नई दिल्ली – केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने आईआईटीयन प्रशिक्षण केंद्र प्राइवेट लिमिटेड (IITPK) पर आईआईटी-जेईई परीक्षा के परिणामों को लेकर भ्रामक दावे करने के लिए 3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के उल्लंघन के चलते मुख्य आयुक्त निधि खरे और आयुक्त अनुपम मिश्रा की अध्यक्षता में सीसीपीए ने यह कार्रवाई की।
कोचिंग संस्थान पर भ्रामक विज्ञापन के आरोप
संस्थान ने आईआईटी और नीट टॉपर्स की भ्रामक छवि प्रस्तुत की, जिससे यह धारणा बनी कि इन छात्रों ने अखिल भारतीय स्तर पर शीर्ष रैंक प्राप्त की है। वास्तव में, ये छात्र केवल संस्थान के आंतरिक टॉपर थे, न कि राष्ट्रीय स्तर पर। इस गुमराह करने वाली रणनीति से छात्रों और अभिभावकों को यह विश्वास हुआ कि संस्थान आईआईटी-जेईई और नीट में हर साल राष्ट्रीय स्तर के टॉपर्स तैयार करता है।
आईआईटी रैंक को लेकर गुमराह करने वाले दावे
संस्थान ने दावा किया कि पिछले 21 वर्षों में 1384 छात्रों ने आईआईटी रैंक प्राप्त की।
भ्रामक तथ्य:
- विज्ञापन में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि सभी 1384 छात्रों का चयन विशेष रूप से आईआईटी में नहीं हुआ।
- जांच में पाया गया कि इन छात्रों में से कई को आईआईटी के बजाय अन्य संस्थानों जैसे IIIT, NIT, BITS, मणिपाल विश्वविद्यालय, VIT वेल्लोर, PICT पुणे, MIT पुणे और अन्य कॉलेजों में प्रवेश मिला था।
- आईआईटी रैंक शब्द का दुरुपयोग कर संस्थान ने अपनी सफलता दर को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया।
सफलता दर को लेकर गलत आंकड़े प्रस्तुत किए
संस्थान के झूठे दावे:
- “साल दर साल सबसे ज़्यादा सफलता अनुपात”
- “21 सालों में सबसे अच्छा सफलता अनुपात”
- “61% सफलता दर”
हकीकत:
- इन दावों को कोई विश्वसनीय डेटा या तृतीय पक्ष सत्यापन द्वारा प्रमाणित नहीं किया गया।
- संस्थान ने सुनवाई के दौरान दावा किया कि वेबिनार और परामर्श सत्रों में इस आंकड़े को स्पष्ट किया गया था, लेकिन विज्ञापनों में कोई स्पष्टीकरण नहीं था।
- इस रणनीति ने छात्रों और अभिभावकों को भ्रमित किया और उनकी निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित किया।
भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ सीसीपीए की कार्रवाई
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने अब तक 46 कोचिंग संस्थानों को नोटिस जारी किए हैं और 24 संस्थानों पर कुल 77.6 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
इस कार्रवाई का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी कोचिंग संस्थान या सेवा प्रदाता उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाले विज्ञापन न दे, जिससे छात्रों और अभिभावकों को सही जानकारी के आधार पर निर्णय लेने में मदद मिले।