बचपन में ही काट दिया जाता है मुस्लिम महिलाओं का यह अंग, दर्द से तड़पती रहती मगर परंपरा के आगे बेबस, जानिए इस रीति की पूरी सच्चाई..

बचपन में ही काट दिया जाता है मुस्लिम महिलाओं का यह अंग, दर्द से तड़पती रहती मगर परंपरा के आगे बेबस, जानिए इस रीति की पूरी सच्चाई..नई दिल्ली: महिलाओं के अधिकार और स्वतंत्रता को लेकर समय-समय पर चर्चाएं होती रही हैं। खासतौर पर कुछ परंपराओं और प्रथाओं को लेकर विभिन्न विचार सामने आते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण मुद्दा महिलाओं के खतना (Female Genital Mutilation – FGM) का है, जो कई देशों और समुदायों में अब भी प्रचलित है।

महिलाओं के खतना पर वैश्विक दृष्टिकोण

हाल ही में ईसाई धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु पॉप फ्रांसिस ने इसे “अपराध” करार देते हुए मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताया। उनके इस बयान के बाद यह विषय फिर से चर्चा में आ गया है।

क्या है महिलाओं का खतना?

महिलाओं के खतना में उनके बाहरी जननांगों को काटा जाता है। यह प्रक्रिया न केवल शारीरिक रूप से दर्दनाक होती है, बल्कि इसके मानसिक और सामाजिक प्रभाव भी गहरे होते हैं। कई समुदाय इसे धार्मिक या सांस्कृतिक परंपरा मानते हैं, जबकि इसे मानवाधिकारों का हनन कहा जाता है।

दुनियाभर में खतना की स्थिति

भारत: मुख्य रूप से बोहरा समुदाय में महिलाओं के खतना की प्रथा देखी जाती है.अफ्रीकी और मध्य पूर्वी देश: कई देशों में यह अब भी जारी है, हालांकि कुछ ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। अन्य देश: संयुक्त राष्ट्र ने इसे 2030 तक समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। हर साल 6 फरवरी को “इंटरनेशनल डे ऑफ जीरो टॉलरेंस फॉर एफजीएम” मनाया जाता है, ताकि इस प्रथा के खिलाफ जागरूकता फैलाई जा सके।

समाज की सोच

महिलाओं के अधिकारों की बात करें, तो हाल के वर्षों में तीन तलाक जैसी प्रथाओं पर भी कड़े कदम उठाए गए हैं। हालांकि, यह सवाल बना हुआ है कि क्या महिलाओं को समान अधिकार और स्वतंत्रता पूरी तरह मिली है? समाज को ऐसी प्रथाओं पर गहराई से विचार करना होगा। यह केवल किसी धर्म या संस्कृति का विषय नहीं, बल्कि महिलाओं की गरिमा और मानवाधिकारों का मामला है।क्या आपको लगता है कि महिलाओं के अधिकारों को और मजबूत करने के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए? अपनी राय साझा करें!

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