Himachali Khabar : (Property purchasing tips) जब कोई संपत्ति खरीदने के बारे में प्लान किया जाए तो यह जरूरी है कि पूरी तरह से उसकी स्थिति का मूल्यांकन करे और हर जरूरी कागजात के बारे में जाने। किसी भी प्रोपर्टी की सटीक जांच करना भविष्य में कई विवादों से बचाता है। किसी भी संपत्ति को खरीदते समय ध्यान रखें कि सभी कागजात और स्वामित्व स्पष्ट हों और किसी भी प्रकार का संदेह न हो। संपत्ति के अधिकार (Property ownership rights) को प्रमाणित करने के लिए रजिस्ट्री एक अहम दस्तावेज है, लेकिन इसके अलावा भी और दस्तावेज है जो सबसे ज्यादा जरूरी होता है।
प्रोपर्टी का नामांतरण है जरूरी –
रजिस्ट्री भले ही किसी संपत्ति के अधिकार को प्रमाणित करने में महत्वपूर्ण दस्तावेज (most important Property Documents) हो, लेकिन यह अकेले मालिकाना हक सुनिश्चित नहीं करता। अक्सर लोग रजिस्ट्री के बाद संतुष्ट हो जाते हैं और उसे ही सबसे अहम मानते हैं। हालांकि, संपत्ति की सही स्वामित्व (property ownership rules) प्रक्रिया में नाम परिवर्तन भी उतना ही महत्वपूर्ण है। इसे म्यूटेशन कहा जाता है और यह सुनिश्चित करता है कि नाम सही तरीके से संपत्ति के दस्तावेजों में दर्ज हो। केवल रजिस्ट्री (property registration) से सब कुछ समाप्त नहीं होता, म्यूटेशन भी जरूरी होता है। म्यूटेशन को नामांतरण कहा जाता है।
विवादों से बचने के लिए यह काम करना जरूरी –
अगर आप सोचते हैं कि केवल रजिस्ट्री से संपत्ति आपकी हो जाएगी, तो यह गलत है। भविष्य में किसी भी परेशानी से बचने के लिए, यह जरूरी है कि आप संपत्ति का नाम परिवर्तन या म्यूटेशन सुनिश्चित करें। सिर्फ बिक्री प्रमाणपत्र (Sale deed documents) से नाम परिवर्तन नहीं होता।
इसके लिए आपको संबंधित अधिकारी से आवश्यक प्रक्रिया पूरी करनी होती है, ताकि संपत्ति का सही तरीके से स्वामित्व आपके नाम पर दर्ज हो सके। केवल कागजात ही नहीं, बल्कि सभी कानूनी कदमों का पालन करना जरूरी है, ताकि भविष्य में कोई समस्या न हो। इस प्रक्रिया में थोड़ी सी सतर्कता कई मुश्किलों से बचा सकती है। यह भी सुनिश्चित करें कि सभी कानूनी (legal facts of property) पहलुओं की ठीक से जांच हो ताकि भविष्य में कोई विवाद न हो।
प्रोपर्टी खरीदते समय ऐसे बचें धोखाधड़ी से-
नाम परिवर्तन और बिक्री प्रमाणपत्र यानी सेल डीड अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं, लेकिन लोग अक्सर इन्हें एक ही समझ लेते हैं। रजिस्ट्री (Property Registration rules) करवा लेने से संपत्ति का स्वामित्व नहीं बदलता। जब तक नाम परिवर्तन की प्रक्रिया पूरी नहीं होती, संपत्ति किसी के नाम पर नहीं मानी जा सकती, भले ही रजिस्ट्री हो चुकी हो। यह इसलिए क्योंकि नामांतरण किसी दूसरे व्यक्ति के पास होता है और इस प्रक्रिया के बिना संपत्ति का वास्तविक स्वामित्व नहीं माना जाता।
इसीलिए संपत्ति खरीदते समय सिर्फ रजिस्ट्री पर ध्यान देने से ही काम नहीं चलता। कई बार छोटी सी लापरवाही लोगों को धोखाधड़ी का शिकार बना देती है। ऐसे में जब आप कोई संपत्ति खरीदते (Property buying tips) हैं, तो कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना जरूरी है। संपत्ति के सभी कागजात की सही तरह से जांच करना एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सुनिश्चित करता है कि कोई कानूनी समस्या न हो और आप सही तरीके से खरीदारी कर सकें।
नामांतरण करवाने का तरीका –
अचल संपत्ति मुख्य रूप से 3 श्रेणियों में बांटी जाती है। पहली कृषि (Farming Property) उपयोग वाली भूमि, दूसरी आवासीय संपत्ति (Residential Property rules) और तीसरी औद्योगिक (Industrial Property) भूमि। इन तीनों प्रकार की संपत्तियों का नाम परिवर्तन अलग-अलग तरीके से किया जाता है और प्रत्येक स्थान पर अलग-अलग प्रक्रिया अपनाई जाती है।
जब किसी संपत्ति को बिक्री दस्तावेज (sale deed documents) के जरिए खरीदा जाता है या अन्य किसी तरीके से प्राप्त किया जाता है, तो संबंधित दस्तावेज को लेकर उस संपत्ति के नाम परिवर्तन (property mutation process)के लिए संबंधित विभाग में जाना चाहिए। नामांतरण प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होता है कि संपत्ति का स्वामित्व सही व्यक्ति के नाम पर दर्ज हो और भविष्य में कोई कानूनी समस्या न हो।