Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है हर कोई इस महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहा है. यहां आने के बाद लोगों को लगता है कि वो किसी भी घाट पर स्नान कर सकते हैं. महाकुंभ में गंगा और यमुना घाट दोनों हैं. साथ ही त्रिवेणी घाट भी हैं. महाकुंभ में अन्य घाट भी हैं. ऐसे में अगर आपमहाकुंभ में जाकर स्नान की योजना बना रहे हैं तो जान लीजिए कि किस घाट पर स्नान करना चाहिए.
संगम घाट पर होती है भीड़
दरअसल, लोग यहां आकर गंगा के बजाय यमुना घाट पर भी स्नान कर रहे हैं. अगर आप गूगल मैप देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि एक तरफ से गंगा जी जा रही हैं. तो वहीं दूसरी ओर यमुना जी जा रही हैं. इनके बीच में एक लाइन है. ये लाइन त्रिवेणी संगम की है. इसी घाट पर बड़ी संख्या में अमृत स्नान के लिए लोग पहुंचते हैं.
ये हैं यमुना घाट
महाकुंभ में यमुना घाटों को बात की जाए तो इसमें काली घाट, सरस्वती घाट, किला घाट और अरेल घाट शामिल है. वहीं अरैल घाट का इस्तेमाल करके अमृत स्नान के लिए त्रिवेणी संगम तक आया जा सकता है. यमुना और त्रिवेणी घाट के अलावा महाकुंभ में दो और छतनाग घाट और दशाश्वमेध घाट भी हैं. ये दोनों गांगा के घाट हैं, लेकिन इन घाटों की दूरी अधिक है. ज्यादातर अमृत स्नान के लिए लोग आते हैं. त्रिवेणी संगम घाट पर अमृत स्नान के दिन बड़ी भीड़ होती है.
महाकुंभ में अमृत स्नान
बता दें कि आज महाकुंभ में मौनी अमावस्या का अमृत स्नान है. इसके बाद महाकुंभ में बसंत पंचमी का अमृत स्नान (3 फरवरी), माघ पूर्णिमा का अमृत स्नान (12 फरवरी) और महाशिवरात्रि का अमृत स्नान (26 फरवरी) को किया जाएगा. ये महाकुंभ का अंतिम अमृत स्नान रहेगा. इस स्नान के बाद महाकुंभ का समापन हो जाएगा.
अमृत स्नान का महत्व
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ के समय नदियों का जल अमृत के समान हो जाता है. इसलिए महाकुंभ में अमृत स्नान बहुत ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं. महाकुंभ में अमृत स्नान की तिथियां ग्रहों और नक्षत्रों की चाल देखकर निर्धारित की जाती हैं. महाकुंभ में अमृत स्नान करने पर सभी पापों का नाश हो जाता है. साथ ही अमृत स्नान करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
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