नई दिल्ली: पूर्व पार्षद और फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत याचिका पर आज तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने विभाजित फैसला दिया था। इसलिए उनकी याचिका पर नए सिरे से सुनवाई होगी। 24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और कई घायल हुए थे।
चुनाव प्रचार के लिए मांगी बेल
हुसैन को एमआईएमआईएम ने दिल्ली चुनाव में मुस्तफाबाद से कैंडिडेट बनाया है। हुसैन ने अगले महीने राजधानी में होने वाले विधानसभा चुनावों के प्रचार के मद्देनजर अंतरिम जमानत की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। 22 जनवरी को हुसैन को अंतरिम जमानत नहीं मिल सकी थी, क्योंकि न्यायमूर्ति पंकज मिथल और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने विभाजित फैसला दिया था। 22 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच में ताहिर की ज़मानत याचिका पर आम सहमति नहीं बन पाई थी। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ताहिर को ज़मानत देने के पक्ष में थे, जबकि जस्टिस पंकज मित्तल ने याचिका खारिज कर दी थी।
भारत के नागरिक स्वच्छ भारत के हकदार
न्यायमूर्ति मिथल ने कहा कि हुसैन की ग्यारह मामलों में संलिप्तता है, जिसमें मौजूदा पीएमएलए मामले से संबंधित एक और 2020 के दिल्ली दंगों से संबंधित नौ मामले शामिल हैं, कानून का पालन करने वाले नागरिक के रूप में उनकी स्थिति को कमजोर और नष्ट कर देता है। न्यायमूर्ति मिथल ने कहा, ‘समय आ गया है कि भारत के नागरिक स्वच्छ भारत के हकदार हों, जिसका अर्थ स्वच्छ राजनीति भी है। इस उद्देश्य के लिए यह आवश्यक है कि दागी छवि वाले लोग, विशेष रूप से जो हिरासत में हैं, उन्हें किसी न किसी तरह से चुनाव में भाग लेने से रोका जाना चाहिए।’
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