बड़ा खुलासा: कांग्रेस दिल्ली में भाजपा को जीताना चाहती थी, हरियाणा इलेक्शन में भी झुकी थी आप

आदित्य ठाकरे से बातचीत में अरविंद केजरीवाल ने जो जानकारी दी है वो कांग्रेस की गठबंधन से जुड़ी नीतियों को एक्सपोज करती है। संजय राउत ने इस बातचीत का खुलासा किया है।

बड़ा खुलासा: कांग्रेस दिल्ली में भाजपा को जीताना चाहती थी, हरियाणा इलेक्शन में भी झुकी थी आप

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  • February 16, 2025 3:37 pm Asia/KolkataIST, Updated 21 hours ago

नई दिल्ली: शिवसेना नेता संजय राउत ने अपने लेख में अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में आदित्य ठाकरे और अरविंद केजरीवाल के बीच हुई बैठक में इस विषय पर विस्तार से चर्चा हुई थी।

हरियाणा में कांग्रेस-आप गठबंधन की कोशिश

केजरीवाल ने आदित्य ठाकरे से हुई बातचीत में बताया कि उन्होंने हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन कांग्रेस के रुख के कारण यह संभव नहीं हो सका। जब केजरीवाल जेल में थे, तब पार्टी के नेता राघव चड्ढा हरियाणा में चुनावी रणनीति को देख रहे थे। केजरीवाल ने जेल से ही उन्हें कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के निर्देश दिए थे।

राघव चड्ढा ने इस सिलसिले में कांग्रेस नेतृत्व से बातचीत की और सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चा हुई। कांग्रेस ने शुरू में ‘आप’ को छह सीटें देने की बात कही, जिसे केजरीवाल ने स्वीकार कर लिया। लेकिन जब आगे बातचीत बढ़ी, तो कांग्रेस ने सीटों की संख्या घटाकर चार कर दी। इसके बाद कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि ‘आप’ को केवल दो सीटें दी जाएंगी।

दिल्ली में भी वही स्थिति

हरियाणा की तरह ही दिल्ली में भी गठबंधन को लेकर कांग्रेस ने लचीला रुख नहीं दिखाया। केजरीवाल के अनुसार, कांग्रेस ने भाजपा को हराने के बजाय आम आदमी पार्टी को कमजोर करने पर ज्यादा ध्यान दिया। उन्हें जो सीटें दी जा रही थीं, वे भाजपा के मजबूत गढ़ वाले क्षेत्र थे, जिससे ‘आप’ को नुकसान उठाना पड़ता।

गठबंधन क्यों नहीं हो सका?

इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस और ‘आप’ के बीच विश्वास की कमी थी। कांग्रेस के फैसलों से ऐसा प्रतीत हुआ कि वह भाजपा से अधिक आम आदमी पार्टी को चुनौती मान रही थी। संजय राउत के अनुसार, केजरीवाल की इस पूरी स्थिति पर नाराजगी और दुख उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था।इस घटनाक्रम ने कांग्रेस की गठबंधन नीति को कटघरे में खड़ा कर दिया और यह दर्शाया कि विपक्षी दलों के बीच एकता की राह इतनी आसान नहीं है।