

नई दिल्ली: संसद में वक्फ बिल लाने का रास्ता साफ हो गया है. अब इसे बजट सत्र के दूसरे चरण में पेश किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्रीय कैबिनेट ने इस बाबत एक अहम बैठक की. इस बैठक में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को मंजूरी दे दी है. संसद में पेश की गई संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट में प्रस्तावित विभिन्न संशोधनों को शामिल किया गया. इसके बाद संशोधित वक्फ बिल को मंजूरी दी गई. केंद्र सरकार संसद के बजट सत्र के दूसरे भाग में इसे पारित कराने के लिए विधेयक को सदन में पेश कर सकती है.
सूत्रों के अनुसार, 19 फरवरी की कैबिनेट की बैठक में दी गई संशोधनों को मंजूरी दी गई है. इन संशोधनों के आधार पर ही इस बिल को मंजूरी दी गई है. जेपीसी ने वक्फ बिल पर कई संशोधन सुझाए हैं. हालांकि, विपक्षी सदस्यों ने असहमति व्यक्त की है.विपक्षी सांसदों द्वारा सुझाए गए सभी संशोधनों को खारिज कर दिया गया, जबकि बीजेपी और NDA के अन्य सदस्यों की ओर से प्रस्तावित संशोधनों को स्वीकार कर लिया गया है.
इस्लामी परंपरा में वक्फ मुसलमानों द्वारा समुदाय के लाभ के लिए किया गया एक धर्मार्थ या धार्मिक दान होता है. ऐसी संपत्तियों को बेचा नहीं जा सकता है या किसी अन्य उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, जिसका अर्थ है कि वे अल्लाह की हैं. इनमें से बड़ी संख्या में संपत्तियों का उपयोग मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों और अनाथालयों के लिए किया जाता है.
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अनुसार, विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के नियमन और प्रबंधन में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है. मोदी सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का नाम बदलकर प्रस्तावित नाम यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (UMEED) बिल करने का फैसला किया है.
JPC ने अपनी सिफारिश में कहा, ‘नया नाम वक्फ बोर्डों और संपत्तियों के प्रबंधन और दक्षता को बढ़ाने के लिए विधेयक के व्यापक लक्ष्य को दर्शाता है. इसमें सशक्तिकरण, विकास और प्रभावी प्रशासन पर ध्यान केंद्रित किया गया है.’
विधेयक में प्रमुख संशोधन इस प्रकार हैं:
1) मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण और वक्फ प्रबंधन में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राज्य वक्फ बोर्ड (धारा 14) और केंद्रीय वक्फ परिषद (धारा 9) दोनों में दो मुस्लिम महिलाओं को सदस्य के रूप में शामिल किया जाता रहेगा.
2) राज्य वक्फ बोर्डों में अब मुस्लिम ओबीसी समुदाय के एक सदस्य को शामिल किया जाएगा, जिससे व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होगा (धारा 14).
3) राज्य सरकार अघाखानी और बोहरा समुदायों के लिए उनकी विशिष्ट धार्मिक आवश्यकताओं को स्वीकार करते हुए अलग-अलग वक्फ बोर्ड स्थापित कर सकती है (धारा 13).
4) वक्फ अलाल औलाद (पारिवारिक वक्फ) में महिलाओं के उत्तराधिकार के अधिकारों की रक्षा की जाएगी. एक वक्फ संपत्ति तभी समर्पित कर सकता है जब यह सुनिश्चित हो जाए कि महिला उत्तराधिकारियों को उनका उचित हिस्सा मिल गया है (धारा 3A(2)).
5) यूजर द्वारा रजिस्टर्ड वक्फ को वक्फ के रूप में मान्यता दी जाएगी. हालांकि, यह नियम उन संपत्तियों पर लागू नहीं होगा जो विवादित हैं या सरकार के स्वामित्व में हैं. (धारा 3(आर))
6) इस कानून के लागू होने के साथ ही सभी वक्फ से जुड़े मामलों पर सीमा अधिनियम लागू होगा. इससे समय पर विवादों का निपटारा होगा और लंबी कानूनी लड़ाई से बचा जा सकेगा. (धारा 107)
7) पोर्टल के जरिए वक्फ संपत्तियों के पूरे जीवन चक्र को ऑटोमेट करने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
8) वक्फ बोर्ड को छह महीने के अंदर सभी वक्फ संपत्तियों का विवरण केंद्रीय पोर्टल पर अपलोड करना होगा. वक्फ ट्रिब्यूनल मामले के आधार पर समय सीमा बढ़ा सकता है.
9) अगर किसी सरकारी संपत्ति पर वक्फ होने का दावा किया जाता है तो राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित कलेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी कानून के अनुसार जांच करेंगे. रिपोर्ट आने तक ऐसी सरकारी संपत्तियों को वक्फ नहीं माना जाएगा. (धारा 3सी)
10) मुस्लिम ट्रस्ट जो वक्फ की तरह ही काम करते हैं, लेकिन ट्रस्ट कानूनों द्वारा शासित हैं, उन्हें वक्फ अधिनियम, 1995 से बाहर रखा जाएगा. इससे कानूनी उलझनों से बचा जा सकेगा. (धारा 2ए)
11) वक्फ अलाल औलाद से होने वाली आय का इस्तेमाल विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के लिए किया जा सकता है, अगर वक्फ करने वाले ने ऐसा कहा हो. (धारा 3 (आर) (iv)).
12) ट्रिब्यूनल के फैसलों की आखिरी मोहर हटा दी गई है. कोई भी पीड़ित व्यक्ति अब ट्रिब्यूनल के फैसले के नब्बे दिनों के भीतर हाईकोर्ट में अपील कर सकता है.
13) पोर्टल के जरिए वक्फ संपत्तियों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी किए जाएंगे.
इससे पहले भाजपा सांसद जगदम्बिका पाल की अध्यक्षता वाली जेपीसी ने मसौदा रिपोर्ट को 16 मतों से अपनाया, जबकि विपक्षी सांसदों के 10 वोट इसके खिलाफ पड़े.