

Nainital Demographic Change: ईद पर मस्जिदों में नमाजियों की उमड़ी भीड़ की तस्वीरें देश भर से आईं, लेकिन नैनीताल से जो तस्वीर आई उसने लोगों को सकते में डाल दिया. सरोवर नगरी में उमड़ी भीड़ ने देवभूमि के इस छोटे से जिले में डेमोग्राफी चेंज करने की साजिश की ओर साफ इशारा कर दिया. नैनीताल में बीते 6 महीनों में मुसलमानों ने ताबड़तोड़ जमीनें खरीदी हैं, जिस पर अब सवाल उठने लगे हैं. ईद पर नैनीताल में उमड़ी नमाजियों की भीड़ वाली तस्वीर को जिसने भी देखा हैरान रह गया. तस्वीर ने नैनीताल की बदलती डेमोग्राफी की ओर बड़ा इशारा किया है.
नैनीताल में बदलती डेमोग्राफी वाला ‘खेल’
इस खेल को समझने के लिए आपको नैनीताल के चौसला गांव लिए चलते हैं. उत्तराखंड के नैनीताल के छोटे से इस गांव में बीते 6 महीने में 68 प्लॉट खरीदे गए हैं. सभी 68 प्लॉट समुदाय विशेष के लोगों ने खरीदे हैं. 300, 500 और 700 फीट के प्लॉट खरीदे गए हैं. यानी ये प्लॉट साइज में इतने छोटे हैं कि इन पर घर तो दूर, दुकान तक ठीक से नहीं बन सकती. सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर एक छोटे से गांव में इतनी छोटी-छोटी जमीन किस मकसद से खरीदी गई है. हल्द्वानी के मेयर के मुताबिक ऐसा डेमोग्राफी बदलने की साजिश के तहत हो रहा है.
जमीन खरीदने वाले कहां से आए और क्या है मकसद
चौसला गांव में जमीन लेने वाले कौन लोग हैं. वह लोग कहां से आए और किस मकसद से जमीनें खरीदीं इसे लेकर कोई जांच नहीं हुई. वो भी तब जब देवभूमि में जमीन खरीदने को लेकर बेहद सख्त कानून है. दरअसल, उत्तराखंड में बाहरी लोगों के लिए 250 वर्ग मीटर जमीन खरीदने की सीमा तय है. 250 वर्ग मीटर जमीन खरीद के बाद दूसरे के नाम से भी जमीन नहीं खरीद सकते. बाहरी लोगों को जमीन खरीदने से पहले डीएम की अनुमति लेना जरूरी है. जमीन खरीदार की पृष्ठभूमि की जांच की जाती है. जमीन किस मकसद से खरीदी जा रही, ये भी बताना होता है.
इतनी जमीनें कैसे खरीदी गईं, ये बड़ा सवाल
अंधाधुंध बिक रही जमीनों की बिक्री पर रोक लगाने के लिए ये कानून बना है, लेकिन नैनीताल में इसकी धज्जियां उड़ती दिख रही हैं. हिंदू बहुल इलाके में मुस्लिमों के जमीन खरीदने के खुलासे से हिंदू संगठन भी आक्रोशित हैं. डेमोग्राफी बदलने के मंसूबे नाकाम करने के लिए उत्तराखंड में अवैध मजार, मदरसों पर बुलडोज़र एक्शन चल रहा है. सरकारी जमीन, जंगल पर अवैध कब्जे हटाए जा रहे हैं. ऐसे में नैनीताल में बड़ी संख्या में बाहरियों ने इतनी जमीनें कैसे खरीदीं ये बड़ा सवाल है.