लोन की EMI नहीं भर पाने वालों को मिली बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने सभी बैंकों को जारी किए सख्त आदेश

लोन की EMI नहीं भर पाने वालों को मिली बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने सभी बैंकों को जारी किए सख्त आदेश

Himachali Khabar – (EMI for Loan) कई बार कुछ लोग बैंकों से लिए गए लोन को समय पर नहीं चुका पाते। इस स्थिति में बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI loan recovery rules) की नियमों के मुताबिक कदम उठाने होते हैं। हाल ही में एक अहम मामला अदालत में गया, जहां लोन न चुकाने से जुड़ी एक नीति को चुनौती दी गई। आरबीआई (reserve bank of india) ने इस बारे में सर्कुलर जारी कर लोनधारकों के संबंध में निर्णय लेने के निर्देश दिए थे। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है, जिससे लोनदारों को राहत मिली है । आइए जानते हैं विस्तार से सुप्रीम कोर्ट (supreme court) के इस निर्णय के बारे में।

इनके लिए भी राहत भरा है फैसला –

करोड़ों लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेते हैं, लेकिन कई बार कर्जी व्यक्ति कर्ज का भुगतान नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति में बैंक, नियामक अधिकारियों के दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्रवाई शुरू कर देते हैं। अगर कर्ज की रिकवरी (Loan recovery tips) नहीं हो पाती तो उस व्यक्ति को डिफॉल्टर घोषित (Loan defaulter rules) कर दिया जाता है।

इस मामले में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक सर्कुलर जारी किया था। हाल ही में इस पर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। यह फैसला उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जो अपनी कर्ज की अदायगी में असमर्थ हैं और इससे उनके सामने आने वाली मुश्किलों को उजागर करता है। यह  फैसला उन लोगों के लिए भी राहत भरा है जो भविष्य में लोन लेने की सोच रहे हैं।

आरबीआई ने जारी किया था सर्कुलर –

हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India)  ने  एक मास्टर सर्कुलर जारी किया गया, जिसमें बैंकों को निर्देशित किया गया कि वे उन उधारकर्ताओं के खाते, जिन्हें जानबूझकर भुगतान न करने वाला माना गया है, उन्हें धोखाधड़ी के तहत वर्गीकृत करें। यह दिशा-निर्देश कई उच्च न्यायालयों में चुनौती का विषय बना था, जहां तेलंगाना और गुजरात उच्च न्यायालय (Gujarat High court decision) ने इस पर अपना निर्णय सुनाया। इसके बाद यह मामला उच्चतम न्यायालय में भी पहुंच गया। इस कदम का उद्देश्य वित्तीय संस्थानों की सुरक्षा बढ़ाना और धोखाधड़ी के मामलों को रोकना है। उच्चतम न्यायालय का इस पर अंतिम निर्णय जल्द ही सामने आ सकता है।

लोन का भुगतान न करने पर मिलेगा अवसर –

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई के दौरान एक अहम निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति के लोन खाते को धोखाधड़ी के रूप में स्वीकार करने से पहले उसे अपनी बात रखने का अवसर मिलना चाहिए। इसके बिना सीधे ऐसा कदम उठाने से व्यक्ति के क्रेडिट स्कोर (CIBIL score) पर नकारात्मक असर पड़ता है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में पीठ ने इस तरह की एकतरफा कार्रवाई से मना किया। कोर्ट का मानना है कि बिना किसी को अपना पक्ष रखने का अवसर दिए, बैंक ग्राहक के खाते को धोखाधड़ी के रूप में नहीं माना जा सकता। यह आदेश उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करता है।

यह कहना है सुप्रीम कोर्ट का –

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एक अहम बात  कही, जिसमें कहा कि लोन अकाउंट को धोखाधड़ी (fraud accounts news) के रूप में स्वीकार करने से पहले पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराना जरूरी नहीं है। कोर्ट ने यह भी बताया कि किसी खाते को धोखाधड़ी मानने का मतलब उस व्यक्ति को काले सूची में डालना होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर विभिन्न उच्च न्यायालयों के निर्णयों पर विचार किया और आरबीआई (RBI update) के दिशा-निर्देशों से सहमति जताई। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court decision on loan) का कहना है कि बिना उचित प्रक्रिया के इस तरह के निर्णय नहीं लिए जाने चाहिए, ताकि उपभोक्ता के अधिकारों की रक्षा हो सके।

नहीं किया जा सकता मूल अधिकारों का उल्लंघन –

रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों (RBI guidelines for banks) को कई न्यायालयों में चुनौती दी गई थी, जिसमें तेलंगाना उच्च न्यायालय भी शामिल था। इस मामले में उच्च न्यायालय ने एक अलग रुख अपनाया और कहा कि यदि कर्ज समय पर नहीं चुकाया जाता है तो बैंक को उपभोक्ता को अपनी बात रखने का मौका देना आवश्यक है, नहीं तो यह उनके संवैधानिक अधिकारों (constitutional rights) यानी मूल अधिकारों का उल्लंघन होगा।

इन मूल अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने तेलंगाना उच्च न्यायालय (Telangana High Court) के इस निर्णय से सहमति व्यक्त की और यह माना कि उपभोक्ताओं को अपने मामले में बैंकों के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अवसर मिलना चाहिए।

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