महामंडलेश्वर की पदवी को लेकर संत समाजों में विभेद है। सब अपना अलग-अलग मत रख रहे हैं। एक तरफ संतों का कहना है कि ऐसे ही किसी को भी उठाकर हम महामंडलेश्वर नहीं बना सकते।

प्रयागराज। 90 के दशक में बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेस रह चुकी ममता कुलकर्णी अब किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन चुकी हैं। शुक्रवार को ममता ने महाकुंभ में संन्यास ले लिया। किन्नर अखाड़े की अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता को दीक्षा देते हुए नया नाम दिया। वो अब श्रीयामाई ममता नंद गिरि के नाम से जानी जाएंगी। इधर ममता के महामंडलेश्वर बनने पर बड़ा विवाद शुरू हो गया है।
वेश्या को भी गुरु बना दो
महामंडलेश्वर की पदवी को लेकर संत समाजों में विभेद है। सब अपना अलग-अलग मत रख रहे हैं। एक तरफ संतों का कहना है कि ऐसे ही किसी को भी उठाकर हम महामंडलेश्वर नहीं बना सकते। किन्नर अखाड़े को मान्यता देकर महापाप हुआ है। किसी का भी चरित्र नहीं देखते। दूसरी ओर कुछ संतों का कहना है कि सभी लोगों को संन्यास लेने का हक़ है। वेश्या को भी गुरु बनाया जा सकता है।
पाप हुआ है
शांभवी पीठाधीश्वर श्री स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने इस घटना को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि किन्नर अखाड़े को पिछले कुंभ में मान्यता देकर पाप हुआ था। जिस तरह से अनुशासनहीनता हो रही है, वो बेहद घातक है। सनातन धर्म के साथ धोखा हो रहा है, ये छल है। किन्नर अखाड़े का लोग मजाक उड़ा रहे हैं। मैंने उससे कहा था कि ऐसी जगह मत गिरने जाओ कि लोग तुमपर थूकने लगे। ममता का नाम बड़ा है, उसके नाम पर किन्नर अखाड़ा व्यापर करेगा।
जूना अखाड़े ने किया स्वागत
निरंजनी आनंद अखाड़े के महामंडलेश्वर बालकानंद जी महाराज ने कहा कि किसी को भी महामंडलेश्वर बनाने से पहले छानबीन की जाती है। देखा जाता है कि व्यक्ति का चरित्र कैसा है। दशनाम अग्नि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर रामकृष्णानंद गिरि ने कहा कि एक बार पद पर बैठाने से पहले यह देखना चाहिए कि वह इसके लिए उपयुक्त है या नहीं। जूना अखाड़ा ने कहा कि अगर कोई मोह माया त्याग कर आना चाहता है तो उसका स्वागत है।