
बांग्लादेश में अमेरिका की मदद पर लगी रोक
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभालते ही अपने फैसलों से पूरी दुनिया को हैरान कर दिया. इनमें से एक अहम फैसला है अंतरराष्ट्रीय मदद पर लगाम लगाना. इस फैसले का असर बांग्लादेश जैसे देशों पर साफ़ दिख रहा है, जहां अमेरिका की यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) लंबे समय से स्वास्थ्य, कृषि, पर्यावरण और लोकतंत्र जैसे क्षेत्रों में मदद करती आई है.
हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने कुछ क्षेत्रों को इन पाबंदियों से छूट दी है, जैसे आपातकालीन खाद्य सहायता और इसराइल व मिस्र को दी जाने वाली सैन्य मदद. विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी अधिकारियों और दूतावासों को इस संबंध में नोटिस भेजा है. यह नोटिस ट्रम्प के शपथ ग्रहण के बाद जारी कए गए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर के बाद आया है. इसमें विदेश नीति की समीक्षा करने तक 90 दिनों के लिए विदेश में दी जाने वाली सभी तरह की मदद पर रोक लगा दी गई है. मगर सवाल है कि इस फैसले के बाद बांग्लादेश के विकास पर कितना बड़ा असर पड़ेगा?
USAID कैसे काम करती है?
अमेरिकी की यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट एजेंसी पूरी दुनिया में डेवलपमेंट कार्यों के लिए मदद देती है. इसका मकसद लोकतंत्र को बढ़ावा देना और गरीबी कम करना है. USAID देशों की सरकारों, एनजीओ, प्राइवेट सेक्टर और लोकल समुदाओं के साथ काम करती है.
इसे अमेरिकी संसद से पैसा मिलता है, जिसे ये अलग प्रोग्राम के लिए इस्तेमाल करती है. यह हेल्थ, एजुकेशन, आर्थिक, विकास, लोकतंत्र और गवर्नेंस और डिजास्टर मैनेजमेंट में मदद करती है. 100 देशों में लगभग USAID काम करती है, जिनमें अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और मिडिल ईस्ट प्रमुख हैं. इसका मकसद अमेरिकी विदेश नीति को आगे बढ़ाना है और दुनिया भर को संकट से बाहर निकालना है.
आर्थिक संकट से जूझ रहा है बांग्लादेश
ये मदद ऐसे समय में रोकी गई है जब बांग्लादेश आर्थिक तंगी से जूझ रह है. वर्ल्ड बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बांग्लादेश के लिए GDP ग्रोथ के पूर्वानुमान को 0.1% घटाकर 5.7% कर दिया है. महंगाई दर 10% के करीब पहुंच गई है. लगातार बढ़ता बजट घाटा, घटता विदेशी मुद्रा भंडार, करेंसी की वैल्यू में गिरावट और बढ़ती आय असमानता जैसे संकट पहले से बांग्लादेश के लिए मुश्किल पैदा कर रहे हैं. ऐसे में जानकारों का कहना है कि अमेरिकी मदद बंद होने से बांग्लादेश की मुसीबत और ज्यादा बढ़ सकती हैं.
अमेरिका-बांग्लादेश की दोस्ती
अमेरिका और बांग्लादेश की दोस्ती बांग्लादेश की आज़ादी के समय से ही गहरी रही है. यह साझेदारी साझा हितों पर आधारित है, और बांग्लादेश को दक्षिण एशिया में अमेरिका का एक अहम रणनीतिक साझेदार मानती है.
यूएसएआईडी (USAID) का कार्यक्रम बांग्लादेश में एशिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम है. यहां कुछ बेहद अहम प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं, जैसे खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य कार्यक्रम, जो दुनियाभर में मशहूर हैं. इसके साथ ही लोकतंत्र और सुशासन, बुनियादी शिक्षा और पर्यावरण से जुड़े कार्यक्रमों पर भी काम हो रहा है.अमेरिका का ये रिश्ता सिर्फ मदद तक सीमित नहीं है, बल्कि बांग्लादेश को 2031 तक ऊपरी-मध्य-आय वाले देश बनने के सपने को पूरा करने में भी साथ देने का वादा है.
यूएसएड की कुल रकम लगभग 20 करोड़ डॉलर है. इसके अलावा साल 2023 में अमेरिका ने अलग अलग एजेंसियों के जरिए बांग्लादेश की एक बार 49 करोड़ डॉलर और दूसरी बार 55 करोड़ डॉलर की मदद की थी. 2024 के सितंबर में यूएसएड ने वादा किया था कि वो डेवलपमेंट ऑब्जेक्टिव ग्रांट एग्रीमेंट के तहत बांग्लादेश को 20 करोड़ की सहायाता करेगा.
रोहिंग्या शरणार्थियों पर भी असर
यही नहीं, रोहिंग्या संकट के दौरान यूएसएआईडी ने बड़े पैमाने पर मानवीय मदद मुहैया कराई है. अमेरिका रोहिंग्या संकट पर मानवीय सहायता देने में सबसे आगे है. अगस्त 2017 में हिंसा शुरू होने के बाद से अमेरिका ने इस संकट से निपटने के लिए $2.5 बिलियन से ज्यादा की सहायता दी है. इसमें $2 बिलियन से ज्यादा की मदद रोहिंग्या शरणार्थियों और बांग्लादेश की मेजबान आबादी की सहायता के लिए दी गई है. इस मदद का मकसद है कि न केवल शरणार्थियों की ज़रूरतें पूरी हों, बल्कि मेज़बान समुदायों के लोग भी इस चुनौती को झेलने में सक्षम बनें.