HR Breaking news : (Court Decision) सबसे प्यारे रिश्तो की लिस्ट में पति-पत्नी का जो रिश्ता होता है वह हमेशा टॉप पर होता है। लेकिन धोखा नाम का डीमक अगर इस रिश्ते में लग जाता है तो इसे कोर्ट पहुंचने में भी समय नहीं लगता है। पति-पत्नी के आपसी विवादों से जुड़े हर रोज कोर्ट में नए-नए मामले सामने आते रहते हैं। हाल ही में कर्नाटक हाई कोर्ट ने पति पत्नी की आपसी हक को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। जिससे क्लियर होता है की शादी के बाद पति और पत्नी का एक दूसरे पर कितना हक होता है। आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के खास फैसले के बारे में विस्तार से।
क्या पति या पत्नी को अपने साथी के आधार कार्ड की जानकारी हासिल करने का अधिकार है। कर्नाटक हाई कोर्ट (karnataka high court)ने इस मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह क्लियर कर दिया कि सिर्फ शादी के आधार पर पति के AADHAR की जानकारी पत्नी एकतरफा हासिल नहीं कर सकती। कोर्ट ने कहा कि शादी निजता के अधिकार (rights of privacy)पर असर नहीं डालती है। सिर्फ आधार ही नहीं पिछले दिनों कोर्ट के सामने यह मामला आया कि क्या कोई पति अपनी पत्नी की अनुमति के बिना उसकी फोन कॉल को रिकॉर्ड कर सकता है। पति या पत्नी दोनों में से किसी एक की जासूसी पर भी कोर्ट की ओर से फैसला सुनाया जा चुका है। ऐसे में यह भी सवाल है कि किन चीजों में पति-पत्नी एक दूसरे की प्राइवेसी में दखल (interference in each other’s privacy)नहीं दे सकते हैं।
karnataka high court ने किस मामले में सुनाया फैसला
एक महिला अलग हो चुके पति के आधार का नंबर, एनरोलमेंट की जानकारी और फोन नंबर हासिल करना चाहती थी। महिला का कहना था कि उसे पति के ठिकाने की जानकारी नहीं है जिसकी वजह से वह फैमिली कोर्ट के आदेश (Family Court orders)को लागू नहीं करा पा रही है। वह UIDAI यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पास भी गई थीं। 25 फरवरी 2021 ने यूआईडीएआई ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया था और कहा कि इसके लिए हाई कोर्ट के आदेश की जरूरत होगी। इसके बाद महिला ने हाई कोर्ट का रुख किया। कर्नाटक हाई कोर्ट ने साफ कर दिया कि शादी निजता के अधिकार पर असर नहीं डाल सकती है। कोर्ट ने कहा कि शादी का हवाला देकर जीवनसाथी के आधार कार्ड की जानकारी एकतरफा हासिल नहीं कर सकती हैं।
पत्नी पर नजर रखने के लिए लगा दिया कैमरा (Maharashtra News)
कुछ साल पहले महाराष्ट्र के पुणे में पत्नी के पूर्व पति ने उस पर नजर रखने के लिए घर के वॉटर प्यूरीफायर में स्पाई कैमरा लगवा दिया। कैमरा मोबाइल से लिंक था और इसके जरिए पूर्व पति बाहर होते हुए उस पर निगरानी रखता था। मामला सामने आने के बाद महिला ने पूर्व पति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। ये चीजें भी अपराध की श्रेणी में आती हैं।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)निजता के अधिकार को लेकर अपना फैसला सुना चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार कहा था। निजता में किसी पर निगरानी नहीं रखी जा सकती। महिला जब ससुराल भी जाती है तो ससुरालवालों की जिम्मेदारी है कि उसे प्राइवेसी प्रदान करें। किसी के कमरे में बिना उसकी मर्जी के कैमरा लगाना भी राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन (Violation of right to privacy)माना जाता है। ऐसी स्थिति में आईटी एक्ट के तहत मामला भी दर्ज हो सकता है। निजता में किसी पर निगरानी नहीं रखी जाती।
क्या बगैर इजाजत कर सकते हैं कॉल रिकॉर्ड
क्या कोई पति अपनी पत्नी की इजाजत के बगैर उसकी फोन कॉल को रिकॉर्ड कर सकता है। पत्नी के फोन को रिकॉर्ड करना राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन(right to privacy) है। इस बारे में आखिर कानून क्या कहता है। संविधान में इसको लेकर क्या प्रावधान है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने पिछले दिनों इस मामले को लेकर अहम फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने पति-पत्नी से जुड़े एक मामले में फैसला सुनाया कि किसी की इजाजत के बगैर उसके फोन कॉल को रिकॉर्ड करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
निजता के अधिकार तहत क्या
कर्नाटक हाई कोर्ट के इस फैसले (decision of Karnataka High Court)के बीच यह जानना जरूरी है कि निजता का अधिकार क्या है। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन जीने के अधिकार का हिस्सा है। 2017 में सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की पीठ ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार कहा था। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार निजता के अधिकार में पारिवारिक जीवन, शादी या कोई साथी चुनने की आजादी, लाइफ को अपने तरीके से जीने की आजादी, बच्चे पैदा करने का फैसला, समलैंगिकता पर किसी व्यक्ति की राय जैसे कई मसले शामिल हैं।