तोरई एक प्रकार की सब्जी होती है और इसकी खेती भारत में सभी स्थानों पर की जाती है। पोषक तत्वों के अनुसार इसकी तुलना नेनुए से की जा सकती है।
वर्षा ऋतु में तोरई की सब्जी का प्रयोग भोजन में अधिक किया जाता है।
तोरई मीठी व कड़वी दो तरह की होती है इसकी प्रकृति ठंडी और तर होती है।
तोरई के अद्भुत फायदे–>
पथरी
तोरई की बेल गाय के दूध या ठंडे पानी में घिसकर रोज सुबह के समय में 5 दिन तक पीने से पथरी गलकर खत्म होने लगती है।
लिवर के लिए गुणकारी
आदिवासी जानकारी के अनुसार लगातार तुरई का सेवन करना सेहत के लिए बेहद हितकर होता है। तुरई रक्त शुद्धिकरण के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। साथ ही यह लिवर के लिए भी गुणकारी होता है।
फोड़े की गांठ
तोरई की जड़ को ठंडे पानी में घिसकर फोड़ें की गांठ पर लगाने से 1 दिन में फोड़ें की गांठ खत्म होने लगता है।
चकत्ते
तोरई की बेल गाय के मक्खन में घिसकर 2 से 3 बार चकत्ते पर लगाने से लाभ मिलता है और चकत्ते ठीक होने लगते हैं।
आंखों के रोहे तथा फूले
आंखों में रोहे (पोथकी) हो जाने पर तोरई (झिगनी) के ताजे पत्तों का रस को निकालकर रोजाना 2 से 3 बूंद दिन में 3 से 4 बार आंखों में डालने से लाभ मिलता है।
गठिया (घुटनों के दर्द में) रोग
पालक, मेथी, तोरई, टिण्डा, परवल आदि सब्जियों का सेवन करने से घुटने का दर्द दूर होता है।
पेशाब की जलन
तोरई पेशाब की जलन और पेशाब की बीमारी को दूर करने में लाभकारी होती है।
बालों को काला करना
तुरई के टुकड़ों को छाया में सुखाकर कूट लें। इसके बाद इसे नारियल के तेल में मिलाकर 4 दिन तक रखे और फिर इसे उबालें और छानकर बोतल में भर लें। इस तेल को बालों पर लगाने और इससे सिर की मालिश करने से बाल काले हो जाते हैं।
बवासीर (अर्श)
तोरई की सब्जी खाने से कब्ज ठीक होती है और बवासीर में आराम मिलता है।
कडवी तोरई को उबाल कर उसके पानी में बैंगन को पका लें। बैंगन को घी में भूनकर गुड़ के साथ भर पेट खाने से दर्द तथा पीड़ा युक्त मस्से झड़ जाते हैं।
कृपया इन बातों का खास ध्यान रखें
- तोरई कफ तथा वात उत्पन्न करने वाली होती है अत: जरूरत से अधिक इसका सेवन करना हानिकारक हो सकता है।
- तोरई पचने में भारी और आमकारक है। वर्षा ऋतु में तोरई का साग रोगी व्यक्तियों के लिए लाभदायक नहीं होता है।