नीतीश कुमार के ‘प्लान- N’ से बिहार में सियासी कोहराम, तेजस्वी और चिराग को भी टेंशन; BJP का ‘सपना’ रह जाएगा सपना!

नीतीश कुमार के ‘प्लान- N’ से बिहार में सियासी कोहराम, तेजस्वी और चिराग को भी टेंशन; BJP का ‘सपना’ रह जाएगा सपना!नीतीश कुमार के ‘प्लान- N’ से बिहार में सियासी कोहराम, तेजस्वी और चिराग को भी टेंशन; BJP का ‘सपना’ रह जाएगा सपना!

पटना: नीतीश कुमार… बिहार की राजनीति का वह नाम जिसे समझना और जानना, मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। नीतीश कुमार के साथ सियासत करने वाले भी कहते हैं कि अन्य नेताओं के सियासी चाल को आप देर-सबेर जान जाते हैं, लेकिन जेडीयू अध्यक्ष का अगला दांव क्या होगा, जानना नामुमकिन है। शायद यही कारण है कि आरजेडी प्रमुख लालू यादव गाहे-बगाहे कहते रहते हैं ‘नीतीश के पेट में दांत है’, और उस दांत को कब एक्शन में लाना है, इसका फैसला सिर्फ नीतीश कुमार सही समय पर लेते हैं। अब आप सच रहे होंगे कि हम नीतीश और दांत की बात क्यों कर रहे हैं, तो हम आपको बताते हैं।

चर्चा में निशांत कुमार
बिहार की राजनीति में आजकल नीतीश कुमार के बाद सबसे अधिक चर्चा हो रही है, उस शख्स का नाम निशंत कुमार। निशांत कुमार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे हैं। चर्चा है कि निशांत अपने पिता की सियासी विरासत को संभालने को तैयार हैं। यूं कहा जाए तो नीतीश कुमार ने तैयार कर दिया है और सिर्फ लॉन्च करना है। दरअसल, कुछ दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार ने विधानसभा चुनाव में अपने पिता का समर्थन करने की जनता से अपील की। यही से उनके राजनीति में आने की अटकलें तेज हो गई।

सियासी विरासत को सुरक्षित करना चाहते हैं नीतीश?
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार को सबसे बड़े ‘सियासी सौदेबाज’ कहा जाता है। समय के साथ बीजेपी और आरजेडी से ‘डील’ करते रहते हैं। यही कारण है कि समय के साथ दोस्त और विरोधी भी बदलते रहते हैं। बदलते समय के साथ नीतीश कुमार अपनी राजनीतिक विरासत को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण बीजेपी है। बिहार में BJP की बढ़ती ताकत से परेशान नीतीश कुमार जेडीयू की भविष्य को सुरक्षित करने को निशांत वाला दांव खेलना चाहते हैं। ताकि बीजेपी का सपना बिहार में सपना ही रहे।

परिवारवाद की राह पर नीतीश कुमार!
बता दें कि भारतीय राजनीति में परिवारवाद नया नहीं है। उत्तर प्रदेश और बिहार के यादव परिवारों से लेकर महाराष्ट्र के ठाकरे परिवार तक, क्षेत्रीय दल अपनी निरंतरता बनाए रखने के लिए पारिवारिक नेतृत्व पर निर्भर रहे हैं। दूसरी पंक्ति के नेतृत्व के बजाय पारिवारिक उत्तराधिकार को प्राथमिकता दी जाती है। अब तक नीतीश कुमार इससे बचते रहे हैं। लेकिन जब से निशांत कुमार का नाम सामने आया है तब से चर्चा हो रही है कि एक और परिवार अब सियासी विरासत की ओर अग्रसर है। हालांकि अभी तक सीएम नीतीश की ओर से इसको लेकर कोई ऐलान नहीं किया गया है।

बिहार में तेज हो जाएगी वंशवादी सियासी लड़ाई
प्रदेश के नेतृत्व में वर्तमान में दो राजनीतिक उत्तराधिकारी हैं। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के तेजस्वी यादव और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के चिराग पासवान। निशांत का राजनीति में आते ही युवा मतदाताओं के लिए एक नए खिलाड़ी के रूप में एक और चेहरा मिल जाएगा। लेकिन यह उन लोगों को भी अलग-थलग कर सकता है जो वंशवादी राजनीति से मोहभंग हो चुके हैं। इसके अलावा, नीतीश कुमार की उत्तराधिकार योजना को वंशवादी राजनीति की ओर ले जा सकता है, जिससे जेडीयू अध्यक्ष अभी तक बचे हुए हैं।

जेडीयू को जिंदा रखने का प्रयास
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि नीतीश कुमार का यह फैसला JDU को जिंदा रखने का प्रयास भी हो सकता है। बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की पहचान ‘पलटीमार’ की तौर पर भी है। 2013 में BJP के साथ 17 साल पुरानी साझेदारी को समाप्त करने से लेकर 2015 में RJD और कांग्रेस में शामिल होने, 2017 में BJP के साथ फिर से गठबंधन करने और 2022 में RJD के नेतृत्व वाले गठबंधन में लौटने, और फिर 2024 में NDA में फिर से शामिल होने तक का है।

तो जेडीयू की भविष्य देख रहे नीतीश?
राजनीतिक ‘यू-टर्न’ ने नीतीश कुमार को एक राजनीतिक उत्तरजीवी के रूप में ‘आलोचना और सम्मान’ दोनों मिला है। हालांकि, इस तरह के पैंतरेबाजी ने बिहार की राजनीति में JDU के भविष्य की स्थिरता और प्रासंगिकता पर भी सवाल उठाए हैं। शायद नीतीश कुमार भी जानते हैं कि उनके बाद पार्टी में सियासी कोहराम मचना तय है। यही कारण है कि समय रहते वे निशांत वाला दांव चलना चाहते हैं। ताकि भविष्य में जेडीयू किंग ना भी बने तो किंग मेकर की भूमिका में तो रहे ही।

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