Uttarakhand News: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के चार प्रमुख जिलों हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और उधमसिंह नगर में कई स्थानों के नाम बदलने की घोषणा की है. यह फैसला जनभावनाओं और ऐतिहासिक-सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखकर लिया गया है. सोमवार को इसकी आधिकारिक घोषणा करते हुए सीएम धामी ने कहा कि यह कदम राज्य की पहचान को और मजबूत करेगा.
सांस्कृतिक विरासत को सम्मान
सीएम धामी ने अपने बयान में कहा ‘जनभावनाओं के अनुरूप नाम परिवर्तित किए गए हैं. हमारा लक्ष्य गुलामी के प्रतीकों को हटाकर अपनी सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देना है.’ सूत्रों के अनुसार यह निर्णय लंबे समय से चली आ रही मांगों और स्थानीय लोगों के सुझावों के आधार पर लिया गया है. नाम बदलने की प्रक्रिया में प्रशासनिक स्तर पर समीक्षा शुरू हो चुकी है और जल्द ही नए नामों की सूची जारी की जाएगी.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिलों में स्थित कई स्थानों के नाम बदलने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनभावनाओं के अनुरुप नाम परिवर्तित किए गए हैं।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 31, 2025
किन जिलों पर है फोकस?
हरिद्वार- धार्मिक और आध्यात्मिक नगरी के रूप में मशहूर हरिद्वार में कुछ स्थानों के नामों को हटाकर पारंपरिक नामों से जोड़ा जाएगा.
नैनीताल- पर्यटन के लिए प्रसिद्ध इस जिले में ब्रिटिश काल से चले आ रहे नामों को बदलने की तैयारी है.
उधमसिंह नगर- कृषि क्षेत्र के इस प्रमुख जिले में भी कई जगहों के नाम बदले जाएंगे.
देहरादून- राजधानी होने के नाते यहां भी कुछ सड़कों और स्थानों के नामों में बदलाव संभव है.
पहले भी उठ चुके हैं ऐसे कदम
यह पहली बार नहीं है जब उत्तराखंड में नाम बदलने की पहल हुई हो. 2022 में सीएम धामी ने घोषणा की थी कि राज्य से गुलामी के प्रतीकों को हटाया जाएगा. इसके तहत लैंसडाउन, मसूरी और नैनीताल जैसे क्षेत्रों के ब्रिटिशकालीन नामों को बदलने की बात उठी थी. हालांकि अभी तक बड़े स्तर पर बदलाव नहीं हुए थे. अब यह नया ऐलान उस दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है.
इस घोषणा के बाद जहां कुछ लोग इसे सांस्कृतिक पुनर्जागरण का कदम बता रहे हैं वहीं विपक्ष ने इसे ‘राजनीतिक स्टंट’ करार दिया है. विपक्षी नेताओं का कहना है कि सरकार को बुनियादी मुद्दों जैसे बेरोजगारी और स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिए. दूसरी ओर स्थानीय निवासियों का एक वर्ग इस फैसले का स्वागत कर रहा है.