बजट से पहले शेयर बाजार की महा’डुबकी’, बह गए 9.50 लाख करोड़

बजट को अब एक हफ्ता भी नहीं बचा है और निवेशकों की निगाहें शेयर बाजार की ओर टिक गई है. वहीं दूसरी ओर बजट वीक के पहले ही दिन शेयर बाजार ने महा’डुबकी’ लगाई है. जिसकी वजह से ​शेयर बाजार के निवेशकों के कुछ ही घंटों में 9.50 लाख करोड़ रुपए बह गए हैं. ये […]

बजट को अब एक हफ्ता भी नहीं बचा है और निवेशकों की निगाहें शेयर बाजार की ओर टिक गई है. वहीं दूसरी ओर बजट वीक के पहले ही दिन शेयर बाजार ने महा’डुबकी’ लगाई है. जिसकी वजह से ​शेयर बाजार के निवेशकों के कुछ ही घंटों में 9.50 लाख करोड़ रुपए बह गए हैं. ये कोई साधारण घटना नहीं है. इस गिरावट के कई मायने लगाए जा रहे हैं. पहला ये कि देश के बजट से पहले अमेरिकी सेंट्रल बैंक अपनी पॉलिसी का ऐलान करेगा.

अनुमान लगाया जा रहा है कि ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद अमेरिकी सेंट्रल ब्याज दरों में कटौती को बंद कर सकता है. दूसरी बात है विदेशी निवेशकों का रूठना. निवेशकों की बिकवाली का आंकड़ा 64 हजार करोड़ रुपए पार कर चुका है. जिसे किसी एक महीने में दूसरी सबसे बड़ी बिकवाली के रूप में देखा जा रहा है.

तीसरा ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी का खौफ अपने आप में बड़ा कारण है. चौथा देश के बजट को लेकर आम लोगों का सेंटीमेंट. जो इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि बजट में किस तरह के फैसले लिए जा सकते हैं. आइए शेयर बाजार के आंकड़ों को समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर ये गिरावट क्या कह रही है?

शेयर बाजार में बड़ी गिरावट बजट वीक के पहले दिन शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स कारोबारी सत्र के दौरान 842.4 अंकों की गिरावट के साथ 75,348.06 अंकों पर आ गया. जिसकी वजह से सेंसेक्स करीब 8 महीनों के लोअर लेवल पर आकर खड़ा हो गया. 7 जून 2024 को सेंसेक्स 75 हजार अंकों के लेवल पर दिखाई दिया था. वैसे मौजूदा समय यानी 11 बजकर 50 मिनट पर सेंसेक्स 684.99 अंकों की गिरावट के साथ 75,520.76 अंकों के साथ कारोबार कर रहा है. जनवरी के महीने में सेंसेक्स अब तक करीब 4 फीसदी तक टूट चुका है. जोकि एक बड़ी गिरावट की ओर इशारा कर रहा है.

दूसरी ओर ​नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी भी गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है. कारोबारी सत्र के दौरान निफ्टी में 265.35 अंकों की गिरावट के साथ 22,826.85 अंकों के साथ दिन के लोअर लेवल पर पहुंच गया. जिसकी वजह से निफ्टी 7 जून के बाद यानी करीब 8 महीने के लोअर लेवल पर पहुंच गई है. वैसे मौजूदा में निफ्टी 195 अंकों की गिरावट के साथ 22,896.75 अंकों पर कारोबार कर रही है. वैसे जनवरी के महीने में निफ्टी 3.50 फीसदी से ज्यादा टूट चुकी है. जिसके और भी गिरने के आसार दिखाई दे रहे हैं.

किन शेयरों में आई गिरावट अगर बात शेयरों में गिरावट की बात करें तो निफ्टी पॉवरग्रिड, टेक महिंद्रा, विप्रो, टाटा मोटर्स और एचसीएल टेक के शेयरों में 2 फीसदी से ज्ससरदा की गिरावट देखने को मिल रही है. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में जोमाटो, टीसीएस, भारती एयरटेल, इंफोसिस, रिलायंस, एचडीएफसी बैंक के शेयरों में भी गिरावट देखने को मिल रही है.

इसके विपरीत एनएसई में ब्रिटानिया के शेयरों में 2 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखने को मिल रही है. आईसीआईसीआई बैंक का शेयर 1.72 फीसदी तेजी है. हिंदुस्तान यूनिलीवर और एसबीआई के शेयर में 1 फीसदी की ​तेजी देखी जा रही है. बीएसई पर आईटीसी, नेस्ले इंडिया, मारुति और अल्ट्रा सीमेंट के शेयर में तेजी का माहौल बना हुआ है.

