर्म की रक्षा के लिए तैनात है !