Supreme Court ने कर्मचारियों की पेंशन के मामले में सुनाया बड़ा फैसला, इन लोगों को नहीं मिलेगा पेंशन का लाभ

Supreme Court ने कर्मचारियों की पेंशन के मामले में सुनाया बड़ा फैसला, इन लोगों को नहीं मिलेगा पेंशन का लाभ

Himachali Khabar  – (SC decision) सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों की पेंशन से जुड़े मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस फैसले ने कई कर्मचारियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कुछ खास श्रेणियों के कर्मचारियों को पेंशन (pension rule in india) का लाभ नहीं मिलेगा। इस निर्णय से संबंधित सभी को अब अपने भविष्य के वित्तीय मामलों को लेकर नई योजना बनानी होगी।

यह फैसला सरकारी कर्मचारियों (govt employees news) के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, जिससे उनके सामने कई नए सवाल खड़े हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर करोड़ों कर्मचारियों पर पड़ेगा। आइये जानते हैं कोर्ट के इस फैसले के बारे में विस्तार से।

ये लोग होंगे पेंशन से वंचित –

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि जो राज्य सरकार के कर्मचारी केंद्रीय विभाग में अस्थायी तौर पर काम कर रहे हैं, उन्हें केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन (Central civil pension) का लाभ नहीं मिलेगा। कोर्ट ने इस फैसले को सुनाते हुए बताया कि यह कर्मचारी केंद्रीय सेवा के नियमों के तहत पेंशन के हकदार नहीं होंगे। यह फैसला चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने सुनाया, जिससे इस श्रेणी के कर्मचारियों की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है।

हाईकोर्ट के फैसले को पलटा –

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय (High court decision) को पलट दिया है, जिसमें केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के आदेश को सही माना गया था। न्यायाधिकरण ने यह कहा था कि प्रतिवादी कर्मचारी की पेंशन केंद्रीय वेतनमान के अनुसार तय की जाए। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नया रुख अपनाया है, जिससे पेंशन संबंधित मामलों में नया मोड़ आया है।

इन कर्मचारियों से जुड़ा था पूरा मामला-

फणी भूषण एक कर्मचारी जो 1968 से पश्चिम बंगाल सरकार में काम कर रहे थे, 1991 में एक केंद्रीय विभाग में पशुपालन कार्य के लिए भेजा गया था। 1992 में उन्होंने सेवा से अवकाश लिया, लेकिन उन्हें फिर से राज्य सरकार में नहीं लौटाया गया। बाद में उनकी पेंशन राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की गई। इस मामले में उच्च न्यायालय (HC decision on deputation) में यह मुद्दा उठाया गया कि क्या उनकी पेंशन और प्रतिनियुक्ति की स्थिति सही थी। यह मामला पेंशन और कार्य स्थान से संबंधित व्याख्या पर केंद्रित था।

कैट में भी पहुंचा था मामला –

फणी भूषण ने राज्य सरकार की पेंशन को कैट (Central Administrative Tribunal) अदालत में चुनौती दी। अदालत ने पेंशन को उनकी केंद्रीय कार्य की स्थिति के आधार पर निर्धारित करने का आदेश दिया। बाद में, उच्च न्यायालय (High court decision) ने भी इस आदेश को सही ठहराया। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि उनकी पेंशन केंद्रीय वेतनमान के हिसाब से तय की जाएगी। अदालत के फैसले के बाद, उन्हें उनके नए पद के अनुसार पेंशन प्राप्त होने का रास्ता साफ हो गया।

राज्य सरकार के नियमों के अनुसार मिलेगी पेंशन –

सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की। मामले में यह सवाल उठाया गया कि क्या केंद्रीय सेवा में काम करने के कारण कर्मचारी को केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियम 1972 (Central Civil Services Pension Rules 1972) के तहत पेंशन मिलेगी या नहीं। सर्वोच्च न्यायालय (SC challenge HC decision) ने उच्च न्यायालय के आदेश को पलटते हुए केंद्रीय पेंशन मानक को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद, यह साफ हो गया कि कर्मचारी को राज्य सरकार के नियमों के अनुसार ही पेंशन मिलेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने की यह टिप्पणी –

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि किसी कर्मचारी को अस्थायी रूप से दूसरे स्थान पर भेजने से वह स्थायी रूप से स्थानांतरित नहीं होता। जब उस कर्मचारी की अस्थायी तैनाती खत्म होती है, तो वह अपने मूल विभाग में वापस लौटता है। इससे यह स्पष्ट हुआ कि कर्मचारी को केंद्रीय पेंशन योजना का लाभ नहीं मिलेगा। यह निर्णय यह बताता है कि प्रतिनियुक्ति (Supreme court decision on deputation) एक अस्थायी प्रक्रिया है और इससे कर्मचारी की स्थायी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आता।

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