Himachali Khabar, Digital Desk- (Indian Currency Note): बाजार में खरीदारी करने के लिए हमें चीज़ों की कीमत के बराबर रुपये देने होते हैं, जो कागज के नोटों या सिक्कों के रूप में होते हैं. वर्तमान में मुद्रा (currency) के रूप में मुख्यतः नोटों और सिक्कों का प्रयोग होता है. 2016 में नोटबंदी (demonetization) के दौरान 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद कर दिया गया, जिससे नए नोटों का चलन शुरू हुआ.
नए नोटों का साइज, कलर, प्रिंट (print) सब बदल गया, लेकिन एक चीज जो नहीं बदली वह है नोट पर लिखी यह लाइन – ‘मैं धारक को…रुपये अदा करने का वचन देता हूं. 10 से लेकर 2000 रुपये तक के नोट पर भी यही वाक्य लिखा होता है. क्या आप इस वाक्य की महत्ता को समझते हैं? कभी सोचा है कि इसका मतलब क्या है और अगर यह न लिखा हो तो क्या होगा?
क्या है इस लाइन का मतलब-
भारत में नोटों का निर्माण और वितरण भारतीय रिजर्व बैंक (RBI updates) के जिम्मे है। RBI, नोटों पर एक वचन लिखकर धारकों को विश्वास दिलाता है. इसका अर्थ है कि नोट के मूल्य (value of note) के बराबर सोना RBI के पास रिजर्व में रखा गया है. यह धारकों के लिए एक सुरक्षा का प्रतीक है, जो बताता है कि उनके पास मौजूद प्रत्येक नोट के लिए RBI की ओर से पूरी देयता है, यानि उनका मूल्य सुरक्षित है.
नोटों पर क्यों बनी होती हैं तिरछी लाइनें-
इसके अलावा, आपने अगर गौर किया हो तो 100, 200, 500 और 2000 रुपये के नोटों के किनारों पर तिरछी लाइनें बनी होती हैं. इन लाइनों को ‘ब्लीड मार्क्स’ कहते हैं. असल में इन ब्लीड मार्क्स (bleed marks) को खासतौर पर नेत्रहीनों के लिए बनाया जाता है. नोट पर बनी इन लकीरों को छू कर ही वो लोग यह पता लगा सकते हैं कि वह नोट कितने रुपये का है. इसीलिए 100, 200, 500 और 2000 के नोटों पर अलग-अलग संख्या में लकीरें बनीं हुई होती हैं.
1 रुपये के नोट पर नहीं होते RBI गवर्नर के हस्ताक्षर-
भारतीय मुद्रा में 1 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक के नोट प्रचलन में हैं. इन सभी नोटों के मूल्य और वितरण के लिए रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) के गवर्नर जिम्मेदार होते हैं. ध्यान देने योग्य है कि सभी नोटों पर RBI गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं, सिवाय 1 रुपये के नोट के. 1 रुपये के नोट पर भारत के वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं, जो इसकी विशिष्टता को दर्शाता है.