Himachali Khabar – आज शहरों में प्रॉपर्टी के रेट (Property rates) सातवें आसमान पर जा पहुंचे हैं ऐसे में ज्यादातर लोग खुद का घर खरीदने की बजाय किराये पर मकान लेकर रहते हैं। मकान मालिकों के लिए किराये की आय एक स्थाई इनकम हो गई हैं। आजकल बड़े महानगरों में यह एक बिजनेस की तरह बड़े लेवल पर फैल गया है। लेकिन इसके साथ ही किरायेदार और मकान मालिकों के बीच विवाद के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। कई बार किराएदार घर या या दुकान को रेंट पर लेते हैं, और उसे बाद में आसानी से खाली नहीं करते हैं।
यदि आप भी अपना मकान या कोई दुकान को किराये पर देने की सोच रहे हैं तो किरायेदार और माकान मालिक को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court News) द्वारा की गई अहम टिप्पणी के बारे में जरूर जान लें। जोकि मकान मालिक और किराएदार दोनों को जानना बहुत महत्वपूर्ण है। किरायेदार और मकान मालिक (tenant and landlord dispute) से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मकान मालिक ही यह तय करेगा कि अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए किरायेदार से कौन सी जगह खाली करवाई जाए। किराएदार इस वजह से जगह को खाली करने से इनकार नहीं कर सकता है कि मकान मालिक (landlord’s rights) के पास अन्य प्रॉपर्टी है जिससे वह अपनी जरूरत को पूरा कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात –
एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा, मकान मालिक को अगर सही में संपत्ति खाली कराने की जरूरत है तो किराएदार को जगह से निकालने वह कानून की भी मदद ले सकता है। किरायेदार से जगह खाली करवाने की इच्छा मात्र के बजाय जरूरत वास्तविक होनी चाहिए। मकान मालिक ही यह तय करने के लिए सबसे अच्छा जज है कि उसकी विशेष जरूरत को पूरा करने के लिए उसकी संपत्ति में से कौन सी संपत्ति खाली करवाई जानी चाहिए। किराएदार की यह तय करने में कोई भूमिका नहीं है कि मकान मालिक को बेदखली के मुकदमे में आरोपित उसकी आवश्यकता के लिए कौन सी संपत्ति खाली करवानी चाहिए।
जानिये क्या है पूरा मामला –
दरअसल, एक मकान मालिक ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) में याचिका दायर की थी कि उसने खाली पड़े मकान को किरायेदार को रेंट पर दिया है लेकिन अब उसे अपने दो बेरोजगार बेटों के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन लगवानी है और इसके लिए उसे किराएदार से वह मकान खाली करवाना है। लेकिन किरायेदार ने मकान को खाली करने से इनकार कर दिया। जब मकान मालिक ने निचली अदालत में याचिका लगाई तो उसे खारिज कर दिया गया और फिर हाई कोर्ट (High Court News) ने उसी फैसले को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह (Justice N Kotishwar Singh) की बेंच में इस मामले की सुनवाई की।
मकान मालिक के हक में सुप्रीम कोर्ट का फैसला –
कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान किराएदार ने कहा कि मकान मालिक के पास और भी संपत्ति है और वह उससे मकान खाली कराने की बजाए दूसरी प्रॉपर्टी (Property News) को खाली करवाकर उपयोग में ले सकता है। किराएदार की इस दलील को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि एक बार जब मकान मालिक की वास्तविक जरूरत पूरी हो जाती है, तब भी किराएदार अपनी सुविधा के आधार पर मकान मालिक को किसी अन्य संपत्ति को खाली करवाने की मांग करके मजबूर नहीं कर सकता है। यह मकान मालिक (Landlord Rights) तय करेगा कि उसे अपनी प्रॉपर्टी को किस तरह से काम में लेना है और कब किरायेदार से खाली करवाना है। न कि किरायेदार मकान मालिक को राय दे कि उसे किस संपत्ति को इस्तेमाल में लेना चाहिए।
मकान मालिक और किरायेदार (Landlord and Tenant Rights) दोनों की दलीलों को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मकान मालिक के हक में फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा मकान मालिक के पास अन्य प्रॉपर्टी हो सकती है। लेकिन यदि उसे अपने दो बेरोजगार बेटों के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन लगाने के लिए किरायेदार से मकान खाली करवाने का फैसला किया है, तो उसे किरायेदार अन्य प्रॉपर्टी पर अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है।