शेयर बाजार निवेशकों को हुआ नुकसान खास बात तो ये है कि शेयर बाजार निवेशकों को मोटा नुकसान हुआ है. निवेशकों के नुकसान का आंकलन बीएसई के मार्केट कैप से किया जाता है. आंकड़ों के अनुसार बीएसई का मार्केट कैप शुक्रवार को शेयर बाजार बंद होने के बाद 4,19,51,853.99 करोड़ रुपए था. जब सेंसेक्स करीब 8 महीने के लोअर लेवल पर पहुंचा तो बीएसई का मार्केट कैप 4.10 करोड़ रुपए पर आ गया. इसका मतलब है कि कारोबारी सत्र के दौरान बीएसई के मार्केट कैप से 9.50 लाख करोड़ रुपए कम हो गए. यही शेयर बाजार निवेशकों का नुकसान है.

शेयर बाजार में गिरावट के प्रमुख कारण ट्रंप के फैसले : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में कोलंबिया पर 25 फीसदी टैरिफ और प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है. वास्तव में कोलंबिया के राष्ट्रपति ने निर्वासित प्रवासियों को ले जाने वाले दो अमेरिकी सैन्य विमानों को उतरने से रोक दिया था. ट्रम्प ने कहा कि कोलंबिया से सभी वस्तुओं पर टैरिफ “तुरंत” लागू किया जाएगा. एक सप्ताह में दर 50 फीसदी तक बढ़ जाएगी. अगर कोलंबिया द्वारा निर्वासित प्रवासियों को बिना किसी प्रतिबंध के स्वीकार करने पर सहमति जता देता है तो टैरिफ लागू नहीं होगा. ऐसी नीतिगत अनिश्चितता पर चिंताएं, विशेषकर कनाडा और मैक्सिको पर 1 फरवरी से शुरू होने वाले नए टैरिफ की संभावना ने ग्लोबल शेयर बाजारों पर दबाव बढ़ा दिया है.

फेड के फैसले से पहले की घबराहट : बुधवार को अमेरिकी सेंट्रल बैंक पॉलिसी दरों का ऐलान करेग. अनुमान लगाया जा रहा है कि फेड पॉलिसी रेट पर पॉज बजट एक्टिव कर सकता है. वहीं दूसरी ओर फेड चेयरमैप पॉलिसी रेट के ऐलान के बाद क्या कहेंगे. उस पर निवेशकों की निगाहें टिकी होंगी. जिसकी वजह से शेयर बाजार निवेशकों के बीच काफी घबराहट बढ़ गई है.

तीसरी तिमाही की कमाई में मंदी : तीसरी तिमाही की कमाई में मंदी का दौर जारी रहने से शेयर बाजार मतें कमजोरी देखने को मिल रही है. ब्लूमबर्ग के अनुमान के मुताबिक, निफ्टी 50 कंपनियों को तीसरी तिमाही में प्रति शेयर आय (ईपीएस) में साल-दर-साल (YoY) केवल 3% की वृद्धि देखने की उम्मीद है. जबकि पूंजीगत सामान, स्वास्थ्य सेवा और दूरसंचार क्षेत्रों में कर (पीएटी) वृद्धि के बाद दोहरे अंकों का लाभ दिखने की उम्मीद है. मेटल केमिकल, उपभोक्ता स्टेपल, बैंक और तेल और गैस जैसे क्षेत्रों में पिछड़ने की संभावना है.

एफआईआई की बिकवाली जारी : विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार बिकवाली से बाजार पर दबाव बना हुआ है. 24 जनवरी, 2025 तक, एफआईआई ने 64,156 करोड़ रुपए शेयर बाजार से निकाल लिए हैं. जिससे उनकी बिक्री की गति धीमी होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है.

डॉलर की बढ़ती ताकत : चीन, मैक्सिको और कनाडा सहित अमेरिका के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों पर अतिरिक्त टैरिफ को लेकर चिंता ने वैश्विक बाजारों में घबराहट पैदा कर दी है. हालांकि, नोमुरा के रणनीतिकार नाका मात्सुजावा का मानना ​​है कि टैरिफ आशंकाओं के बीच डॉलर की ताकत अल्पकालिक होगी. डॉलर इंडेक्स मौजूदा समय में 0.21 फीसदी बढ़कर 107.66 के स्तर पर पहुंच गया.