Himachali Khabar – (Right Father’s Land) आए दिन कोर्ट में प्रॉपर्टी की हिस्सेदारी से जु्ड़े कई मामले देखने को मिल जाते हैं, इन्हीं में से कुछ मामले बेटी के अधिकारों के भी होते हैं। कुछ ऐसे ही मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court decision) ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है। फैसले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बताया कि एक विशेष परिस्थिति में बेटी को पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी नहीं दी जाती है। खबर में जानिये सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के बारे में।
सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात –
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक विवाहित जोड़े के तलाक की सुनवाई करने के दौरान एक बड़ा फैसला सुनाया है। फैसले को सुनाते हुए उन्होंने बताया कि बेटी अपने पिता (share in father’s property) से रिश्ता नहीं रखना चाहती, उस बेटी का अपने पिता की संपत्ति में भी किसी तरह का कोई अधिकार नहीं दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस ने जानकारी देते हुए बताया कि तलाक (SC decision on Divorce) के मामले की सुनवाई कर रही थी। मामले की सुनवाई करने के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पति-पत्नी और पिता-पुत्री के रिश्तों में सुलह कराने की भी कोशिश की थी लेकिन बात नहीं बनने पर ये फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया।
पढ़ाई और शादी के लिए भी नहीं ले सकती मदद –
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए बताया कि जो बेटी अपने पिता (pita ki samptti par adhikar) से किसी तरह का कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती, तो ऐसे में बेटी को पिता की धन और संपत्ति में किसी तरह का कोई अधिकार नहीं दिया जाता है। इसके अलावा बेटी (beti ke adhikar) अपनी पढ़ाई और शादी के लिए भी पिता से किसी तरह की मदद की भी मांग नहीं कर सकती है।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दर्ज याचिका –
मामले के मुताबिक पति ने अपने वैवाहिक अधिकारों को लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (High court decision) में पिछले कुछ दिनों में याचिका को दायर की थी। इस याचिका को हाईकोर्ट ने भी अस्वीकार कर दिया था, जिसके बाद पति ने सुप्रीम कोर्ट (SC decision on daughter rights) में तलाक की गुहार लगाई, इसके तहत सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने भी पति-पत्नी और पिता-पुत्री (daughter property rights) के रिश्तों में सुलह कराने की कोशिश की थी। इसमें दोनों ही पक्षों ने समझौता करने से इंकार कर दिया था। जानकारी के लिए बता दें कि पूरे मामले में बेटी जन्म से ही अपनी माता के साथ रहती है और अब 20 साल की हो चुकी है। कोर्ट में बेटी ने खुद के पिता (right over father property) को देखने से भी इनकार कर दिया था।
बेंच नले दी टिप्पणी –
कोर्ट ने फैसले को देते हुए कहा है कि मामले में बेटी बालिग (adult daughter rights) है और उसकी उम्र भी 20 साल की हो चुकी है। कोर्ट ने बताया कि बेटी अपने फैसला को लेने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है। अगर बेटी अपने पिता (pita ki sampatti me adhikar) से किसी तरह का कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती हैं तो वो अपने पिता की किसी में संपत्ति में हिस्से (share in property) की मांग नहीं कर सकती है और ना ही वो पैसे की भी हकदार है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पति को पत्नी को 8 हजार रुपये मासिक या एकमुश्त 10 लाख रुपये का गुजारा भत्ता देने का फैसला सुनाया।
इस नियम का हवाला देते हुए सुनाया फैसला –
पिता-पुत्री के रिश्ते पर कानून के अंदर 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) 1956 में बदलाव किया गया था। इसमें बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबर के हक देने के लिए संशोधन किया गया था। कानून (rules for daughter rights) के मुताबिक बेटी अपने पिता से रिश्ता नहीं रखती है तो इस परिस्थिति में उसको संपत्ति में कोई हक नहीं दिया जाएगा। वहीं पिता (pita ki jimmaydari) अपनी बेटी से रिश्ता नहीं तोड़ सकता और अपनी जिम्मेदारियों से पल्ले को भी नहीं झाड़ सकता है।