Supreme Court : पुश्तैनी जमीन और मकान वालों के लिए जरूरी खबर, सुप्रीम कोर्ट ने प्रोपर्टी के मालिकाना अधिकार को लेकर सुनाया बड़ा फैसला

Supreme Court : पुश्तैनी जमीन और मकान वालों के लिए जरूरी खबर, सुप्रीम कोर्ट ने प्रोपर्टी के मालिकाना अधिकार को लेकर सुनाया बड़ा फैसला

Himachali Khabar, Digital Desk- (Supreme Court) यदि आपके पास पुश्तैनी जमीन या मकान है, तो यह खबर महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने संपत्ति के मालिकाना अधिकार पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। यह निर्णय संपत्ति के विवादों को सुलझाने और मालिकाना हक को स्पष्ट करने में सहायक होगा। इससे संबंधित कानूनी प्रक्रिया और अधिकारों को समझना जरूरी है। 

 

 

इसमें कहा गया है कि रेवेन्यू रिकार्ड (Revenue Record) में दाखिल खारिज हुआ हो या नहीं, इससे उसके मालिकाना हक पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। उस संपत्ति पर मालिकाना हक का फैसला सक्षम सिविल कोर्ट की तरफ से ही तय होगा।

क्या कहना है सुप्रीम कोर्ट ने-
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि रेवेन्यू रिकॉर्ड (revenue record) में एक एंट्री मात्र उस व्यक्ति को संपत्ति का हक नहीं देती है जिसका नाम दर्ज है। बेंच ने कहा कि रेवेन्यू रिकॉर्ड या जमाबंदी की एंट्री केवल वित्तीय उद्देश्यों के लिए होती है, जैसे कि भू-राजस्व (Land Revenue) का भुगतान। इसलिए, ऐसी एंट्री के आधार पर किसी भी प्रकार का मालिकाना हक नहीं स्थापित किया जा सकता है।

म्यूटेशन का मतलब संपत्ति का हस्तांतरण-
हाउसिंग डॉट कॉम के ग्रूप सीएफओ विकास बधावन का कहना है कि किसी संपत्ति या जमीन का म्यूटेशन (mutation of property or land) दिखाता है कि एक संपत्ति को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को स्थानांतरित किया गया है। यह करदाताओं की जिम्मेदारी तय करने में भी अधिकारियों की मदद करता है। इससे किसी को मालिकाना हक नहीं मिलता। ‘दाखिल-खारिज’ के नाम से लोकप्रिय, यह प्रक्रिया एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न है। दाखिल खारिज एक बार में पूरा होने वाला काम नहीं है। इसे समय समय पर अपडेट करने की आवश्यकता है।

महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर रखें नजर-

संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों (property realted documents) की देखभाल बेहद महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court Decision) के फैसले का तात्पर्य है कि विवाद से पहले व्यक्ति को म्यूटेशन (mutation) में अपना नाम बदल लेना चाहिए। यह निर्णय उन लोगों के लिए राहत प्रदान करेगा, जिन्होंने तुरंत म्यूटेशन में नाम नहीं बदला है। हालांकि, यह स्थिति उचित नहीं है और इससे संपत्ति विवाद (property dispute) को सुलझाने में समय लग सकता है, जिससे कानूनी परेशानियाँ बढ़ सकती हैं।

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